घायल की मदद पर अब पुलिस नहीं करेगी परेशान
16-Mar-2016 08:14 AM 1234833

अब अगर आप सड़क पर घायल पड़े व्यक्ति की मदद करते हैं तो आपको न तो पुलिस परेशान करेगी, न अस्पताल और न ही  कोर्ट। क्योंकि घायलों की मदद करने वाले व्यक्ति को कानूनी सुरक्षा देने के लिए गृह विभाग ने नए एक्ट का ड्राफ्ट बनाया है, जिसमें ऐसे सभी प्रावधान शामिल किए हैं।  एक्ट का नाम गुड समेरटन एक्टÓ यानी मददगार नागरिक प्रोत्साहन अधिनियम रखा गया है। इस एक्ट के ड्राफ्ट को मंजूरी के लिए मुख्य सचिव को भेज दिया गया है। अगर उक्त प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो जल्द ही यह एक कानून के तौर पर प्रदेश में लागू हो जाएगा।
गृह विभाग में सचिव डीपी गुप्ता ने इस एक्ट को अमली जामा पहनाया है। इसके लिए उन्होंने वर्षों कड़ी मेहनत की है। मप्र में पहली बार इस तरह का एक्ट आएगा, जिससे यह उम्मीद बढ़ेगी कि सड़क हादसे में घायलों को आम लोगों से तत्काल मदद मिले। अस्पताल भी उसी भावना से काम करें। कुछ माह पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को रोड सेफ्टी के साथ ये निर्देश भी दिए थे कि घायलों की मदद करने वालों की सुरक्षा की भी पहल की जाए। ऐसे में यह एक्ट न केवल सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुकूल है बल्कि आम आदमी के लिए भी सहायक है।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में सड़क पर एक्सीडेंट हो जाए और कोई गाड़ी वाला घायल को अस्पताल पहुंचा दे। फिर उसकी सूचना थाने को दे तो कई बार पुलिस उसे ही आरोपी समझकर कार्रवाई शुरू कर देती है। ब्लाइंड एक्सीडेंट के केस में भी ऐसा देखा जाता है। अभी तक किसी एक्ट में घायल की मदद करने वाले को सुरक्षा नहीं मिली है। इस नए एक्ट से मदद करने वाले को सुरक्षा मिल सकेगी। यही नहीं इससे लोगों में घायलों की मदद करने में हिचक नहीं होगी। इस एक्ट के तहत स्वेच्छा से जब तक कोई न कहे, पुलिस जबरन गवाह नहीं बना सकती। साथ ही एफआईआर दर्ज कराने के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता। घायल को यदि कोई अस्पताल ले जाता है तो अस्पताल प्रशासन रिकॉर्ड में गवाह के तौर पर व्यक्ति की बिना सहमति के नाम दर्ज नहीं कर सकेंगे। अस्पताल मददगार से इलाज का खर्च भी नहीं मांगेंगे। कोर्ट समन जारी नहीं कर सकेंगे। यदि कोई विवाद की स्थिति बनती है तो राज्य स्तर पर अथॉरिटी बनेगी, जो सुनवाई करेगी। इस एक्ट के लागू होने से प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में भी कमी आएगी। क्योंकि अभी लोग सड़क दुर्घटनाओं में किसी की मदद करने से कतराते हैं।
ताकि अपराध पीडि़तों का हो सके भला
गृह विभाग अपराध पीडि़त लोगों की तत्काल सहायता के लिए भी योजना बना रहा है। इसके लिए वह अपराध पीडि़त कल्याण मंडल बनाने की तैयारी कर रहा है। विभाग के सचिव डीपी गुप्ता कहते हैं कि किसी भी आपराधिक प्रकरण में सभी का ध्यान इस ओर होता है कि वह अपराधी को सजा दिला सके। लेकिन अपराध पीडि़त की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता है। इसलिए विभाग की यह कोशिश है कि
अपराध पीडि़तों के लिए एक कल्याण मंडल बनाया जाए। इसके तहत सरकार की वर्तमान में जो व्यवस्था है। उसके अनुसार उन्हें
तत्काल सहयोग प्रदान किया जाए। इसके पीछे जड़मूल अवधारणा यह है कि जो अपराध पीडि़त व्यक्ति होते हैं उनके अंदर हीनता की भावना न आए।
अनुमानत: प्रदेश में सवा दो लाख अपराध होते हैं, जिनमें से एक लाख गंभीर अपराध होते हैं। एक अपराध से अगर एक परिवार के 4 लोग प्रभावित होते हैं तो प्रदेश में प्रभावितों की संख्या लगभग 4 लाख हो जाती है। औसतन एक मामले में न्याय मिलने में पांच साल का समय लग जाता है। ऐसे में अगर देखा जाए तो करीब 20 लाख लोग तो हर समय अपराध से प्रभावित रहते ही हैं। गुप्ता कहते हैं कि विभाग की कोशिश है कि ऐसे जरूरतमंद समूह के लिए नई योजना फिलहाल भले ही न बन पाए। लेकिन पुरानी से इनका कल्याण हो। इसके लिए जिला, संभाग और राज्य स्तर पर समिति बने। इससे एक मूल काम यह होगा कि अपराध पीडि़त से पुलिस का संवाद हो सकेगा। अभी तक अपराध पीडि़त से कोई संवाद नहीं हो पाता है। अगर संवाद होगा तो पीडि़त को क्या समस्या है, उसे कोई परेशान तो नहीं कर रहा है इन सबका पता चल सकेगा। गुप्ता कहते हैं कि यह कम्युनिटी पुलिसिंग की दिशा में भी एक सार्थक कदम है। वह कहते हैं कि इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि अगर कोई अपराध पीडि़त अपराध दर्ज कराता है तो उसके केस की प्रोग्रेस रिपोर्ट उसे लगातार दी जाए। वह कहते हैं कि जल्द ही इस कल्याण मंडल की रूपरेखा तैयार कर सरकार को भेजा जाएगा।
-विशाल गर्ग

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^