16-Feb-2016 07:35 AM
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क्या बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव सुपर सीएम के तौर पर काम कर रहे हैं? लालू यादव से ये सवाल पूछा है बिहार की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बीजेपी ने। दरअसल लालू की ओर से दरभंगा के सिविल सर्जन को चि_ी

लिखकर नौकरी देने के आदेश पर बिहार की राजनीति गरमाई हुई है। बीजेपी आरोप लगा रही है कि लालू यादव खुद सरकार में न रहते हुए भी सुपर सीएम की भूमिका में हैं।
हम आपको बता दें कि पिछले दिनों दरभंगा मेडिकल कॉलेज में काम करने वाली ममता कार्यकर्ताओं को नौकरी से हटा दिया गया था। जिसके बाद ममता कार्यकर्ता लालू के पास पैरवी के लिए गई थी। तब लालू ने फोन करके दरभंगा के सिविल सर्जन से कहा था कि इन महिलाओं को नौकरी पर फिर से बहाल करें। इसके बाद लालू के आदेश को सरकार का आदेश मानकर सिविल सर्जन ने सरकारी आदेश जारी कर दिया और संबंधित विभागों को चि_ी लिख दी। चर्चा है कि सिविल सर्जन ने जो चि_ी लिखी है उसमें लालू का नाम भी लिखा गया है। लालू यादव ने भी माना है कि उन्होंने पिछले दिनों दरभंगा के सिविल सर्जन राम सिंह को फोन करके ममता कार्यकर्ताओं की बहाली के लिए कहा था। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि आखिरकार बिहार का शासन कौन चला रहा है।
एक पुल के उद्घाटन में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद के शामिल होने पर बीजेपी नेता सुशील मोदी ने नीतीश सरकार पर हमला बोला है। इसी तरह विपक्ष यूपी में साढ़े चार मुख्यमंत्री की बात करता आया है। इनमें मुलायम सिंह यादव और वरिष्ठ नेता आजम खां के अलावा मुलायम के भाइयों को चार में शुमार किया जाता है - और सीएम अखिलेश यादव को आधा सीएम कहा जाता है। बिहार भी फिलहाल यूपी की ही राह पर बढ़ता दिख रहा है। बिहार में साढ़े चार तो नहीं लेकिन जल्द ही वहां भी कम से कम ढाई मुख्यमंत्री की चर्चा जरूर होगी। वो दिन दूर नहीं जब इस कुनबे में नीतीश के साथ-साथ तेजस्वी और लालू को भी शामिल किया जाने लगेगा। लालू के बचाव में अब खुद नीतीश खड़े दिखाई देते हैं, लालू प्रसाद सत्तारूढ़ गठबंधन के दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और पूर्व मुख्यमंत्री हैं, उनके कहीं जाने पर लोगों को क्यों आपत्ति है। हम भी तो विरोधी दल के नेताओं, सभी दलों के सांसदों और विधायकों को शिलान्यास, कार्यारंभ और उद्घाटन में बुलाते हैं। विकास कार्यों में बाधा नहीं होनी चाहिए। बीजेपी इस बात पर भी एतराज जता चुकी है कि लालू प्रसाद सीधे अफसरों को फोन कर देते हैं। लगे हाथ नीतीश कुमार इस बात का जवाब भी दे देते हैं जिसमें अफसरों के लिए भी गाइडलाइन शामिल होती है। नीतीश कहते हैं, हम महागठबंधन धर्म का पालन करना जानते हैं। महागठबंधन धर्म के आचार संहिता के अनुसार काम करते हैं। घटक दलों ने विश्वास किया है। जनता द्वारा दिए गए दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। हम घटक दल को एकसूत्र में बांधकर काम करते हैं। हम अधिकारियों को कहते हैं कि जनप्रतिनिधि जो जनहित में काम कहें, उसे करिए, उनका सम्मान कीजिए। तो क्या बिहार में वो दिन भी दूर नहीं जब लालू को डिप्टी सीएम के दफ्तर में कामकाज निपटाते देखा जाएगा। मान लीजिए किसी दिन तेजस्वी की तबीयत थोड़ी नासाज रहती है या दिल्ली या किसी दूसरे शहर से आने में लेट हो जाता है, फिर तो कामकाज पर खासा असर पड़ेगा। ऐसे में एक पिता और सत्तारुढ़ पार्टी के मुखिया का क्या कर्तव्य बनता है। उसे तो फौरन ही दफ्तर पहुंचना होगा। निश्चित रूप से मैंडेट लेकर लालू की पार्टी सत्ता में पहुंची है और उसे शासन करने का जनादेश मिला हुआ है। लेकिन पद और गोपनीयता की शपथ लालू ने नहीं उनके बेटों ने अलग अलग ली है। लालू तो फिलहाल चुनाव लडऩे के काबिल भी नहीं हैं।
कितने मुख्यमंत्री
यूपी में साढ़े चार सीएम और मेघालय में चार, तो बिहार में एक सुपर सीएम क्यों नहीं? बिहार में लालू प्रसाद को विपक्षी बीजेपी कुछ इसी अंदाज में घेरने की कोशिश कर रही है। 2010 में ऐसे राजनीतिक हालात बने कि मेघालय में तीन-तीन नेताओं को मुख्यमंत्री का दर्जा देना पड़ा। इसके तहत कांग्रेसी सीएम डीडी लापांग के अलावा कांग्रेस नेता फ्राइडे लिंगदोह, राज्य के योजना बोर्ड के चेयरमैन दॉनकूपर रॉय और आर्थिक विकास परिषद के प्रमुख जेडी रिम्बेई को मुख्यमंत्री का दर्जा दिया गया। इनमें सुरक्षा और सुविधाएं तो चारों को हासिल थीं लेकिन फैसले का अधिकार सिर्फ लापांग के पास था।
-कुमार विनोद