16-Feb-2016 09:15 AM
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राजस्थान में महारानी की सत्ता को उखाडऩे के लिए कांग्रेस ने जब से पायलट के हाथ में कमान दी है उन्हें बड़े नेताओं का साथ नहीं मिल पा रहा है। फिर भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट भाजपा पर वार पर वार कर रहे हैं, लेकिन अब

तक उनके सभी वार खाली गए है। ऐसे में अब वे प्रदेश 29 फरवरी से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में सरकार को बैकफुट पर लाने की तैयारी कर रहे हैं। पार्टी के सभी विधायकों को कहा गया है कि वे अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं का फीडबैक लें जिससे जनहित से जुडे मुद्दों को विधानसभा सत्र में बेहतर तरीके से उठाया जा सके। वहीं पायलट ने 11 फरवरी को अपनी नई टीम की घोषणा करके अपने आक्रामक रूख का संकेत भी दे दिया है।
विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक गोविन्द सिंह डोटासरा के अनुसार आगामी विधानसभा सत्र में जनहित से जुड़े मुद्दों को पार्टी के विधायक पुरजोर तरीके से उठाएंगे। इसके लिए सभी विधायकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं के बारे में फीडबैक लें और समस्याओं पर विभागवार बोलने की तैयारी करें। डोटासरा ने बताया कि राज्य सरकार को बीते दो साल के कार्यकाल की विफलता पर घेरने की कोशिश की जाएगी। वहीं पेंशन योजना, भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना की विफलता और पूरे प्रदेश में बिजली और पानी की समस्या के मुददे पर सरकार को घेरा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में कांग्रेस को नए सिरे से मजबूत बनाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने कमर कस ली है। उन्होंने एलान किया है कि पार्टी के खिलाफ काम करने वालों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। 9 फरवरी को पायलट ने टोंक जिले की मालपुरा नगर पालिका के 7 कांग्रेसी पार्षदों को पार्टी से निकाल दिया क्योंकि वे पार्टी विराधी गतिविधियों में लिप्त पाए गए। पार्टी को अगले विधानसभा चुनाव के लिहाज से कसने के लिए पायलट ने हर स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष ने सभी पदाधिकारियों से उनके सुझाव मांगे हैं। पदाधिकारियों के सुझावों के आधार पर ही पार्टी अगले विधानसभा चुनाव के लिहाज से रणनीति बनाएगी। इसके साथ ही संगठनात्मक गतिविधियों के संचालन के लिए भी रूपरेखा तैयार की जाएगी। पायलट की मंशा है कि आगामी चुनाव से पहले ही संगठन का फैलाव हो। इसके अलावा जमीनी कार्यकर्ताओं को पार्टी की गतिविधियों में सक्रिय किया जाए। इसके लिए प्रदेश पदाधिकारियों को विशेष निर्देश दिए जाएंगे। पायलट का मानना है कि मौजूदा भाजपा सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए पार्टी नेताओं को जनता से जुड़े मुद्दों को जोर-शोर से उठाना चाहिए। भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों से आम जनता परेशान हो उठी है। प्रदेश में भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी को लेकर आम आदमी में भाजपा सरकार के प्रति गहरी नाराजगी पनपी हुई है। इसके साथ ही प्रदेश में बढ़ते अपराधों को लेकर भी जनता में आक्रोश है। कांग्रेस जिला और ब्लाक स्तर से भाजपा के खिलाफ संघर्ष छेडऩे की तैयारी में भी है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार बदले की भावना से कार्रवाई कर कांग्रेस नेताओं को साजिश कर फंसाने में लगी हुई है। केंद्र और राज्य सरकार अपने वादों को पूरा करने में पूरी तरह से नाकाम रही है। कांग्रेस के एक बड़े नेता कहते हैं कि बिना किसी मेहनत और काम किये कांग्रेस नेताओं को जाने क्यों ऐसा लगने लगा है कि अबकी बार राजस्थान में कांग्रेस की सरकार ही बनेगी। वह कहते हैं कि अभी चुनाव होने में तीन साल का वक्त है लेकिन मुख्यमंत्री बनने के लिये अशोक गहलोत और डॉ.सीपी जोशी का शीतयुद्ध पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट से शुरू हो चुका है। बिहार चुनाव में कांग्रेस की सम्मानजनक जीत से डॉ.सीपी जोशी की राजनीतिक स्थिति में सुधार आया है। जहां एक ओर लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के बाद गृह क्षेत्र में पंचायत और निकाय चुनाव में हार के बाद डॉ.सीपी जोशी ने अपने गृह क्षेत्र से दूरी बना ली थी वहीं अब जोशी का मेवाड़ का दौरा महत्वपूर्ण तो माना गया परन्तु कांग्रेस की गुटबाजी साफ नजर आ रही है। चित्तौड़ की पूर्व सांसद गिरिजा व्यास और डॉ.सीपी जोशी की आपसी खीचंतान जगजाहिर है लेकिन मेवाड़ में गिरिजा व्यास का कोई गुट नहीं है। यहां भी अशोक गहलोत और जोशी के समर्थकों का ही आपस में शीतयुद्ध चलता आ रहा है। गहलोत और जोशी की आपसी गुटबाजी से त्रस्त कांग्रेस के कई नेताओं ने सचिन पायलट से आग्रह किया है कि गुटबाजी फैला रहे नेताओं को दरकिनार कर कांग्रेस के मजबूत नेताओं और युवाओं को आगे लाया जाये जिससे राजस्थान में एक बार फिर कांग्रेस मजबूत हो सके।
-जयपुर से आर.के. बिन्नानी