सुरक्षा और खुफिया तंत्र इतना लचर क्यों?
02-Feb-2016 07:48 AM 1234987

पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमला हमारे सुरक्षा और खुफिया तंत्र के वास्तविक हालातों को उजागर करती है। नापाक इरादों वाले पाकिस्तानी आतंकियों का हमला इस बार किसी भीड़ भरे बाजार पर नहीं बल्कि हमारे वजूद और गुरूर पर है। हमारी उस ताकत पर है जिस पर हमें नाज है। बेशक हमने उन सिरफिरों को मार गिराया जिन्होंने मजहब के नाम पर इंसानियत के खिलाफ जेहाद छेड़ रखा है। इस समय जो सबसे अहम सवाल है कि देश की सबसे गोपनीय एयरबेस में से एक पठानकोट के ठिकाने पर सेंधमारी हुई कैसे? अगर इसका अंदेशा हमारे देश के खुफिया तंत्र को हो गया था तो क्या इसकी सूचना सरकार को दी गई थी? यदि दी गई थी तो हमारे सियासी रहनुमाओं ने इस पर क्या कदम उठाया? सवालों की फेहरिस्त बहुत लम्बी है। अक्सर होता यह है कि इस तरह की घटनाओं के बाद पूरा मुल्क कुछ समय के लिए जाग जाता है। हाई एलर्ट मूड में आ जाता है। लेकिन अफसोस कि कुछ समय बाद जस का तस चलने लगता है। आखिर यह सिलसिला कब तक चलेगा। इस यक्ष प्रश्न का जवाब किसी के पास नहीं है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से अश्वासन मिलने के अगर फौरन कार्रवाई नहीं होती तो हमें पाकिस्तान के साथ सामरिक, व्यापारिक और राजनायिक संबंध तोड़कर उसे शत्रुराष्ट्र घोषित कर देना चाहिए। पाकिस्तान की ओर से चलाए जा रहे प्रॉक्सी वार (छद्म युद्ध) का जवाब हमें भी प्रॉक्सी वार से ही देना होगा। कहा गया है, सठ सठता से ही समझता है।
पठानकोट हमले के मामले में खुफिया तंत्र को सूचना पहले से उपलब्ध थी लेकिन उस पर जिस तरह से कार्रवाई की गई और ऑपरेशन चलाया गया उस पर सवाल भी उठे हैं। ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा एजेंसियों के बीच तालमेल का अभाव नजर आया। पठानकोट में बचाव अभियान की खामियां सिर्फ वर्तमान चिंता की बात नहीं है बल्कि ये बड़ी और गंभीर रणनीतिक कमियों और कमजोरियों की ओर इशारा करती हैं। तीन दशक से ज्यादा समय से भारतीय धरती पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी हमला जारी है। 1993 के मुंबई हमले (जिनमें 257 लोग मारे गए थे), 26/11 (2008 में हुए हमले में 164 लोग मारे गए थे) के बाद भी राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए हम कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए हैं।
सीमा सुरक्षा पर हमें तकनीकी दक्षता का तेजी से उपयोग करना चाहिये ताकि घुसपैठियों पर कड़ी निगाह रखी जा सके। परिंदा भी पर मारे तो हमें उसका पता चल जाए। इन सब के अलावा हमें अपने साइबर स्पेस को सुरक्षित करने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। आतंकवादी साइबर स्पेस के माध्यम से अपने नेटवर्क को फैला रहे हैं। सोशल मीडिया और पोर्न साइट्स के माध्यम वायरस के जरिये हमारी साइबर दुनिया में घुसकर जानकारियां चुराते है, जिस पर हमें विशेष ध्यान देने की जरुरत है। भारत हमेशा से शांतिदूत रहा है। पूरे विश्व समुदय को एक साथ लेकर आतंकवाद के खात्मे के लिए एक सशक्त अभियान चलाये जाने की जरुरत है।                 
-ऋतेन्द्र माथुर

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