03-Mar-2016 09:19 AM
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मध्यप्रदेश में कुपोषित बच्चोंं को सुपोषित करने के लिए सरकार द्वारा सुपोषण योजना चलाई गई है उसका असर दिखने लगा है। महिला एवं बाल विकास विभाग का कहना है कि इस योजना से कुपोषित बच्चों की स्थिति में सुधार आया है।

दरअसल इस अभियान के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों की व्यवस्था सुधारने और कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और आमजन द्वारा बच्चों को गोद लेने की अपील की गई है। सरकार की इस अपील के बाद करीब 86 हजार लोगों ने विभिन्न आंगनवाडिय़ों में जाकर बच्चों को गोद लिया है। गोद लेने वालों को महीने में एक बार इसकी मॉनिटरिंग भी करना है। इसके साथ ही आंगनवाड़ी केंद्रों की सहायिकाओं से समय-समय पर केंद्रों की व्यवस्था के बारे में जानकारी लेना है। लेकिन न तो आमजन और न ही अधिकांश अधिकारी और जनप्रतिनिधि गोद लेने वाले बच्चों की सुध लेने पहुंचे।
महिला एवं बाल विकास मंत्री माया सिंह कहती है कि यह सराहनीय है कि सरकार के आहवान के बाद जनप्रतिनिधियों के साथ ही अफसर और आमजन भी बच्चों को गोद लेने के लिए आगे आए हैं। इससे प्रदेश में कुपोषण के मामलों में कमी आई है। उन्होंने बताया कि सुपोषण योजना के साथ ही स्नेह सरोकार योजना भी कारगर साबित हुई है। दरसअल, प्रदेश में कुपोषित बच्चों के लिए स्नेह सरोकार योजना चलाई जा रही है। जिसके तहत 12 दिन के शिविर में कुपोषित मां और बच्चों को चिकित्सकों की देखरेख में प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने बताया कि 12 दिनों के बाद बच्चे के वजन में बढ़ोत्तरी होने के बाद उस बच्चे की जिम्मेदारी समाज के किसी सम्पन्न व्यक्ति को सौंपी जाती है, ताकि बच्चे अच्छी तरह से देखभाल हो सके। अति-कुपोषित बच्चों को सामान्य-स्तर पर लाने के लिये कोई भी व्यक्ति, संस्था मध्यप्रदेश के किसी भी आंगनवाड़ी केन्द्र के संचालन में सहयोग कर सकते हैं। योजना में आँगनवाड़ी केन्द्र में प्रत्येक माह बच्चों का नियमित वजन लिया जायेगा। वजन के आधार पर अति-कम वजन वाले बच्चों की सूची तैयार की जायेगी। सूची विभिन्न माध्यम से शासकीय सेवक, जन-प्रतिनिधि, स्थानीय समुदाय, औद्योगिक घरानों और संस्थाओं को उपलब्ध करवाई जायेगी। उन्हें प्रेरित किया जायेगा कि वे अति-कम वजन वाले बच्चों के पोषण की जिम्मेदारी लें।
विभाग का दावा है कि सुपोषण अभियान के बेहतर परिणाम सामने आये हैं। वर्ष 2005-06 में विभिन्न श्रेणियों में कुपोषण में 56 से लेकर 16 प्रतिशत की कमी आयी है। पिछले पांच साल में मिशन ने अपने लक्ष्य पूर्ति के लिये प्रदेश में सात चरण में सुपोषण अभियान चलाया। इसमें 15357 शिविर लगाये गये। जिनमें एक लाख 68 हजार अति कम वजन के बच्चों को लाभान्वित किया गया। इन शिविरों के जरिये की गई गतिविधियों से कुपोषण में भारी कमी रेखांकित हुई। वर्ष 2005-06 में हुए सर्वे में सामान्य से कम वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 60 था जो वर्ष 2013-14 में घटकर 36.1 प्रतिशत हो गया। इसमें 39.8 प्रतिशत की गिरावट आयी है। अतिकम वजन वाले बच्चों का कुपोषण 27.3 प्रतिशत था जो घटकर 12 प्रतिशत हो गया। इसमें 56 प्रतिशत की कमी रेखांकित हुई है। ऊंचाई के अनुपात में कम वजन 35 प्रतिशत से घटकर 17.5 प्रतिशत गंभीर कुपोषण 12.6 प्रतिशत से घटकर 5.4 प्रतिशत उम्र के अनुपात कम ऊंचाई का कुपोषण 50 से घटकर 41.6 प्रतिशत और अतिकम ऊँचाई बच्चों का कुपोषण 26.3 प्रतिशत से घटकर 18.5 प्रतिशत हो गया है। कुपोषण को दूर करने जिन 86 हजार लोगों में बच्चे या आंगनवाड़ी केंद्र को गोद लिया है। मुख्यमंत्री उन सभी को धन्यवाद पत्र भेजेंगे। उल्लेखनीय है कि भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने 55 कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने की जिम्मेदारी ली है।
-भोपाल से बृजेश साहू