अब सिस्टम से लाचार
16-Mar-2016 06:53 AM 1234787

सूखे की मार, भूखमरी के हालात और सरकारी दावों का जमीनी खोखलापन बुंदेलखंड का दर्द है। इसे कोई सुनने वाला नजर नहीं आ रहा। सरकार का मुआवजा कुछ राहत देता है, लेकिन इसमें गड़बडिय़ों का यह आलम है कि चारों ओर से शिकायतों का अंबार लग चुका है। सीधे तौर पर किसान की राहत कोष में एक बार फिर सरकारी मशीनरी ने अपना खेल कर दिया।
पिछले चार साल से बुंदेलखंड का किसान तबाही झेलता चला आ रहा है। अब तो हालात और गंभीर हो चले हैं। बारिश नहीं हुई तो रबी फसल की उम्मीद पर भी पानी फिर गया। बुंदेलखंड में इस बार अकाल से हालात हैं। यहां की औसत बारिश 1145.7 मिमी है। इस बार 1 जून से 30 अक्टूबर के बीच मात्र 643.2 मिमी ही बारिश हुई है। सबसे अधिक चितांजनक हालात टीकमगढ़ जिले का है जहां इस दौरान मात्र 484.1 मिमी ही बारिश मापी गई। जबकि यहां की औसत बारिश का पैमाना 1000.2 मिमी है। छतरपुर में भी औसत से करीब 50 फीसद कम बारिश हुई है। यहां मात्र 596.6 मिमी बारिश मापी गई। इसी तरह सागर में 703.4, दमोह में 775.7 और पन्ना जिले में 656.2 मिमी बारिश का आंकड़ा यहां के हालातों को बयां करता है। पिछली खरीफ की फसल तबाह हो गई थी। सरकार ने पिछली रबी फसल का मुआवजा सहित हाल की फसलों के मुआवजे वितरण का ऐलान कर दिया था।
सरकार ने घोषणा की थी कि किसानों से बैंक और विद्युत बिलों की वसूली न की जाए। यह घोषणा तब कागजी बनकर रह गई जब टीकमगढ़ जिले के मोहनगढ़ इलाके में बिजली विभाग ने किसानों को बकाया बिल जमा करने हेतु नोटिस थमा दिए। क्षेत्र के कनिष्ठ अधिकारी एनके श्रीवास का कहना था कि जबलपुर मुख्यालय के आदेश पर कार्यवाही की जा रही है। अब अगर सरकारी मुआवजा वितरण की बात की जाए तो जिला मुख्यालय पर प्रत्येक मंगलवार को आयोजित होने वाली जनसुनवाई में सबसे अधिक शिकायतें मुआवजा वितरण धांधली की आ रही है।
सागर संभाग की 47 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। फसल बीमा योजना के तहत पूरे संभाग में मात्र 72697 किसानों को ही 83 करोड़ 70 लाख रुपए वितरित करने का प्रावधान सामने आया। फसल बीमा के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं। सागर जिले में जहां 54476 किसानों को 70 करोड़ रुपए वितरित होंगे। वहीं टीकमगढ़ जिले में 983 किसानों को 20 लाख, पन्ना में 3808 किसानों को 2 करोड़ 29 लाख, दमोह में 6005 किसानों को 4 करोड़ 87 लाख और छतरपुर जिले में 7425 किसानों को 6 करोड़ 34 लाख रुपए वितरित होंगे। फसल बीमा का यह कौन सा मापदंड रहा अन्नदाता भी इसे नहीं समझ पा रहे हैं। मुआवजा वितरण का मामला भी पूरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। पटवारियों पर आरोप लग रहे हैं कि इसके एवज में उन्होंने जम कर उगाही की। सागर जिले में तो 95 हजार से अधिक किसानों को अभी भी मुआवजे का इंतजार है। यहां 28 दिसंबर तक 2 लाख 73 हजार 639 किसानों को 1 अरब 44 करोड़ रुपए मुआवजा बांटा जा चुका था। जबकि प्रभावित किसानों की कुल संख्या 3 लाख 71 हजार है। यहां भी किसानों का आरोप है कि समिति में खाता खुलवाने से लेकर मुआवजा मिलने तक सुविधा शुल्क लिया जा रहा है। छतरपुर जिले में तो मुआवजा वितरण का भ्रष्टाचार पुलिस तक जा पहुंचा है। राजनगर तहसील के ग्राम सेवडीं निवासी रामसनेही ने बाकायदा पटवारी के खिलाफ पुलिस अधीक्षक को आवेदन दिया। इसमें पटवारी पर विभागीय अधिकारियों के साथ मिल कर राहत राशि वितरण में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है। शिकायती आवेदन के अनुसार इस गांव की मुआवजा सूची में उन लोगों के नाम दर्ज हैं जो गांव के नहीं हैं और न ही कृषि कार्य करते हैं। इसी तरह बिजावर के गांव डारागुवां के किसानों ने भी पटवारी पर रिश्वत लेने के आरोप लगाए।
जनसुनवाई के दिन किसानों की व्यथा के सबसे अधिक मामले अधिकारियों के सामने आ रहे हैं। सागर संभाग में पूर्व में किसानों को मिलने वाली राहत राशि में भारी भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहे हैं। जानकारों का मानना है कि इस मर्तबा भी मुआवजा वितरण एक बड़ा घोटाला बनकर निकलेगा। अन्नदाता फिर अगली फसल का इंतजार करेगा और सरकारी तंत्र मौज उड़ाएगा।
-रजनीकांत पारे

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