16-Feb-2016 08:04 AM
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नेताओं की घोषणाओं और वादों से छलनी हो चुके बुंदेलखंड की यही विडंबना है। चुनावी मौसम आते ही यह नेताओं के लिए घोषणाओं और वादों का अखाड़ा बन जाता है। इसलिए उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में एक बार फिर नेताओं के उडऩखटोले

दिखाई देने लगे हैं। आलम यह है कि अब विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही अब एक बार फिर पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग ने जोर पकड़ा है। बांदा-चित्रकूट से बीजेपी सांसद भैरों प्रसाद मिश्र अलग राज्य की मांग से जुड़ा प्रस्ताव संसद में बहस के लिए सूची बद्ध करा चुके हैं।
लकड़ बग्घों में होड़ मची है चूहे, बिल्ली खाने को, देखो कितने आतुर नेता बुंदेलखंड में आने को...ये पंक्तियां इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश विधानसभा की धमक के साथ ही नेता बंदेलखंड की तरफ ललचाई नजरों से देख रहे हैं। लेकिन जनता नेताओं को आस भरी नजरों से नहीं देख रही है। ऐसे में बांदा निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट ने बुंदेलखंड में दौरा करने वाले नेताओं पर सोशल मीडिया में कविताओं के जरिए तंज कसा है। उधर चुनावी सुगबुगाहट के बीच बुंदेलखंड में चुनावी गोटियां फिट करने बैठी पार्टियां एक बार फिर अलग राज्य की मांग को हवा देने की तैयारी कर रही हैं। मायावती ने दिसंबर, 2011 में अलग से बुंदेलखंड राज्य समेत यूपी को चार राज्यों में बांटने का प्रस्ताव केंद्र के पास भेजा था। बीजेपी सांसद उमा भारती ने भी लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अलग बुंदेलखंड राज्य बनाने का वादा किया था। अब विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही अब एक बार फिर पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग ने जोर पकड़ा है। बांदा-चित्रकूट से बीजेपी सांसद भैरों प्रसाद मिश्र अलग राज्य की मांग से जुड़ा प्रस्ताव संसद में बहस के लिए सूचीबद्ध करा चुके हैं। मिश्र ने इसके पक्ष में साक्ष्य के तौर पर कई आंकड़े भी पेश किए हैं। इसमें बुंदेली भाषा को राज्य भाषा का दर्जा देने के साथ ही अलग राज्य का गठन होने तक बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण का गठन करने की मांग भी है। इन्हीं सरगर्मियों के बीच बुंदेलखंड बनाओ अभियान के सूत्रधार रहे राजा बुंदेला भी अलग राज्य निर्माण की मांग को लेकर प्रधानमंत्री से मिलने की कोशिश में हैं।
नेताओं की घोषणाओं और वादों से छलनी हो चुके बुंदेलखंड की यही विडंबना है। चुनावी मौसम आते ही यह नेताओं के लिए घोषणाओं और वादों का अखाड़ा बन जाता है। इसलिए चुनावी साल में प्रवेश कर चुके उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में एक बार फिर नेताओं के उडऩ खटोले दिखाई देने लगे हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने महोबा में रोड शो करके बुंदेलखंड की सियासत में हलचल मचाई तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी हमीरपुर और जालौन का दौरा करने पहुंच गए। पहले अतिवृष्टि और अब सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में अचानक गरमाई सियासत की पृष्ठभूमि में अगले साल यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव ही हैं। महोबा के वरिष्ठ वकील मनीष शंकर अमिष्ट कहते हैं, बुंदेलखंड में भले ही 19 विधानसभा सीटें हैं, लेकिन यहां के पिछड़े और सूखाग्रस्त इलाके में नेताओं की चहल कदमी की गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई देती है। बुंदेलखंड को राजनीति के पटल पर लाने का श्रेय राहुल गांधी को है। 2010 में बुंदेलखंड को मिले सात हजार करोड़ रु. के पैकेज की बदहाली को अगले चुनाव में मुद्दा बनाने की तैयारी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने की है। बुंदेलखंड पैकेज के तहत बनी मंडियां बदहाल पड़ी हैं तो सैकड़ों की तादाद में बने चेकडैम भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने यूपी के नेताओं से बुंदेलखंड पैकेज में हुए भ्रष्टाचार को लेकर सपा सरकार के खिलाफ उसी तरह का महौल बनाने को कहा है, जैसा उन्होंने 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले यूपी में एनआरएचएम घोटाले के विरोध में तत्कालीन बीएसपी सरकार के खिलाफ तैयार किया गया था। सूखे में बुंदेलखंड के हालात बिगडऩे के पीछे कांग्रेस बुंदेलखंड पैकेज के धन का ठीक से उपयोग न होने को जिम्मेदार बता रही है। उधर कांग्रेस की काट के लिए अखिलेश यादव ने विकास योजनाओं की झड़ी लगा दी है।
बीएसपी का गढ़ माने जाने वाले बुंदेलखंड में पार्टी का कुनबा बिखर चुका है। वहां बीएसपी के कद्दावर नेता रहे बाबूसिंह कुशवाहा और दद्दू प्रसाद पार्टी से बाहर हैं। अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए बीएसपी गुपचुप मिशन में लग गई है। पार्टी ने 19 विधानसभा सीटों पर प्रभारियों की घोषणा कर दी है। लोकसभा चुनाव के बाद हुए विधानसभा उपचुनाव में बुंदेलखंड की दोनों सीटें जीतकर सपा ने इस इलाके में अपने विधायकों की संख्या बीएसपी विधायकों के बराबर कर ली है। सपा बुंदेलखंड में अति पिछड़ा कार्ड खेलकर विपक्षियों को पटखनी देने के मूड में है। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने फतेहपुर से पूर्व सांसद विशंभर निषाद को राज्यसभा भेजा। लोकसभा चुनाव में बुंदेलखंड से सभी चारों सीटें जीतने वाली बीजेपी के लिए आगे की राह कुछ कठिन है। यहां से सांसद उमा भारती और साध्वी निरंजन के केंद्र सरकार में मंत्री होने के बावजूद पार्टी इनकी छोड़ी गई विधानसभा सीटें दोबारा न जीत सकी। अब संगठन को नए सिरे से तैयार करने में जुटी बीजेपी संघ से तालमेल बिठाकर बढऩा चाहती है। इसी क्रम में पार्टी ने संघ प्रचारक रहे प्रदीप सरावगी को झांसी महानगर का बीजेपी अध्यक्ष घोषित किया है।
-जबलपुर से धर्मेंंद्र सिंह कथूरिया