भ्रष्टों का प्रदेश
04-Jun-2016 09:25 AM 1234949
एक तरफ जहां टीना डाबी ने यूपीएससी परीक्षा में टॉप कर राजस्थान का गौरव बढ़ाया है वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के नौकरशाहों ने देश में राजस्थान को कलंकित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। हम सब जानते हैं राजस्थान वीरों की धरती है। लेकिन पिछले कुछ साल से राज्य में भ्रष्टाचार ने सारी सीमाएं पार कर ली हैं। प्रदेश के नौकरशाह तो भ्रष्टाचार में इस कदर डूबे हुए हैं कि देश की नौकरशाही में राजस्थान को भ्रष्टों का प्रदेश कहा जाने लगा है। आलम यह है कि प्रदेश के जो अधिकारी पाक-साफ हैं उन्हें भी अब शक की नजर से देखा जा रहा है। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने तो यहां तक कह डाला है कि आईएएस देश और प्रदेश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा हैं। ये लोग समाज के पीडि़त तबकों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को लागू नहीं करते। यह कितने शर्म की बात है कि पिछले कुछ सालों में देश को सर्वाधिक आईएएस देने वाले राज्यों में से एक राजस्थान की नौकरशाही ने पूरे प्रदेश को कलंकित कर दिया है। राज्य के चर्चित खान घूसकांड के मुख्य आरोपी निलंबित आईएएस अशोक सिंघवी का मामला अभी सुर्खियों में है कि जीएस संधू और नीरज के पवन के मामले ने प्रदेश को फिर से कटघरे में खड़ा कर दिया है। आलम यह है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के पास आईएएस अफसरों की काली कमाई की लगातार शिकायतें पहुंच रही हैं। अभी हाल ही में प्रदेश के सबसे चर्चित और होनहार आईएएस अफसर नीरज के. पवन के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने छापा मारा। नीरज को हिरासत में लिया गया है जबकि उनके एक करीबी दलाल को गिरफ्तार कर लिया गया है। एसीबी ने खुलासा किया है कि आईएएस नीरज ने दलाल के जरिए नियमित रूप से कैश ही नहीं चैक से भी रिश्वत की राशि ली। बता दें कि पवन राज्य के तीसरे ऐसे आईएएस अफसर हैं, जिनके खिलाफ वसुंधरा राजे सरकार के दौरान करप्शन मामलों को लेकर कार्रवाई की गई है। नीरज के खिलाफ कुछ महीने पहले एनआरएचएम में करप्शन की शिकायत की गई थी। उनके खिलाफ चली सर्च में 18 ठिकानों की जांच की गई। इनमें 17 जयपुर के और एक भरतपुर का है। एसीबी के एडीजी भूपेंद्र दक ने बताया कि कार्रवाई में यह तथ्य सामने आए हैं कि जिन पांच लोगों के खिलाफ सर्च किया गया, वे सभी पूरी तरह से रिश्वत के लेन-देन में शरीक हैं। आईएस नीरज के पवन के लिए दलाल की भूमिका निभाता था अजीत सोनी। इस कांड का सबसे बड़ा अभियुक्त यही है। दलाल अजीत मेपल इवेंट कंपनी चलाता है। वूमन ऑफ फीचर अवार्ड का आयोजन भी यही करता रहा है। सोनी अपने काम के साथ-साथ रिश्वत के मामलों को अंजाम देने के लिए कंसल्टेंसी की भूमिका में रहता था। कंसल्टेंसी की भूमिका में रहने के लिए सुझाव दिया था अनिल अग्रवाल ने। अनिल अग्रवाल आईईसी कंपनी का रीजनल डायरेक्टर है। चौथी सरगना है एनएचएम में चीफ अकाउंट ऑफिसर दीपा गुप्ता। टेंडर में छेड़छाड़ करना, बिल अटकवा कर रिश्वत के लिए प्रमोट करने का काम इसी का होता था। पांचवां और अंतिम व्यक्ति है जोजी वर्गीज। यह यहां स्टोर कीपर है, जो रिश्वत की राशि कलेक्ट करने की जिम्मेदारी निभाता था। यानी पूरा नेटवर्क सुनियोजित तरीके से चलता था। सिंघवी बाहर और संधु हो चुके हैं अरेस्ट खान (माइन्स) रिश्वत केस में एसीबी ने अशोक सिंघवी के अलावा सात और आरोपियों को अरेस्ट किया था। सिंघवी लंबे वक्त तक जेल में रहे। पिछले दिनों ही उन्हें बेल मिली है। एसीबी के हत्थे चढ़े निलंबित आईएएस सिंघवी की मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं। हाल ही में जेल से छूटने के बाद जहां एक ओर राज्य सरकार उन्हें फिर से बहाल करने की तैयारी में थी, वहीं केंद्र सरकार के निर्देशों ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है। एसीबी पहले ही कोर्ट में सभी आरोपियों पर चार्जशीट फाइल कर चुकी है। केंद्र की स्वीकृति मिलने के बाद अब इस पर सुनवाई शुरू हो जाएगी। वहीं एकल पट्टा मामले में यूडीएच सेक्रेटरी जीएस संधु पर केस दर्ज किया गया था। सेवानिवृत्ति के बाद से ही लापता चल रहे संधू को आखिरकार सरेंडर करना ही पड़ा। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की ओर से जमानत याचिका खारिज किए जाने से यह तय ही माना जा रहा था। अब एसीबी ने सरेंडर के बाद उन्हें जेल भेज दिया है। उल्लेखनीय है कि संधू 30 सितंबर 2015 को सेवानिवृत्त हुए थे और तभी से एक रियल एस्टेट कंपनी को एकल पट्टा देने के मामले में राजस्थान की एसीबी उन्हें खोज रही थी। संधू को खोजने के लिए एसीबी ने लुक आउट नोटिस जारी किया था। वहीं राजस्थान के सीनियर आईएएस उमराव सालोदिया ने ने पिछले साल इस्लाम कबूल कर राज्य सरकार को कटधरे में खड़ा कर दिया था। -जयपुर से आर.के. बिन्नानी
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