02-Feb-2016 07:25 AM
1234790
स्ट्रेलिया में हुई वनडे सीरीज में लडख़ड़ाने के बाद भारतीय टीम ने टी 20 में सभी तीनों मैच जीत कर हिसाब तो चुकता कर लिया है इस दौरान भारतीयों का बेहर प्रदर्शन भी सवालों के घेरे में रहा। वैसे देखा जाए तो इंडिया के बल्लेबाजों का

प्रदर्शन हमेशा सराहनीय रहता है, वे सेंचुरी बनाते है, रिकॉर्ड बनाते हैं लेकिन टीम हार जाती है। क्या रनों का अंबार लगाने वाले ये बल्लेबाज टीम की जीत से ज्यादा खुद के रिकॉर्ड के लिए खेलते हैं? यह सवाल आस्ट्रेलिया में वन डे सीरीज 4-1 से हारने के बाद उठने लगे हैं। जब पहले चार लगातार वनडे में हार के बाद टीम इंडिया के डायरेक्टर रवि शास्त्री से पूछा गया कि क्या टीम भारतीय बल्लेबाजों के स्वार्थी रवैये के कारण हार रही है तो शास्त्री ने इसे बकवास करार दिया था। लेकिन अब जबकि टीम इंडिया अपने बल्लेबाजों के लचर प्रदर्शन के कारण ही कैनबरा में खेला गया चौथा वनडे में हार गई तो ये सवाल फिर से उभर आया है। संयोग देखिए इन चारों ही वनडे में किसी न किसी भारतीय बल्लेबाज ने सेंचुरी जरूर बनाई और इनमें से तीन बार तो भारत 300 प्लस स्कोर खड़ा करके मैच हारा। लेकिन बड़े-बड़े स्कोर खड़े करने के बावजूद हर बार ऐसा लगा कि भारतीय बल्लेबाजों ने जैसे अपने स्कोर को बेहतर बनाने के लिए टीम के स्कोर को थोड़ा कम ही रह जाने दिया। अब इस वनडे में बल्लेबाजों ने जिस लापरवाही का परिचय देते हुए जीता हुआ मैच गंवाया है उससे टीम से ज्यादा उनके खुद के लिए खेलने की बात कहने वाले आलोचकों को फिर से आलोचना का मौका मिल गया है।
जब रवि शास्त्री से पूछा गया कि क्या टीम इंडिया के बल्लेबाज टीम से ज्यादा खुद के रिकॉर्ड के लिए खेले तो शास्त्री का जवाब था, अगर ऐसा होता तो विराट कोहली सबसे तेज 7000 रन बनाने वाले बल्लेबाज नहीं बनते बल्कि यह रिकॉर्ड बनाने के लिए वह 100 पारियां और लेते। ऐसा होता तो रोहित शर्मा के नाम वनडे में दो डबल सेंचुरी नहीं होतीं। कप्तान धोनी भी ऐसे आरोपों को नकार चुके हैं। भले ही शास्त्री और धोनी अपने बल्लेबाजों का बचाव करें लेकिन अगर आप पहले तीनों वनडे पर नजर डालें तो भारतीय बल्लेबाजों के रवैये पर सवाल जरूर खड़े होते हैं। पर्थ और ब्रिस्बेन वनडे में रोहित शर्मा ने सेंचुरी बनाई और दोनों बार टीम इंडिया ने 300 प्लस स्कोर खड़ा किया।
-आशीष नेमा