15-Apr-2013 10:14 AM
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पीछे मुड़ के देखिये, दस साल पहले आप चिंतित थे और आप अभी भी यहाँ हंै। पाँच साल पहले आप किसी चीज़ से चिंतित नहीं थे, आप अभी भी मौजूद हंै, जिन्दा! आप ने कितना वक्त धारणा, चिंता और अनुत्पादक विचारों में बर्बाद कर दिया, हाँ या ना?
हाँ, हमें अपने अनुभवों से सीखना चाहिए। कितना समय हम शिकायत करने में बर्बाद कर देते हैं और हमारी सारी प्राण शक्ति सूख जाती है और रोग आ जाते हैं। रक्तचाप, मधुमेह, कर्क रोग, इत्यादि यह सब अनुत्पादक और नकारात्मक भावनाओं का परिणाम है। तो हमे यह पूरा चक्र बदलना होगा। हम नकारात्मक महसूस करते है, फिर हम सब कुछ नकारात्मक देखते हैं और फिर हम उदास हो जाते हैं तब हमें लगता है कि कुछ भी सकारात्मक है ही नहीं और इसी तरह आप एक दुष्चक्र में चले जाते हैं। आप को इन सब से बाहर निकलना होगा और ध्यान, योग और प्राणायाम, सब यही है; मन का संचालन कैसे करें और आत्मा का उठान कैसे करे और वास्तव में यह आशीर्वाद स्वरुपी है।
तीन तरह के विश्वास जीवन में जरुरी हंै, एक है विश्वास उस अनंत शक्ति में जो इस दुनिया का संचालन कर रही है। दूसरा है आस-पास के लोगों की अच्छाइयों पर विश्वास। दुनिया में अच्छे लोग हंै, और यदि आप सोचेंगे की सभी खराब हंै तो आप भी खऱाब हो जायेंगे। यदि आप सोचेंगे की सभी लोग ठीक ठाक ही हैं तो आप छोटे हो जाते हैं, आप सिकुड़ जाते हैं और आप भी उनका हिस्सा बन जाते हैं। इस गृह में अच्छे लोग है, और उनकी अच्छाइयों पर भरोसा रखना पड़ेगा। तीसरा है, अपने आप पर विश्वास। बहुत बार लोग अपने आप पर भरोसा नहीं करते और यह एक समस्या है। तो खुद पर भरोसा, लोगों की अच्छाइयों पर भरोसा और उस अनंत शक्ती पर भरोसा। यह तीन तरह के विश्वास जीवन में जरुरी हंै। तब आप स्वस्थ रहते हो, अन्यथा आप संविभ्रमी हो। क्या आपने देखा है की संविभ्रम से पीडि़त लोग कैसा व्यवहार करते हैं। वह सभी से डरते हैं और अपने आप को कमरे में ताला लगाकर बांध कर देते हैं। यह मानसिक बीमारी है। यदि आप इस मानसिक बिमारी से छुटकारा पाने चाहते हैं और स्वस्थ रहना चाहते हैं तो फिर इन तीन तरह के विश्वास को जानिये। अब, विश्वास को समझने के लिए, संदेह क्या है यह समझना पड़ेगा।
संदेह सिर्फ उसी पर होता है जो सकारात्मक है, क्या आपने ध्यान दिया है? आप किसी व्यक्ति की ईमानदारी पर शक करते हो उसकी बेईमानी पर नहीं। यदि कोई कहता है कि वह व्यक्ति बेईमान है तो आप उसपर विश्वास करते हो, नहीं? हम दूसरे की इमानदारी पर शक करते हैं। यदि कोई आपसे कहता है की मैं तुम्हे बहुत चाहता हूँ तो आप पूछते हो, क्या सच में? यदि कोई आपसे कहता है कि मैं तुमसे नफरत करता हूँ तो आप नहीं पूछते क्या सच में? आप मान लेते हो की वह व्यक्ति आपसे नफरत करता है। तो शक हमेशा प्रेम पर ही होता है। यदि कोई आप से पूछता है कि क्या आप खुश हो, आप कहते हो, मैं यकीन के साथ नहीं कह सकता, लेकिन यदि कोई आपसे कहता है कि आप दुखी लग रहे हो, आप कभी अपनी उदासी पर शक नहीं करते, पर आप अपनी खुशी पर संदेह करते हैं। जब आप दुखी होते हो तो आप निसंदेह उदास हो लेकिन जब आप खुश होते हो तब आप उस पर आप संदेह करते हैं। हमारा संदेह सकारात्मक बातों के लिए ही होता है। हम लोगों की अच्छाइयों पर संदेह करते हैं, हम अपनी क्षमातायों पर शक करते हैं, पर हम अपनी कमजोरियों पर कभी शक नहीं करते। आप अपनी क्षमातायों के बारे में निश्चित नहीं है लेकिन आप अपनी कमजोरियों के लिए निश्चित हंै। हमें इसे बदलना होगा। अध्यात्मिक प्रवचन गुलाब के फूलों के सेज की तरह होते हैं, इतने आरामदायक कि सो जाएं और फिल्म देखते वक्त आप नहीं सोते क्योंकि वह काटों की सेज की तरह होते हैं, आप को जगा देते हैं, खासकर जब की कोई अपराध वाली फिल्म होती है तो आप कभी नहीं सो सकते।
यदि आप किसी हिंदू मंदिर में जाए, तो नारियल हमेशा रखते हैं। क्या आप जानते हो वह क्यों? नारियल जीवात्मा का प्रतिक है। वह एक सदमा अवशोषक है और ऐसा ही होना चाहिए हमे जीवन में, सदमा अवशोषक। एक नारियल इतनी ऊंचाईयों से गिरता है लेकिन वह टूटता नहीं है क्यूंकि वह सदमा अवशोषक है। हमारा व्यवहार सदमा अवशोषक की तरह होना चाहिए समाज में, जिससे कोई हमारे मन या भावनाओ को चोट ना पंहुचा सके। हमारा शरीर नारियल के छिलके की तरह सख्त होना चाहिए और हमारा मन अन्दर के गर की तरह होना चाहिए, नरम और शुद्ध श्वेत और मीठे पानी की तरह अन्दर की भावनाएं। तो इसिलए नारियल को मंदिर के अन्दर तोड़ा जाता है और रखा जाता है यह दर्शाने के लिए, हे ईश्वर मेरा जीवन नारियल की तरह हो, शरीर मजबूत और मन मुलायम, शुद्ध और स्पष्ट।