अफसरों में खींचतान जनता हो रही हलकान
31-Mar-2016 08:39 AM 1234755

मप्र की व्यवसायिक राजधानी इंदौर में कानून-व्यवस्था की निगरानी व रखवाली करने वाले अफसरों की आपसी खींचतान से यहां की कानून-व्यवस्था ताक पर चली गई है। इससे शहर में आपराधिक घटनाओं का इजाफा तो हो ही रहा है अन्य अधिकारी-कर्मचारी भी परेशान हैं। पुलिस विभाग में अफरा-तफरी का माहौल है जिससे जनता हलकान हो रही है।
दरअसल, मई 2015 में जब से शासन ने ग्वालियर की बेहतर कार्यप्रणाली के चलते डीआईजी संतोष कुमार सिंह को इंदौर जिले की कमान सौंपी तभी से यहां एडीजी विपिन माहेश्वरी के साथ ठन गई और दोनों के बीच वर्चस्व को लेकर शीतयुद्ध शुरू हो गया। इंदौर में ही एसएसपी के बाद आईजी और फिर पदोन्नति के बाद एडीजी के रूप में पदस्थ विपिन माहेश्वरी ने अभी भी थानों तक अपनी पकड़ मजबूत कर रखी है। जो डीआईजी संतोष कुमार सिंह को बर्दाश्त नहीं है। इसलिए आते ही उन्होंने सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को निर्देशित कर दिया कि मुझे बिना बताए कोई कदम न उठाया जाए। ऐसे में दोनों अफसरों के बीच पुलिस विभाग में आदेशों को लेकर विरोधाभासी स्थितियां पैदा होने से मामला शीतयुद्ध में बदल चुका है। एक आदेश जारी करता तो दूसरा उसे नकार देता है। ये स्थितियां बड़े अफसरों में ही नहीं बल्कि क्राइम ब्रांच और टै्रफिक विभाग में भी अफसरों के बीच दिखाई देती हैं। इंदौर पुलिस महकमे में शीतयुद्ध का मामला पुलिस मुख्यालय तक भी पहुंच चुका है। बताया जाता है कि जब से संतोष कुमार सिंह डीआईजी बनकर इंदौर आए हैं तब से उन्होंने जिले की पुलिस को अपने हिसाब से हैंडल करने की कोशिश की है। इस कारण यहां के पुलिस महकमें में दो गुट बन गए हैं।
दोनों अफसरों में चल रही खींचतान का असर निचले स्टाफ पर भी दिखने लगा है। एएसपी-सीएसपी और टीआई एडीजी से मिलने में घबराने लगे हैं। कई अफसर इंदौर आना ही नहीं चाहते। कई यहां से ट्रांसफर की इच्छा जता चुके हैं। एडीजी और डीआईजी के बीच चल रहे शीत युद्ध के कारण एसपी (मुख्यालय) अखिलेश झा और एएसपी (क्राइम) विनय प्रकाश पॉल के बीच खींचतान शुरू हो गई है। दरअसल डीआईजी के निर्देश पर एएसपी (क्राइम) विनय प्रकाश पॉल ने एसपी (मुख्यालय) को रिपोर्ट करना बंद कर दी है। आलम यह है कि शहर में एसपी को बताए बिना अभियान चलाया जाता है। जब भी कोई अपराधी पकड़ा जाता है तो डीआईजी और एएसपी पत्रकार वार्ता कर लेते हैं और इसकी जानकारी न तो झा को दी जाती है और न ही एडीजी को। ऐसे में एडीजी ने एसपी को निर्देश दिया है कि वे ऐसा सुनिश्चित करें कि बिना उन्हें सूचित किए एएसपी कोई धरपकड़ न करें। दरअसल, क्राइम ब्रांच एसपी को बाइपास कर रही है और यही बात अब एसपी के लिए परेशानी बन गयी है। एसपी हेडक्वार्टर अखिलेश झा के पास शहर की क्राइम ब्रांच, ट्रैफिक, अपराध समवंय, महिला थाना और अजाक थाने की जिम्मेदारी है, लेकिन जब भी कोई काम एडिशनल एसपी क्राइम ब्रांच विनय प्रकाश पॉल को बताया जाता है तो वे काम को करने में आनाकानी करने लगते हैं। इस बात को झा कई बार सार्वजनिक कर चुके है। यही नहीं इसके लिए उन्होंने पिछले 4 महीनों में 3 पत्र भी पॉल को लिखे चुके है, लेकिन बावजूद इसके वह काम करने से कतराते हैं।
दरअसल इंदौर की क्राइम ब्रांच मनमाने तरीके से काम कर रही है। डीआईजी इसे अपने हिसाब से संचालित कर रहे हैं। क्राइम ब्रांच की कार्यप्रणाली गुंडा स्कवाड की तरह हो गई है। शहर में छोटी-छोटी चोरी, लूट, चाकूबाजी या राहजनी जैसी वारदात करने वालों के हाथ-पैर तोड़े जा रहे हैं इसको लेकर शहर में पुलिस के खिलाफ डर के साथ ही आक्रोश का माहौल निर्मित हो रहा है। यही नहीं डीआईजी ने  इनामी, लूट, हत्या व हत्या के प्रयास में फरार बदमाशों को पकडऩे वाली टीम को जमकर इनाम दिया था। आलम यह है कि अभी तक डीआईजी ने 21 लाख रुपए का ईनाम बांट दिया है। बिना अनुमति के डीआईजी द्वारा लिए निर्णयों पर एडीजी ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने इनाम का रिकॉर्ड तलब कर लिया और करीब 17 लाख रुपए को अनुचित बताते हुए रोक लगा दी। एडीजी ने करीब 40 रिपोर्ट खारिज की है। एसपी इसका रिकॉर्ड निकाल कर संबंधित पुलिसकर्मी से रुपए वसूलने में जुटे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि क्राइम ब्रांच पर गलत तरीके से कॉल डिटेल, टावर लोकेशन और फोन टेप करने के भी आरोप लगते रहे हैं। साथ ही आरोप लगाया जा रहा है कि डीआईजी के संरक्षण में यह सब हो रहा है। अब देखना यह है कि दोनों अफसरों के बीच चल रहा शीत युद्ध किस परिणाम पर पहुंचता है।
हालांकि जानकार लोगों का मानना है कि अगर बड़े अफसर अपने-अपने हठ त्याग दें तो इंदौर जैसी बेहतर पुलिसिंग प्रदेश में और कहीं नहीं हो सकती। गौरतलब है कि इंदौर जिले सहित जोन में होने वाले तबादले और नए अफसरों की यहां पदस्थापना को लेकर भी शासन को उक्त दोनों अफसरों की पसंद व नापसंद तथा सलाह का ध्यान रखता है लेकिन चर्चा है कि एडीजी विपिन माहेश्वरी व डीआईजी संतोष कुमार सिंह के बीच शीतयुद्ध के बीच कई पुराने अफसर यहां फील्ड से परहेज कर रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सपनों का शहर इंदौर रखवालों की आपसी लड़ाई से बेहाल हो रहा है।
-इंदौर से विकास दुबे

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