03-Mar-2016 07:57 AM
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वैसे तो मध्यप्रदेश कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष अरुण यादव की नियुक्ति के साथ ही उनके जाने के भी कयास लगने लगे थे। लेकिन किसी बड़े नेता के तैयार नहीं होने के कारण अभी तक आलाकमान ने यादव पर ही विश्वास कायम रखा है।

लेकिन जिस तरह चुनाव में लगातार कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ रहा है उससे अब नए अध्यक्ष को लेकर एक बार फिर से चर्चा गर्म हो गई है। इस चर्चा को हवा दी है युवक कांग्रेस अध्यक्ष अमरेंद्र सिंह बरार ने। विगत माह ग्वालियर में युवक कांग्रेस की एक सभा में बरार ने मध्यप्रदेश में आगामी चुनाव में पार्टी की ओर से अगले विधानसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री पद के लिए पैराकारी कर चौंका दिया है। खास बात यह है कि उनकी मांग के पक्ष में जीतू पटवारी भी दिखाई दिए।
उल्लेखनीय है कि विगत विधानसभा चुनाव में भी एक वर्ग ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश की कमान सौंपने के लिए अभियान चलाया था। लेकिन उस समय सिंधिया समर्थकों की दाल नहीं गल पाई। लेकिन बरार की वकालत के बाद एक बार फिर सिंधिया समर्थक आशांवित हैं कि आलाकमान उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कमान सौंप सकता है। उधर खबर यह है कि मैहर चुनाव में हार के बाद मिले संकेतों के आधार पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ भी अध्यक्षी के लिए हाथ-पांव मारने लगे हैं। वे अगले माह से प्रदेश का दौरा करने की तैयारी कर रहे हैं। यह दौरा ऐसे समय शुरु किया जा रहा है जबकि प्रदेश कांग्रेस को एक अच्छे प्रभावी नेता की जरूरत है। उनके समर्थकों का कहना है कि अपने बयानों के चलते पार्टी के दिग्गज नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह प्रदेश में अप्रभावी हो चुके हैं तो वहीं पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने गृह क्षेत्र से बाहर निकलने को तैयार नहीं दिख रहे हैं, ऐसे में कमलनाथ अगर प्रदेश की जिम्मेदारी संभालते हैं तो यह कांग्रेस के लिए शुभ समाचार है। माना जा रहा है कि दिल्ली की राजनीति में फिलहाल कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं मिलने के चलते तीन साल बाद प्रदेश में होने वाले आम चुनाव में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका पाने के प्रयासों के तहत यह कवायद की तैयारी है। सूत्रों की माने तो इस दौरे की तैयारी काफी पहले कर ली गई थी, लेकिन था तो सिर्फ समय का इंतजार। कुछ समय पहले रतलाम-झाबुआ लोकसभा उपचुनाव में पार्टी को मिली जीत के बाद कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार होने के बाद कमलनाथ ने पार्टी हाईकमान के मूड़ का आंकलन करने में ज्यादा समय लगा दिया है।
हाल में उन्होंने मैहर उपचुनाव में प्रचार किया तथा पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं की बैठकें लेकर माहौल को भांपने की कोशिश की। इसके बाद नाथ ने अपने समर्थकों को संकेत दिया है कि वे मार्च की शुरुआत के दौरान उनके दौरे के लिए तैयार रहें। नाथ के एक करीबी नेता के मुताबिक वे अपने परंपरागत महाकौशल अंचल के अलावा मालवा, निमाड़, बुंदेलखंड व नर्मदांचल का दौरा करेंगे। यह दौरा किसी यात्रा या अभियान की शक्ल में नहीं होगा। इसके दौरों की भूमिका तैयार करने का काम मप्र कांग्रेस के एक पूर्व पदाधिकारी के पास है। इस सिलसिले में हाल में उन्होंने दो बार दिल्ली में कमलनाथ से मुलाकात भी की है। दरअसल कांग्रेस आलाकमान पिछले छह महीने से राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की नई टीम तैयार करने की प्रक्रिया में है। यह कार्यकारिणी आगामी चुनावों तक की रणनीति के तहत काम करेगी।
राहुल गांधी इस टीम को डिजाइनÓ कर रहे हैं। इसमें कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी महासचिव पद की आस में हैं। चूंकि मप्र से दिग्विजय सिंह कांग्रेस की कार्यकारिणी में महासचिव पर हैं तथा उन्हें बदलने की कोई संभावना फिलहाल नजर नहीं आ रही है, इसलिए कार्यकारिणी में इसके समकक्ष किसी भूमिका की गुंजाइश फिलहाल कम है। यही वजह है कि नाथ मप्र में सक्रिय होना चाहते हैं। वे यहां कांग्रेस का कर्ताधर्ताÓ बनना चाहते हैं, क्योंकि उनकी नजर 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है।
उधर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कतार में हैं, लेकिन अभी आलाकमान उन्हें प्रदेश की कमान देने के मूड में नहीं है। ऐसे में सबकी नजर एक बार फिर अरुण यादव पर आकर टिक जाती है। क्योंकि यादव ने अपने कार्यकाल के दौरान न केवल वरिष्ठ नेताओं को चुनाव प्रचार में उतारने में सफलता पाई है बल्कि कई बार उन्हें एक साथ भी किया है। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि क्या अरुण यादव, शंकरलाल तिवारी, दिग्विजय सिंह, राधाकृष्ण मालवीय और अपने पिता सुभाष यादव की तरह दो या उससे अधिक बार प्रदेश अध्यक्ष बनने का रिकार्ड बना सकते हैं। यह तो भविष्य ही बताएंगा लेकिन कांग्रेस के पदाधिकारी और कार्यकर्ता इस आस में बैठे हैं कि प्रदेश में उनकी पार्टी का अगला उद्धारक कौन होगा?
विकास दुबे