नौकरशाहों पर एसीबी का वार
03-Mar-2016 07:43 AM 1234878

त्तीसगढ़ में भ्रष्ट और दागी आईएएस और आईएफएस अफसरों पर अब एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा का शिकंजा कस सकता है। वजह यह बताई जा रही है कि इन्ही अफसरों के खिलाफ आर्थिक अनियमितताओं, भ्रष्टाचार के साथ-साथ बेहिसाब दौलत जमा करने की गंभीर शिकायतें हैं। इन शिकायतों पर कार्रवाई से ये अफसर कानून के कठघरे में आ सकते हैं। राज्य में लंबे समय से अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। अब तक 50 से अधिक अफसरों पर कानून का फंदा कस चुका है। एसीबी द्वारा की जा रही कार्रवाई को लेकर आईएएस और आईएफएस अफसरों में नाराजगी है। इन काडर के अधिकारियों की शिकायत है कि कार्रवाई करने वाले आईपीएस अधिकारी जानबूझकर आईएएस और आईएफएस अफसरों को निशाना बना रहे हैं। एडीजी एसीबी मुकेश गुप्ता ने कहा है कि जिसके खिलाफ शिकायत मिलेगी, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। एसीबी की कार्रवाई अब रुकेगी नहीं।
अब आईएएस अफसरों के बाद आईएफएस अफसरों ने एंटी करप्शन ब्यूरो के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वन मंत्री महेश गागड़ा के साथ आईएफएस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से मिलकर एसीबी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए, तो अगले दिन एसीबी ने उन आईएफएस अधिकारियों की संपत्ति की सूची जारी कर दी, जिन पर 16 जनवरी को कार्रवाई की गई थी। एसीबी ने तीन आईएफएस समेत 9 अधिकारियों के पास से 22 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति मिलने का खुलासा किया है। हालांकि कोई भी आला अधिकारी इसकी पुष्टि करने को तैयार नहीं है। बताया जा रहा है कि कई विभाग के छोटे-बड़े एक दर्जन अधिकारियों के खिलाफ पुख्ता शिकायत मिली है। इन शिकायतों की जांच भी कर ली गई है। एसीबी सूत्रों की मानें तो फरवरी में बड़ी कार्रवाई हो सकती है। इस कार्रवाई की जद में एक बार फिर आईएफएस अफसर आ सकते हैं। अब तक दो अफसरों पर ईओडब्ल्यू व एसीबी में प्रकरण दर्ज है। इनमें वीके धुर्वे और रणबीर शर्मा शामिल हैं।
आईएफएस शिवशंकर बडग़ैय्या के पास से 4 करोड़ 86 लाख, अली हुसैन कपासी के पास से 4 करोड़ 15 लाख और किशोर कुमार बिसेन के पास से 1 करोड़ 58 लाख रुपए मिले हैं। सीएमओ मुंगेली एसके बघेल से 3 करोड़ 2 लाख, रेंजर टेकराम वर्मा से दो करोड़ 80 लाख, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के सुप्रिन्टेंडेंट गोरेलाल ठाकुर से 2 करोड़ 54 लाख, कार्यपालन अभियंता टीआर कुंजाम से एक करोड़ 30 लाख, प्राचार्य रामशरण नायक से एक करोड़ 37 लाख और ग्रामोद्योग एवं हथकरघा उप संचालक मनमोहन सिंह जोशी से एक करोड़ 83 लाख रुपए मिले हैं। अफसरों पर कार्रवाई को लेकर यह सवाल उठ रहा है कि आखिर अखिल भारतीय सेवा के आईएएस और आईएफएस अफसरों पर ही क्यों कार्रवाई हो रही है। इस मुद्दे पर अधिकारियों का कहना है कि भ्रष्टाचार के सबसे ज्यादा मामले विकास की योजनाओं के आ रहे हैं।
इन योजनाओं को कराने की जिम्मेदारी प्रशासनिक और वन सेवा के अफसरों की है। अधिकारियों ने बताया कि जो भी अधिकारी कार्रवाई के दायरे में आए हैं, वह सड़क, नहर, ओवरब्रिज निर्माण की योजनाओं के अधिकारी हैं। वन विभाग के अधिकारियों के पास कैंपा से लेकर मनरेगा तक का फंड आ रहा है। इसमें गड़बडिय़ों की जमकर शिकायत हो रही है।
आईएएस टी राधाकृष्णन की होगी विभागीय जांच
राजस्व घोटाले में फंसे 1978 बैच के आईएएस अफसर टी राधाकृष्णन 15 हजार पेज के आरोप पत्र का जवाब नहीं दे सके। अब उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू होने जा रही है। टी राधाकृष्णन को 30 दिसंबर 2014 को 15 हजार पेज का आरोप पत्र जारी किया गया था तथा एक हफ्ते में जवाब मांगा गया था। उन्होंने 23 फरवरी 2015 को सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखकर कहा था कि इतना लंबा आरोप पत्र पढऩे व उसका जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय पर्याप्त नहीं है। उनका कहना था कि वे मुख्य सचिव स्तर के अफसर हैं लिहाजा व्यस्त रहते हैं। ऐसे में कम से कम छह महीने का समय मिलना चाहिए। इसके बाद से वे समय देने की मांग को लेकर लगातार पत्र लिखते रहे। हाल ही में एक ऐसा ही पत्र उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग को लिखा था जिसमें कई आरोप लगाते हुए आरोपों को खारिज करने की मांग की थी। उनका कहना था कि 15 हजार पेज के आरोप पत्र में से अगर वे रोज सौ पेज भी पढ़ते हैं तो छह महीने तो लगेंगे ही। यह भी आरोप था कि आरोप पत्र जारी करने से पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी नहीं किया गया। वे पत्र पर पत्र लिखते रहे व आरोपों का जवाब नहीं दिया। इस बीच शासन ने उनके खिलाफ आरोपों की जांच पूरी कर ली है तथा विभागीय जांच शुरू करने की तैयारी कर ली गई है। टी राधाकृष्णन पर फरवरी 2008 से दिसंबर 2010 के बीच छत्तीसगढ़ राजस्व मंडल के अध्यक्ष रहने के दौरान आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों तथा उद्योगों को देने के आरोप लगे थे। राजस्व बोर्ड की अनियमितता को लेकर शासन ने हाईकोर्ट में रिट दायर की थी। हाईकोर्ट ने भी राजस्व बोर्ड के फैसलों की समीक्षा कर फिर से रिट दायर करने के आदेश दिए थे। इसके बाद राज्य सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव नारायण सिंह की अध्यक्षता में राजस्व मंडल के सभी मामलों की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था और टी राधाकृष्णन को सस्पेंड कर दिया था। साल भर बाद वे बहाल हुए। वर्तमान में टी राधाकृष्णन वेयर हाउस कार्पोरेशन में प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। कैट में भी उनके मामले की सुनवाई चल रही है।
-रायपुर से संजय शुक्ला के साथ टीपी सिंह

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