15-Apr-2013 11:21 AM
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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा से कितना बदलाव होगा यह तो कहना मुश्किल हैं किंतु छत्तीसगढ़ कांग्रेस के विभिन्न नेता परिवर्तन यात्रा में भरपूर मेहनत कर रहे हैं और कुछ नेताओं के बीच इस बात की होड़ है कि वह सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरे। दरअसल पिछले दिनों राज्य के गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने प्रदेश के अधिकारियों को पहले कांग्रेस का दलाल करार दिया और फिर उन्हें हरामखोर तक कह डाला। इस बयान ने कांग्रेसी खेमें को उत्साहित कर दिया है। ननकीराम कंवर वैसे भी रमन सिंह को परेशानी में डालते रहे हैं और इस बार तो उन्होंने प्रदेश की नौकरशाही को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। कंवर के बयान से जो प्रदेश सरकार की किरकिरी हो रही है वह अच्छा संकेत नहीं है आने वाले दिनों में इसका दुष्प्रभाव अवश्य देखने को मिलेगा क्योंकि नौकरशाही प्रदेश में सत्तासीन दल के रवैये से अब नाखुश नजर आने लगी है। हालांकि रमन सिंह भरसक कोशिश कर रहे हैं कि चुनाव से पहले नौकरशाही में किसी प्रकार का असंतोष न उत्पन्न हो। इसी क्रम में उन्होंने आदिवासी छात्रावासों में छात्राओं के साथ हुए दुष्कर्म के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई तो की लेकिन नौकरशाही को एक शब्द भी नहीं बोला। उधर कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा की शुरुआत अंबिकापुर से हो चुकी है। इस यात्रा में यद्यपि कांग्रेस की एकजुटता दिखाई दी तथापि पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी ने अपने प्रतिद्वंदियों को कहीं न कहीं चुनौती दे डाली। जोगी छत्तीसगढ़ी में जिस अंदाज से बोल रहे थे उससे साफ झलक रहा था कि वे पूरे जनसमुदाय को यह आश्वस्त करना चाहते हैं कि सत्ता परिवर्तन के बाद सरकार में उनकी क्या भूमिका रहेगी। यह अच्छी बात है कि मध्यप्रदेश के विपरीत छत्तीसगढ़ में परिवर्तन यात्रा के समय मोतीलाल वोरा, बीके हरिप्रसाद, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री चरणदास महंत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, नेता प्रतिपक्ष रवींद्र चौबे, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महिला कांग्रेस अध्यक्ष अंबिका मरकाम, पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा जैसे दिग्गज नेता एक ही मंच पर उपस्थित थे और अजित जोगी तो उपस्थित थे ही। जोगी का कहना था कि सरकार ने कोयला, पानी, जंगल, बाक्साइड सहित सारी खनिज संपदा को लूटने के लिए कंपनियों को खुली छूट देकर रखी है और यदि यही हाल रहा तो नदी, जंगल, जमीन सब कुछ कंपनियों को बेंच दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि पांच रुपए में दाल-भात भले ही आम आदमी को न मिले लेकिन जमाखोरों को प्रोत्साहन जरूर मिलता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल भी परिवर्तन रैली में काफी मुखर दिखाई दिए। विद्याचरण शुक्ल कभी जोगी की गुटबाजी के कारण मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए थे, इसलिए उनके मन में टीस तो हैं, लेकिन एकजुटता के बगैर चुनाव नहीं जीता जा सकता। इसीलिए मोतीलाल वोरा भी अब यह चाह रहे हैं कि पहले कांगे्रस को जिताया जाए उसके बाद भविष्य का फैसला किया जाए। छत्तीसगढ़ के प्रभावी वीके हरिप्रसाद ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस में गुटबाजी की बात को गलत बताया है और कहा है कि सभी नेता एकजुट हैं।
उधर कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के जवाब में छह मई से मुख्यमंत्री रमन सिंह विकास यात्रा निकालने जा रहे हैं। खास बात यह है कि इस विकास यात्रा से पहले ही रमन सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी को एक तरह से वाकओवर दे दिया है और प्रदेश के 90 विधानसभा क्षेत्रों में से केवल अजित जोगी की विधानसभा सीट मरवाही और उनकी पत्नी रेणु जोगी की विधानसभा सीट कोटा को उन्होंने अपनी विकास यात्रा से वंचित रखा है। जोगी ने इसे कोटा तथा मरवाही की उपेक्षा करार दिया है। लेकिन भाजपा ने सोची-समझी रणनीति के तहत इन दोनों विधानसभाओं को रमन सिंह के विकास यात्रा से वंचित किया है। क्योंकि उन्हें यह मालूम है कि जोगी को लेकर कांग्रेस में हालात अच्छे नहीं हैं। इधर रमन सिंह की विकास यात्रा का विरोध भी शुरू हो गया है। प्रदेश की नवागढ़ विधानसभा सीट में किसानों के बीच बिजली कटौती को लेकर असंतोष उभर आया है, किसानों का कहना है कि इस क्षेत्र में लगातार बिजली कटौती की जा रही है। जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा है। समझा जाता है कि नवागढ़ के अलावा कई और क्षेत्र ऐसे हैं जहां बिजली एक प्रमुख मुद्दा बन सकता है। दिलचस्प बात यह है कि इलाके के कुछ भाजपाई भी लगातार बिजली कटौती से तंग आकर अब यह चाह रहे हैं कि रमन सिंह की विकास यात्रा के दौरान इस मुद्दे पर विरोध प्रकट किया जाए ताकि उन्हें ये ज्ञात हो सके कि बिजली की समस्या किस कदर भयानक होती जा रही है।
वैसे देखा जाए तो प्रदेश में बिजली, सड़क, पानी का मुद्दा उतना प्रभावी नहीं है, जितना कि राज्य की कानून व्यवस्था और राज्य में व्याप्त बेरोजगारी तथा गरीबी का मुद्दा प्रभावी है। कांग्रेस ने भी मुख्य रूप से इन्हीं मुद्दों के इर्द-गिर्द अपना चुनावी अभियान समेटा है। कांग्रेस का अनुमान है कि परिवर्तन यात्रा से वह रमन सरकार के भ्रष्टाचार का विरोध कर सकेगी। बीके हरिप्रसाद ने भी परिवर्तन यात्रा के शुभारंभ के अवसरपर यही कहा था कि केंद्र में बैठी मनमोहन सरकार तो छत्तीसगढ़ को हजारों करोड़ रुपए दे रही है पर रमन सरकार का भ्रष्टाचार इन योजनाओं को आगे नहीं आने दे रहा है। इससे राज्य की उन्नति पर दुष्प्रभाव पड़ा है। देखना है कि कांग्रेस के इन आरोपों को जनता किस नजरिए से देखती है।
रायपुर से टीपी सिंह