सागर में ड्रैगन की दादागिरी
03-Mar-2016 08:19 AM 1234793

दक्षिण चीन सागर को लेकर फिर विवाद खड़ा हो गया है। इस पर न सिर्फ चीन बल्कि ताइवान, मलेशिया, वियतनाम, ब्रुनेई और फिलीपींस जैसे देश भी अपना हक जताते रहे हैंं। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने अब दक्षिण चीन सागर में स्थित वूडी द्वीप में चीनी सेना की राडार प्रणाली और जमीन से आकाश में मार करने वाली आठ मिसाइलें तैनात कर दी है। वूडी द्वीप पर ताइवान और वियतनाम ने भी अपना दावा कर रखा है। लेकिन चीन का मानना है कि कोई भी बाहरी देश दक्षिण चीन सागर के जलक्षेत्र में बिना उसकी इजाजत के कदम नहीं रख सकता। दक्षिण चीन सागर में जिन चीनी मिसाइलों की तैनातगी की बात सामने आ रही है उससे चीन ने एक तीर से दो नहीं बल्कि तीन-चार शिकार किए हैं। पहले तो उसने दक्षिण चीन सागर में अपने प्रभुत्व की चुनौती विश्व समुदाय के सामने पेश कर दी हैं। भारत के लिए भी एक तरह से यह चेतावनी है कि वियतनाम के साथ तेल शोधन के उसके प्रयास चीन को मंजूर नहीं है। जापान के लिए तो यह बड़ी चुनौती है ही। ज्ञातव्य है कि चीन ने दक्षिण चीन सागर से जापान की उड़ाने बंद कर दी थी। मिसाइल का प्रयोग किस रूप में होगा यह तो तत्काल नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना तय है कि चीन के पास यह बहानेबाजी करने का मौका होगा कि अमुक देश के जहाज को पहचाना नहीं इसलिए मिसाइल दाग दी। गौर करें तो चीन का विवाद वियतनाम और फिलिपींस के साथ ज्यादा है। जापान भले ही अमेरिका से मदद की उम्मीद करे लेकिन उसको यह तो स्वीकार करना ही पड़ेगा कि अमेरिका ऐसे मामलों में अपने हितों की चिंता छोड़कर उसकी मदद करने वाला नहीं।
दक्षिण चीन सागर में सीमा विवाद सदियों पुराना है पर बीते कुछ बरसों में यह ज्यादा तूल पकडऩे लगा है। यहां स्थित टापुओं और जल क्षेत्र पर ताइवान, चीन, वियतनाम, फिलिपींस, मलेशिया और बू्रनेई दावा जताते रहे हैं। इन प्रतिद्वंद्वी देशों के बीच विवाद समुद्री क्षेत्र पर अधिकार और संप्रभुता को लेकर है। इसमें पारासेल और स्प्रैटली आइलैंड शामिल हैं। स्प्रैटली आइलैंड 750 चट्टानों, टापुओं, प्रवालद्वीप का समूह है जबकि पैरासेल ऐसे 130 टापुओं का समूह है। पारासेल और स्प्रैटली द्वीप पर कई देशों ने अपना पूरा अधिकार बताया है तथा कई देशों ने आंशिक रूप से इसे अपने नियंत्रण क्षेत्र का हिस्सा बताया है। दक्षिण चीन सागर में तेल और गैस के विभिन्न भंडार दबे हुए हैं। अमेरिका के मुताबिक यहां 213 अरब बैरल तेल मौजूद है। साथ ही 900 ट्रिलियन क्यूबिक फीट नेचुरल गैस का भंडार है। इस समुद्री रास्ते से हर साल 7 ट्रिलियन डॉलर का बिजनेस होता है। अंतरराष्ट्रीय समुद्र कानून देशों को उनकी समुद्री सीमा से 12 समुद्री मील तक के क्षेत्र में अधिकार देता है। उसके बाहर का जल क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सीमा माना जाता है। कोई भी देश इस सीमा के बाहर किसी क्षेत्र पर दावा नहीं कर सकता। अमेरिका इस मामले में चीन की खुली आलोचना करता है। उसका कहना है कि कई देशों के पास ऐसे मानचित्र हैं, जिनसे पता चलता है कि पिछले कई सौ बरसों से भारत, अरब और मलय के व्यापारी दक्षिण चीन सागर में समुद्री जहाजों को ले जाते थे। बराक ओबामा ने आसियान देशों के शिखर सम्मेलन में कहा कि दक्षिण चीन सागर में तनाव कम करने के लिए ठोस कदम की जरूरत है। उधर, अमेरिका दक्षिण चीन सागर को स्वतंत्र जलमार्ग के तौर पर देखता है और जब-तब इस क्षेत्र में चीन के अधिकार को चुनौती भी देता है। पिछले छह महीनों के दौरान अमरीका ने इस क्षेत्र से अपने विमान इस क्षेत्र से गुजारे और चीन ने इस पर आपत्ति के साथ चेतावनी भी दी। 
-विशाल गर्ग

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