02-Feb-2016 07:31 AM
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महिलाओं की सुरक्षा और स्थिति को लेकर लंबे समय से बहस जारी है। हालांकि महिलाओं की हालत दिन पर दिन बद्दतर जरूर होती जा रही है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला यूपी के संभल में जहां एक लड़की तीन दिन तक भरी सभा में

नीलाम होती रही और कोई उस बेचारी को बचाने आगे नहीं आया। 16 साल की लड़की को रामपुर से किडनैप करके संभल लाया गया था। दो लड़के उसे किडनैप करके गांव लाए थे। जानकारी के मुताबिक लड़की को गांव में लाने के बाद दोनों ने उसके लिए खरीददार ढूढऩे की तालाश शुरू कर दी। गांव में एक जगह पर ही सरेआम लड़की की बोली लगाई गई। बाद में एक शख्स ने 70 हजार बोली लगाकर लड़की को अपने पास रखने का ऐलान किया।
पुलिस को मामले की सूचना देने पर भी वह मौके पर नहीं पहुंची। नीलामी छुप-छुपाकर किसी मंडी में नहीं बल्कि गांव की ही एक पंचायत में की गई। नहीं, ये घटना किसी ऐसे देश की नहीं है जहां औरतें गुलाम हैं। शर्मसार करने वाली ये घटना यूपी के संभल की है। गांव की पंचायत में तीन दिनों तक इस लड़की की बोली लगती रही और 70 हजार रुपए में इसे एक शख्स के हवाले कर दिया गया। मीडिया में खबर आने के बाद स्थानीय पुलिस हरकत में आयी। पूर्व प्रधान सूरज सिंह यादव के घर से पीडि़त नाबालिग छात्रा अन्जू को बरामद कर थाने ले आयी। थाना पुलिस पर आरोप है कि पुलिस पहुंचने के बाद पीडि़ता ने तीनों आरोपी युवकों को पकडऩे का इशारा किया लेकिन पुलिस ने जानबूझकर पीडि़ता की बात को इग्नोर कर दिया। जनपद रामपुर के थाना पटवाई क्षेत्र के गांव निस्वाह के रतनलाल की 15 साल की बेटी अन्जू कक्षा-10 की छात्रा है। आरोप है कि बीती 7 जनवरी को स्कूल से आते समय थाना हयात नगर क्षेत्र के गांव निवोरा के विकास, अंकुर व विदेश ने छात्रा को जबरन कार में डाल कर निबोरा गांव ले आए। तीनों नें मिलकर पहले तो छात्रा के साथ गैंगरेप किया। गैंगरेप से मन भरने के बाद नाबालिग छात्रा की नीलामी गांव की पंचायत में ही 70 हजार में कर दी। तीन दिन तक गांव में किशोरी का सौदा होता रहा और थाना पुलिस कान में तेल डाले बैठी रही। जब ये खबर मीडिया में पहुंची तब कहीं जाकर सम्भल पुलिस की नींद टूटी। इसके बाद पीडि़त छात्रा को आनन-फानन में बरामद कर थाने ले जाया गया। इस दौरान पीडि़ता को मीडिया से दूर रखा गया। जबकि तीनों आरोपी युवक पुलिस के सामने ही खड़े रहे। लेकिन पुलिस ने उनको छुआ तक नहीं। आरोप है कि पीडि़ता ने तीनों आरोपी युवकों की तरफ इशारा कर के पुलिस को उन्हें पकडऩे के लिए कहा भी लेकिन पुलिस ने पीडि़ता की एक न सुनी। पुलिस अधीक्षक अतुल सक्सैना ने बताया कि पीडि़त लड़की के बयानों के आधार पर मुकदमा दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। थाना पुलिस ने अपने ही एसपी के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए पीडि़ता को बिना मुकदमा लिखे ही परिजनों के सुपुर्द कर अपने कर्तव्य की इति श्री कर ली। कई देश में महिलाओं को गुलाम बनाकर रखा जाता है। नाइजीरिया हो या अरब, महिलाओं की बोली लगाना और चंद रुपयों के लिए उन्हें बेच देना आम बात है। अरब के शेख अपनी अय्याशियों के लिए पैसे लुटाते हैं, और चंद पैसों के लालच में गरीब अपनी बेटियों को उनके हवाले कर देते हैं। मानवता की दृष्टि से देखें तो ये निहायत ही अमानवीय लगता है, हम ऐसे देशों पर लानत भेजते हैं, पर जब अपने ही देश में इस तरह की हैवानियत देखने मिलती है तो सवाल यही खड़ा होता है कि भारत में महिलाओं की दशा बाकी देशों से कैसे अलग है।
हैदराबाद में भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां खाड़ी देश में रहने वालों ने यहां की लड़कियों के सौदे किए। ऐसी इक्का दुक्का घटनाएं नहीं, बल्कि सैकड़ों लड़कियां गवाह हैं। गरीब मुस्लिम परिवारों की लड़कियां कच्ची उम्र में ही पैसा देने वाली मशीन की तरह बन जाती हैं। बस एक मालदार ग्राहक ढ़ूंढकर लड़की का बाकायदा निकाह कराया जाता है, बदले में लड़की के घरवालों को पैसे मिल जाते हैं। लड़की की उम्र जितनी कम होगी, वो जितनी सुंदर होगी, उसी के अनुसार कीमत मिलेगी ये ग्राहक कुछ दिन लड़की को साथ रखते हैं, अय्याशियां करते हैं और जब मन भर जाता है तो उन्हें, तलाक देकर आजाद कर देते हैं। कई शेख तो लड़कियों को अपनी बेगम बनाकर बाहर ले जाते हैं और फिर उन्हें वहां बेच देते हैं। ये अरबी शेख कुछ दिनों के लिए यहां आते हैं और जब तक यहां रहते हैं किसी न किसी लड़की से निकाह कर लेते हैं। ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहता है। लड़की बार-बार बेची जाती है, और एक ही लड़की का कई बार निकाह पढ़ा जाता है। इस खरीद फरोक्त के धंधे को बस निकाह का जामा पहनाकर, शराफत का नकाब उड़ा दिया जाता है। संभल का वाकया, शायद प्रशासन की आखें खोलने के लिए काफी है, ये वाकया बता रहा है कि हैदराबाद ही नहीं, देश के कई हिस्सों में लोग अब इस तरह के जहनी खयालों को अंजाम दे रहे हैं। लड़कियां नीलाम हो रही हैं, बिक रही हैं, दो चार बार बिकने के बाद वो वेश्यावृत्ति के धंधे में शामिल हो जाती हैं।
-माया राठी