16-Mar-2016 06:59 AM
1234787
तिल-तिल जोड़कर गरीबों ने जो पूंजी बनाई उसे दोगुना-तिगुना करने का लालच देकर चिटफंड कंपनियों ने जमा कराया और भाग निकलीं। इससे कई लोगों का सपना टूट गया, वहीं कइयों का बुढ़ापे का आधार छिन गया। न खेत बचा, न ही

पैसे रहे और न ही रोजी-मजदूरी करने की ताकत है, ऐसे में वे मौत से बदतर जिंदगी जीने मजबूर हैं। यह पीड़ा है छत्तीसगढ़ के लाखों लोगों की। जिसको लेकर विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कई बार हंगामा हो चुका है। कांग्रेस सदस्यों का आरोप है कि सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रदेश जनआंदोलन की चपेट में है। धोखाधड़ी से प्रताडि़त होकर हजारों लोग प्रदर्शन कर रहे हैं और विधानसभा का घेराव करने के लिए सड़क पर उतर आए हैं। लेकिन सरकार पीडि़तों को न्याय दिलाने से कतरा रही है।
नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के लोगों का जितना शोषण नक्सलियों ने किया है उससे अधिक कहीं ज्यादा चिटफंड कंपनियां कर रही हैं। आलम यह है कि पिछले एक दशक में करीब 400 से अधिक चिटफंड कंपनियां लोगों के साथ करीब 1500 करोड़ की धोखाधड़ी कर भाग गई है। अब आरोप लग रहे हैं कि छत्तीसगढ़ की गरीब जनता का पैसा लेकर भागी चिटफंड कंपनी को सरकार बचा रही है। पुलिस कंपनी के संचालकों पर कार्रवाई करने के बाद भी पैसा वापस दिलाने में मदद करने के बजाय अभिकर्ताओं को परेशान कर रही है। इसके विरोध में छत्तीसगढ़ अभिकर्ता संघ के बैनर तले कई बार धरना-प्रदर्शन और भूख हड़ताल हो चुकी है। कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा कहते हैं कि पूरा प्रदेश जनआंदोलन की चपेट में है। कहीं सत्याग्रह हो रहा है तो कहीं चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी के शिकार लोग विधानसभा घेरने को मजबूर हो रहे हैं। बूढ़ापारा से आंदोलन की शुरुआत हुई है। सरकार फैसला नहीं ले पा रही है और आंदोलन के कारण जनजीवन असामान्य हो गया है। विधायक भूपेश बघेल का कहना है कि धोखाधड़ी करने वाले सरकार के संरक्षण में खुले घूम रहे हैं। एजेंट आत्महत्या कर रहे हैं। सरकार इस पर ठोस निर्णय लेकर कार्रवाई करे। विधायक धनेंद्र साहू ने कहते हैं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में सात लोगों ने आत्महत्या की है। धोखाधड़ी से प्रताडि़त होकर हजारों लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार इसका निराकरण करने और राहत देने कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है। विधायक मोतीलाल देवांगन कहते हैं कि सरकार द्वारा स्पेशल सेल बनाकर जांच कराने की बात कही गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मरवाही विधायक अमित जोगी ने निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए सरकार द्वारा अलग से प्रावधान किए जाने का सुझाव दिया है।
छत्तीसगढ़ अभिकर्ता संघ के अध्यक्ष गगन कुंभकार कहते हैं कि गरीबों की जमा पूंजी डकारने वाली कंपनी के डायरेक्टरों की सम्पत्ति कुर्क करना तो दूर, इसको लेकर सरकार की मंशा भी नजर नहीं आ रही है। पाटन की रजमत यादव ने बताया कि सरकार ने खेत बेचने मजबूर दिया था। खेत बेचकर मिले 10 लाख रुपए को 5 साल के लिए फिक्स डिपॉजिट किया था। कंपनी वह पैसा लेकर भाग गई, अब न खेत है न पैसा। जीवन में केवल संघर्ष रह गया है। प्रदेश में लोगों से निवेश के नाम पर करोड़ों रुपए वसूलने में लगी चिटफंड कंपनियों की कुंडली खंगालने पर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। प्रदेशभर में करीब 400 से अधिक चिटफंड कंपनियां फर्जी पाई गई हैं। इन कंपनियों ने पांच साल में 500 से 700 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है। स्पेशल सेल ने चिटफंड कंपनियों के कामकाज के तरीकों के साथ उनके दफ्तरों में जाकर एक-एक दस्तावेजों की जांच की। अफसरों का दावा है कि पुलिसिया जांच के घेरे में सैकड़ों चिटफंड कंपनियां फंस रही हैं।
करोड़ों रुपए जुटाकर रातोरात गायब
कई कंपनियां कुछ महीने के भीतर करोड़ों रुपए जुटाकर रातोरात दफ्तर बंद कर गायब हो चुकी हैं। जब तक पुलिस के पास धोखाधड़ी के शिकार लोग पहुंचते हैंए तब तक काफी देर हो चुकी होती है। कुछ महीने पहले राजेंद्रनगर में एचबीएन कंपनी का फर्जीवाड़ा सामने आया। कंपनी के लोग निवेशकों को बिना पैसे दिए फरार हो गए। पीडि़तों ने मुख्यमंत्री डॉ. सिंह से मिलकर शिकायत की तब जाकर पुलिस सक्रिय हुई। कंपनी के संचालकों खिलाफ दो अलग-अलग प्रकरण दर्जकर पुलिस उनकी तलाश कर रही है। राजधानी समेत प्रदेशभर में संचालित 400 चिटफंड कंपनियां फर्जी हैं। ये सेबी और आरबीआई से रजिस्टर्ड नहीं हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि ये फर्जी कंपनियां लोगों को सहकारिता को-ऑपरेटिव सोसाइटीए रजिस्टर्ड ऑफ कंपनी, आरबीआई या सेबी से रजिस्टर्ड होने का दावा कर भोले-भाले निवेशकों को खुलेआम लूट रही हैं। आरबीआई और सेबी के रीजनल दफ्तर से जानकारी लेने पर पता चला कि प्रदेश में एक भी चिटफंड कंपनी रजिस्टर्ड ही नहीं है।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला