16-Apr-2016 08:26 AM
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मप्र में पिछले एक दशक से देखा जा रहा है कि जब भी भाजपा चुनावी तैयारी से दूर होती है मंत्रियों और विधायकों का टेस्ट होने लगता है। आलम यह है कि बार-बार परफारमेंस के नाम पर हो रहे सर्वे से मंत्री, विधायक और पदाधिकारी

आजिज आ चुके हैं। लेकिन टेस्ट से उनका पीछा छूटता नजर नहीं आ रहा है। खबर है कि संघ के निर्देश पर प्रदेश संगठन ने एक बार फिर से मंत्रियों, विधायकों और पदाधिकारियों का परफारमेंस सर्वे कराना शुरू कर दिया है। इसके मूल में वजह यह बताई जा रही है कि आगामी दिनों में सरकार और संगठन का विस्तार होने वाला है। इसलिए दमदार नेताओं की पड़ताल की जा रही है।
मंत्रियों और विधायकों का सर्वे तीन बिंदुओं पर हो रहा है। हाल ही में सीएम निवास में हुई विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी विधायकों को कहा था कि सरकार के ढाई साल हो गए हैं। इसलिए सर्वे कराना है। बताया जाता है कि सर्वे की खबर सुनते ही मंत्री और विधायक सकते में आ गए हैं। बताया जाता है कि संघ और भाजपा संगठन जमीनी कार्यकर्ताओं से इनकी रिपोर्ट तैयार करवा रही है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने 2008 में सरकार बनने के बाद ऐसा ही सर्वे दो साल बीतने के बाद कराया था। वरिष्ठ नेताओं की मानें तो ढाई साल के कामकाज का सर्वे पहले राउंड का है। जिन विधायकों की छवि खराब होगी, उन्हें एक साल का मौका दिया जाएगा। इसके बाद दूसरे राउंड का सर्वे होगा। संगठन में वरिष्ठ स्तर तक यह भी फीडबैक आया है कि राष्ट्रीय फसल बीमा योजना को लेकर गांव-चौपालों में जो कार्यक्रम होने थे, उसमें किसी भी विधायक ने रुचि नहीं दिखाई है। कार्यक्रम मार्च के पहले पखवाड़े में ही पूरे होने थे। विधायक की पब्लिक में अप्रोच कैसी है? लोगों से मिलने में कितना समय देते हैं? समस्याओं के समाधान की रेटिंग क्या है? विधायक निधि और सरकारी योजनाओं से कितना विकास कराया? जो भी काम कराए क्या वे जनता के लिए थे? काम की गुणवत्ता कैसी है? इन बिंदुओं पर किए जा रहे सर्वे की रिपोर्ट संभवत: जून में पार्टी को सौंप दी जाएगी। उधर कुछ लोग इसे 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी से जोड़कर देख रहे हैं। वैसे तो तीसरी बार प्रदेश की सत्ता पर काबिज होकर भाजपा रिकॉर्ड बना चुकी है। लेकिन 2018 में चौथी बार सरकार में वापसी के लिए संगठन के स्तर पर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। वैसे तो मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 3 साल से भी ज्यादा का वक्त बाकी है। लेकिन सत्ताधारी भाजपा ने होमवर्क शुरू कर दिया है। पार्टी के विधायक कितने सक्रिय हैं। उपलब्धियों के नाम पर उनके खाते में क्या है। इसका लेखा-जोखा तैयार किया जा रहा है। मजे की बात कि खुद विधायकों को अपना आकलन करना होगा। इस सेल्फ असेसमेंट के आधार पर ही विधायकों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार की जाएगी और यही परफॉर्मेंस रिपोर्ट उनकी अगली टिकट का फैसला करेगी। भाजपा की सक्रियता को देखते हुए कांग्रेस ने भी अपने विधायकों की मैदानी हकीकत की पड़ताल शुरू कर दी है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव के निर्देश पर पार्टी के नेता इस रिपोर्ट को तैयार कर रहे हैं।
उधर भापजा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी बताते हैं कि पार्टी में समन्वय, सक्रियता और सांगठनिक क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए ऐसे सर्वे कराए जाते हैं। इसको अन्य किसी नजरिए से नहीं देखना चाहिए। वह कहते हैं कि पद तो पहचान से ही मिलते है।
विधायक स्वयं भी करेंगे आंकलन
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के मुताबिक विधायकों को खुद अपनी आंकलन रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है। संगठन को सौंपी जाने वाली इस रिपोर्ट में विधायक क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों, जनता दरबार और दौरों समेत पेंडिंग कामों की जानकारी देंगे। विधायकों को ये भी बताना होगा कि वो अपने कार्यालय में कितने दिन बैठते हैं और पार्टी कार्यालय को कितना वक्त देते हैं? रिपोर्ट में उन्हें ये भी बताना होगा कि केंद्र और राज्य की योजनाओं के क्रियान्वयन और प्रचार-प्रचार के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए। उसके आधार पर पार्टी उन्हें दिशा-निर्देश देगी।
-भोपाल से अजयधीर