क्या दिल्ली की कुर्सी छोड़ेंगे केजरी?
16-Apr-2016 07:56 AM 1234785

दिल्ली की राष्ट्रीय राजनीति पर अपनी छाप छोडऩे के बाद अब आम आदमी पार्टी पंजाब का रुख कर रही है। राज्य में विधानसभा चुनाव 2017 में होने हैं, जिसमें अब एक साल से भी कम समय बचा है। राज्य में अभी से दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता अरविंद केजरीवाल की लहर है। ऐसी न सिर्फ राजनीतिक हल्कों में चर्चा है बल्कि बीते कुछ दिनों में जायजा लेने के लिए कराए गए ओपिनियन पोल और पोलिटिकल सर्वे का भी मानना है। यही नहीं अब तो यह भी हवा चल पड़ी है कि केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
कम से कम एक तर्क तो केजरीवाल को ऐसा फैसला लेने के लिए जरूर कह रहा है-दिल्ली आधा राज्य है और यहां मुख्यमंत्री की शक्तियों में केन्द्र सरकार की सेंधमारी रहती है। उसके उलट पंजाब देश का कृषि प्रधान राज्य है और कमाई के मामले में वह कई राज्यों को पीछे छोड़ते हुए एक स्वनिर्भर राज्य भी है। वहीं पंजाब में हो रहे ओपिनियन पोल में एक बात साफ तौर पर निकलकर सामने आ रही है। वहां पर लहर आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल के इर्द-गिर्द है। ठीक उसी तरह जैसे लोकसभा चुनावों में भाजपा के नरेन्द्र मोदी के इर्द-गिर्द थी। सी-वोटर और हफिंगटन पोस्ट के सर्वे ने आम आदमी पार्टी को दो-तिहाई से भी अधिक सीट दी है। सर्वे के मुताबिक आम आदमी पार्टी आगामी चुनावों में कुल 117 विधानसभा में से 100 सीट पर जीत हासिल कर सकती है। बची हुई 17 सीटें कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और निर्दलीय में बंट जाएगी। अब अरविंद केजरीवाल तो दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। आम आदमी पार्टी को अगर अरविंद केजरीवाल की लहर का फायदा मिलता है और दो-तिहाई से ज्यादा सीट तो सवाल उठता है कि क्या अरविंद केजरीवाल दिल्ली की गद्दी को अलविदा कहकर पंजाब में मुख्यमंत्री पद को संभालने की चुनौती लेंगे।
प्रदेश में हुए सर्वे में जब मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार का आंकड़ा लिया जाता है तो अरविंद केजरीवाल का नाम सबसे ऊपर और लगभग 47 फीसदी की लोकप्रियता के साथ आता है। वहीं जब अगले सर्वे में केजरीवाल का नाम हटाकर उनकी जगह भगवंत मान के नाम पर सवाल किया जाता है तो आम आदमी पार्टी के पक्ष में लहर गायब हो जाती है। लिहाजा इस लहर को ठीक से पढ़ा जाए तो प्रदेश की जनता अरविंद केजरीवाल को बतौर मुख्यमंत्री देखते हुए आम आदमी पार्टी को दो-तिहाई से अधिक बहुमत देने को तैयार है। अब दिल्ली के मुख्यमंत्री एक बात साफ तौर पर जानते हैं कि पंजाब में अपने नाम की लहर को भुनाने के लिए उन्हें राज्य के हर उस मुद्दे पर बोलना जरूरी है जो वहां की समस्या से जुड़ा है। इन मुद्दों पर बोलना भी उसी शैली में होगा जिससे उन्होंने दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार को लताड़ा था।
इसी कड़ी की शुरुआत करते हुए केजरीवाल ने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया है। केजरीवाल ने दिल्ली में कहा है कि पठानकोट हमले की जांच के लिए पाकिस्तान की आईएसआई को पंजाब की धरती पर कदम रखने देना भारत माता की पीठ में छूरा घोंपने जैसा है। यहां भारत माता का इस्तेमाल केजरीवाल ने सत्तारूढ़ पार्टी से ही लिया है क्योंकि पांच राज्यों में हो रहे चुनावों में बीजेपी ने इसे बड़ा मुद्दा बना रखा है। वहीं आज जैसे ही पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से खबर आई कि ज्वाइंट इंवेस्टीगेशन टीम ने पाकिस्तान पहुंचकर भारत को ही पठानकोट हमले के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया है। अब इसी मौके को केजरीवाल ने भुना लिया और प्रेस कांफ्रेस कर अपने परिचित अंदाज में केन्द्र सरकार पर पठानकोट हमले की जांच में लापरवाही बरतने का आरोप लगा दिया है। इससे देश की राजनीति में यह बात तेजी से फैल रही है कि केजरीवाल पंजाब की ओर अपना रुख करने जा रहे हैं।
-अक्स ब्यूरो

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