16-Mar-2016 07:36 AM
1234849
अभी तक राबर्ट वाड्रा के जमीन घोटाले पर कांग्रेस को गाहे-बगाहे घेरती आ रही भाजपा एक अनार (गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की बेटी अनार पटेल) के कारण इन दिनों बीमार नजर आ रही है। आलम यह है कि जब से अनार पटेल

के कारोबारी साझेदारों को मिली एक जमीन अब भाजपा के गले की हड्डी बन रहा है। इस मामले को लेकर विपक्ष ही नहीं बल्कि भाजपा के नेता भी अपनी पार्टी को घेरने में लग गए हैं। पार्टी के बड़े नेताओं का भी कहना है कि यह मामला मोदी के भ्रष्टाचार मुक्त भारत के वादे को बड़ा झटका दे सकता है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार राबर्ट वाड्रा के जमीन घोटाले पर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने वाली भाजपा के लिए आनंदीबेन पटेल की बेटी अब राबर्ट वाड्रा बन सकती हैं।
दिलचस्प बात यह है कि मोदी के गृह प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री और उनकी विश्वासपात्र होने के बावजूद आनंदीबेन पटेल को बचाने के लिए अभी तक भाजपा ने अपने प्रवक्ताओं की फौज नहीं उतारी है। पार्टी के अंदरखानों में इस बात की चर्चा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष से अनुमति मिलने के बाद ही प्रवक्ता इस मामले पर अपना मुंह खोलेंगे। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि 2010-11 में आनंदीबेन पटेल के राजस्व मंत्री रहते उनकी बेटी को कौडिय़ों के भाव जमीन दी गई। 45 वर्षीय अनार जयेश पटेल के कारोबारी साझेदार उस कंपनी के मालिक भी हैं जिसके पास मशहूर गिर वन्य अभयारण्य से लगती करीब 400 एकड़ जमीन है। रिपोर्ट के मुताबिक इसमें से 250 एकड़ जमीन कंपनी को 15 रु प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से दी गई है। 250 एकड़ सरकारी जमीन वाइल्डवुड्स रिसॉर्ट्स एंड रियैलिटीज नाम की एक कंपनी को आवंटित होने के बाद अनार पटेल और उनके कारोबारी सहयोगियों के बीच करोड़ों रु. के लेन-देन हुए। अनार पटेल खुद को एक सामाजिक कार्यकर्ता और उद्यमी बताती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के दस्तावेज बताते हैं कि 2010-11 में गुजरात सरकार द्वारा 250 एकड़ सरकारी जमीन वाइल्डवुड्स रिसॉर्ट्स एंड रियैलिटीज नाम की एक कंपनी को आवंटित होने के बाद अनार पटेल और उनके कारोबारी सहयोगियों के बीच करोड़ों रु. के लेन-देन हुए। वाइल्डवुड्स के मौजूदा प्रमोटर दक्षेश शाह और अमोल श्रीपाल सेठ अनार पटेल के कारोबारी साझेदार हैं। अनार पटेल, शाह और सेठ, तीनों का कहना है कि कुछ भी गलत नहीं हुआ है।
लेकिन ऐसा नहीं लगता। जिस जमीन की बात हो रही है वह गुजरात के अमरेली जिले में पड़ती है और गिर वन्य अभयारण्य से लगी हुई है। यानी उसमें आकर्षक व्यावसायिक संभावनाएं हैं। वाइल्डवुड्स को सरकार से आगे और भी 172 एकड़ खेती की जमीन खरीदने और उसका भू उपयोग बदलने के लिए अनुमति भी मिली है। जब यह फैसला हुआ तब गुजरात की राजस्व मंत्री आनंदीबेन पटेल थीं। इस तरह के फैसले राजस्व विभाग की अनुमति से ही होते हैं। आनंदीबेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी यह मंत्रालय उनके पास है। जब जमीन आवंटन के आदेश हुए तो वाइल्डवुड्स के प्रमोटर दुबई से अपनी गतिविधियां चलाने वाले संजय धानक थे। यह 2010 की बात है। 2011-12 में शाह और सेठ ने इसका नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। धानक का कहना है कि उस जमीन पर एक रिसॉर्ट बनाने की योजना थी लेकिन फिर उन्हें मामला जमा नहीं। इसके बाद उन्होंने अपनी हिस्सेदारी दक्षेश शाह को बेच दी।
दक्षेश शाह की अनार पटेल की कंपनी अनार प्रोजेक्ट में 50 फीसदी की हिस्सेदारी है। इसके अलावा शाह की फर्म पाश्र्व टेक्सकैम, जो वाइल्डवुड्स की भी मालिक है, की अनार पटेल की रैलिश फार्मास्यूटिकल्स में भी अच्छी-खासी हिस्सेदारी है। शाह का कहना है कि वाइल्डवुड्स ने कभी अनार पटेल से जुड़ी कंपनियो के साथ कोई वित्तीय लेन-देन नहीं किया। लेकिन रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी के दस्तावेज इसके उलट कहानी बताते हैं जिनमें लोन या एडवांस जैसी गतिविधियों के रूप में करोड़ों रूपए का लेन-देन हुआ है। साथ ही, सरकारी जमीन के घालमेल का यह मामला गुजरात चुनाव के ठीक एक साल पहले कैसे बाहर आया? भाजपा के एक बड़े नेता कहते हैं, इस मामले में दिल्ली में बैठे बड़े नेताओं की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता। खबर है कि भाजपा के भीतर कुछ लोग आनंदीबेन को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद फिर से मुख्यमंत्री नहीं बनने देना चाहते। जाहिर है कि बेटी-बेटों के खिलाफ बाहर आए मामलों से आनंदी बेन की स्थिति काफी कमजोर हुई है।
हितों का टकराव
उस समय आनंदीबेन पटेल गुजरात की राजस्व मंत्री हुआ करती थीं और राजस्व मंत्रालय ही ऐसी जमीन देने वाली नोडल अथॉरिटी था। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी आनंदी बेन ने राजस्व विभाग और अर्बन डेवलपमेंट विभाग अपने पास ही रखा है। इन दोनों विभागों का उनके बच्चों के कारोबारी हितों से सीधा टकराव है।
-इंद्रकुमार