बंद हुआ लहसुन पर कमीशन का खेल
31-Mar-2016 09:44 AM 1234755

प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में पिछले एक साल से लहसून की खरीदी बिक्री में चल रहा कमीशन का खेल खत्म हो गया है। इससे कृषि उपज मंडियों में बिचौलियों को करारा झटका लगा है। बताया जाता है कि मंडी एक्ट के किसी नियम में संशोधन के लिए विधानसभा और कैबिनेट की मंजूरी जरूरी होती है, लेकिन नियमों को दरकिनार करते हुए मध्यप्रदेश कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध संचालक एवं आयुक्त अरूण पांडेय ने एक आदेश जारी कर लहसुन को सब्जी की अनुसूची में डालकर इसकी खरीदी-बिक्री को ऐच्छिक कर दिया था। नतीजतन कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने हाल ही में एमडी के एक साल पहले के उस आदेश को निरस्त कर दिया। इससे सब्जी की अनुसूची में आया लहसुन फिर मसाला अनुसूची में पहुंच गया है। हालांकि इंदौर सहित प्रदेश की कुछ मंडियों में इसके खिलाफ धरना भी दिया गया, लेकिन बिचौलियों का दबाव काम नहीं आया।
ज्ञातव्य है कि पिछले एक साल से किसानों की लहसुन की बिक्री मंडी के अलावा बाहर के कमीशन एजेंटों के माध्यम से हो रही थी। इसके लिए मध्यप्रदेश कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध संचालक एवं आयुक्त अरूण पांडेय ने 13 मार्च 2015 को एक आदेश जारी कर लहसुन को सब्जी की अनुसूची में डालकर इसकी खरीदी-बिक्री को ऐच्छिक कर दिया था। इससे मंडियों में किसानों के साथ लूटमारी शुरू हो गई थी। इसके खिलाफ इंदौर निवासी मुकेश सोमानी ने उच्च न्यायालय इंदौर में गुहार लगाई। कई और किसानों ने भी इसके खिलाफ अपील की। अपीलार्थियों द्वारा अपने तर्क में बतलाया गया कि उक्त आदेश विधि के सिद्धांतों के प्रतिकूल होने से तथा उपविधि सन् 2002 के अध्याय 4 में मंडी समिति द्वारा अधिसूचित कृषि उपज के विपणन का नियंत्रण हेतु निर्धारित कंडिका 16 में संशोधन उपरांत नवीन नियम उपबंध 7 स्थापित किया गया है जिससे कि कमीशन एजेंट को भी  विनिमय में लहसुन क्रय-विक्रय के समय कार्य करने की अनुमति प्रदान कर दी गई है। उनके द्वारा यह भी अवगत कराया गया है कि उक्त आदेश में पूर्व में पारित आदेश दिनांक 29.09.2007 में धारा 32 के अनुसार  आढ़तिया या दलाल या दोनों कृषक या विक्रेता या व्यापारी क्रेता के बीच कमीशन या दलाली के मुद्दे की कोई रकम कृषक विक्रेता को दे विक्रय आगम से नहीं काटेगा। उनका यह भी तर्क रहा है कि मंडी अधिनियम की धारा 2 (1) (क) के अधीन लहसुनÓÓ अनुसूची क्रमांक-आठ अर्थात् सब्जियॉÓÓ में सम्मिलित नहीं होने के साथ यह अधिनियम की धारा 2  (1) (क)  अनुसूची क्रमांक-दस अर्थात् चटनी मसाले तथा अन्य वस्तुएंÓÓ में सम्मिलित है। उनके द्वारा इस आधार पर यह भी अनुरोध किया गया कि लहसुनÓÓ पर ऑडर्र/पत्र अण्डर रिफरेन्सÓÓ से वसूली जा रही आढ़त/कमीशन को बंद कराया जाये। इसके बाद दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह निर्णय लिया गया कि अपीलार्थी की अपील स्वीकार की जाकर प्रबन्ध संचालक मध्य प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड भोपाल द्वारा जारी आदेश क्रमांक/डी-6/नियमन/उपविधि/संशोधन/2015/3656 दिनांक 13.03.15 एतद् द्वारा निरस्त किया जाता है तथा उक्त आदेश के आधार पर कृषि उपज मण्डी समिति इन्दौर द्वारा पारित ठहराव क्रमांक 17 दिनांक 23.03.15 को भी निरस्त किया जाता है। शासन के इस निर्देश के बाद कुछ दलालों ने विरोध स्वरूप धरना-प्रदर्शन भी शुरू किया, लेकिन अब लहसुन पर कमीशन का धंधा बंद हो गया है।
2000 करोड़ का कारोबार बिचौलिए के कब्जे में
प्रदेश में इंदौर जिले के अलावा धार, जावरा, रतलाम, नीमच, मंदसौर, देवास, सोनकच्छ, आष्टा, भोपाल, सीहोर बेल्ट में भी लहसुन का उत्पादन होता है। प्रदेश में हर साल करीब 2000 करोड़ रुपए की लहसुन का उत्पादन होता है। अकेले इंदौर मंडी में ही करीब 300 करोड़ की लहसुन आती है। इसके अलावा जावरा, रतलाम, नीमच, मंदसौर भी लहसुन की बड़ी मंडियां हैं। मंडी बोर्ड के फैसले के बाद करीब 2000 करोड़ रूपए सालाना के इस कारोबार पर बिचौलियों का कब्जा हो गया था। किसान और व्यापारी दोनों उपज बेचने और खरीदने के लिए आढ़तियों पर निर्भर हो गए थे। यदि भाव या लेनदेन के किसी मामले में किसान और कारोबारी के बीच विवाद हुआ तो मंडी समिति इसमें हस्तक्षेप भी नहीं कर पा रही थी।  इससे न केवल मंडी बोर्ड को आर्थिक क्षति पहुंच रही थी, बल्कि किसानों के साथ भी ठगी हो रही थी। बताया जाता है की इसकी शिकायतें लगातार वरिष्ठ अधिकारियों के पास पहुंच रही थी। एक तो अदालत की अवमानना कर नियम विरूद्ध आदेश और उस पर किसानों के साथ ठगी को गंभीरता से लेते हुए कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने एमडी के  आदेश को निरस्त कर दिया। अब लहसुन की खरीदी-बिक्री मंडी प्रांगण में नीलामी के जरिए ही हो सकेगी। राज्य शासन ने लहसुन की नीलामी को मंडी परिसर से करने के साथ ही आढ़त पर भी नया आदेश जारी किया है।
-भोपाल से रजनीकांत

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