17-Feb-2016 06:30 AM
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यूपी में आगामी विधानसभा होने में अभी एक साल का अरसा है, लेकिन वहां अभी से राजनीतिक बिसात बिछने लगी है। अभी सायकिल, कमल, पंजा अंदुरूनी तैयारी कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ अभी तक सुस्ता रहा हाथी सजग हो गया है और

चुनावी करवट लेने लगा है। बसपा सुप्रीमों मायावती ने अपने हाथी को सजाकर मैदान में उतार दिया है। उत्तर प्रदेश में 15 जनवरी को अपने 60वें जन्मदिन पर मायावती ने हाथीÓ की धमक दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह पहला मौका था, जब लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित मायावती के बंगले के आसपास न जन्मदिन के जश्न का माहौल था, न पार्टी के बड़े नेताओं की कतार। सबको अपने-अपने जिलों में रहकर मायावती का जन्मदिन जनकल्याणकारी दिवसÓ के रूप में मनाने का आदेश था। जन्मदिन पर कार्यकर्ताओं से रिटर्न गिफ्ट में यूपी की सत्ता मांगने वालीं मायावती ने 403 विधानसभा सीटों में से 300 पर बीएसपी के संभावित उम्मीदवारों की घोषणा कर फिलहाल दूसरी विपक्षी पार्टियों को पीछे छोड़ दिया है। उस रोज चुनावी शंखनाद करके मायावती ने जाहिर कर दिया कि 2014 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट न जीतने वाली बीएसपी विधानसभा चुनाव की जंग जीतने को तैयार है।
यूपी में सपा और बीजेपी विरोधी गठबंधन की धुरी मायावती के इर्द गिर्द घूमती नजर आ रही है। दिल्ली में अधिकांश समय बिताने वाले बीएसपी के एक राष्ट्रीय महासचिव की संभावित गठजोड़ को लेकर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से अनौपचारिक बातचीत हो चुकी है। बीएसपी को केंद्र में रख बनने वाले इस गठबंधन में अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल, कांग्रेस और जेडी (यू) जैसी पार्टियों को शामिल करने की गुपचुप कवायद चल रही है। गठबंधन बनने की शक्ल में मायावती किसी भी हालत में 300 सीटों से कम पर समझौता नहीं करेंगी और बाकी सौ सीटें सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ी जा सकती हैं। हालांकि बीएसपी के प्रदेश प्रवक्ता स्वामी प्रसाद मौर्य कहते हैं, बीएसपी यूपी में अकेले ही चुनाव लड़ेगी। विरोधी पार्टियां गठबंधन के बारे में अफवाह फैला रही हैं।
मायावती को सत्ता से बाहर हुए चार साल होने को आ रहे हैं, लेकिन इस बार जन्मदिन पर उन्होंने उन आरोपों पर सफाई दी, जो बीएसपी शासन में उन पर लगते थे। इनमें से एक था नेताओं से धन वसूलने का आरोप, जिसके चलते विपक्षी नेता मायावती को दौलत की बेटीÓ कहकर संबोधित करते रहे हैं। मायावती बोलीं, बीएसपी के लोग मानते हैं कि यदि उनकी नेता आर्थिक तौर पर मजबूत बनी रहती हैं तो वे विकट परिस्थिति में किसी के आगे हाथ नहीं फैलाएंगी। पार्टी नेताओं से मिलने वाली आर्थिक मदद को पारदर्शी बनाने के लिए मायावती ने बीएसपी कूपन की शुरुआत की है। बिहार में जिस तरह महागठबंधन भारी बहुमत लेकर सत्ता पर काबिज हुआ है, उससे यूपी में भी गठबंधन की सुगबुगाहट तेज हुई है। बिहार के मुख्यमंत्री और जेडी (यू) नेता नीतीश कुमार इस संभावित गठबंधन को शक्ल देने में लगे हैं। जेडी (यू) के एक सांसद बताते हैं, नीतीश ने बिहार में मोदी को पटखनी दी है और अब मुलायम सिंह की बारी है, जिन्होंने बिहार चुनाव के ऐन वक्त उन्हें धोखा दिया था।
पर जिताऊ समीकरण बनाना चुनौती
अगले विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी का ख्वाब देखने वालीं मायावती के लिए इस बार 2007 की तरह का जिताऊ जातीय समीकरण फिट कर पाना आसान नहीं होगा। दलित जनाधार वाली बीएसपी ने 2007 में ब्राह्मण और ऊंची जातियों का समर्थन पाकर बहुमत हासिल किया था। मायावती इस बार मुसलमानों के समर्थन से दोबारा ऐसा करिश्मा करने की कोशिश में हैं। घोषित 300 उम्मीदवारों में एक चौथाई से ज्यादा मुसलमान हैं। दंगा पीडि़त पश्चिमी यूपी में मुसलमानों को बीएसपी से जोडऩे की कमान मायावती ने अपने सबसे विश्वसनीय सिपहसालार नसीमुद्दीन सिद्दीकी को सौंपी है। पूर्वांचल में मुस्लिम समाज को बीएसपी से जोडऩे के लिए मायावती ने पश्चिमी यूपी के कई मंडलों के जोनल कोऑर्डिनेटर रहे मुनकाद अली को जिम्मा सौंपा है। मुनकाद को वाराणसी, आजमगढ़, मिर्जापुर और इलाहाबाद मंडल का जोनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया है। बीएसपी के कुछ गैर-मुस्लिम नेताओं ने मायावती से पूर्वांचल में पीस पार्टी से गठबंधन करने की पैरवी भी की थी। इसी से उत्साहित होकर पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद अयूब ने पिछले साल नवंबर में कुछ अखबारों में बाकायदा विज्ञापन देकर मायावती से महागठबंधन करने की गुहार लगाई थी। फिलहाल मायावती अपने नेताओं के बूते मुस्लिम आबादी में पैठ मजबूत करने में जुटी हैं। मायावती ने संविधान दिवस पर चर्चा के दौरान गरीब अगड़ों को आरक्षण देने के अलावा निजी क्षेत्र और प्रमोशन में आरक्षण की मांग करना वोट बैंक को मजबूत करने की रणनीति का ही हिस्सा है।
-लखनऊ से मधु आलोक निगम