16-Jan-2016 10:58 AM
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लोढ़ा कमिटी क्रिकेट से भ्रष्टाचार दूर करने के लिए जो सिफारिशें करने जा रही है वह क्रिकेट ही नहीं देश के बाकी के खेल संघों के लिए भी उतना ही जरूरी है-इसमें कहा गया है कि नेताओं को खेल संघों से दूर किए जाए, जानिए क्यों है ये

जरूरी? क्रिकेट के मैदान पर भले ही असली मैच खिलाड़ी खेलते हों लेकिन मैदान के बाहर भारतीय क्रिकेट को चलाने वाली संस्था बीसीसीआई का खेल देश के जाने-माने राजनीतिज्ञ और बिजनेसमैन खेलते हैं। बीसीसीआई के कुल 27 सदस्यों में से आधे से ज्यादा की कमान किसी न किसी ताकतवर पॉलिटिशन के हाथों में हैं। ऐसा नहीं है कि ऐसा सिर्फ सोने का अंडा देने वाले खेल क्रिकेट के साथ है बल्कि हॉकी, फुटबॉल, जूडो, बॉक्सिंग, बैडमिंटन जैसे खेलों में भी दिग्गज और घाघ पॉलिटिशन ने लंबे समय से अपना वर्चस्व कायम कर रखा है। इन पॉलिटिशियन की लंबे समय से मौजूदगी की वजह से ही भले ही भारत इन खेलों में बहुत अच्छा प्रदर्शन न कर रहा हो और इन खेलों की हालत लगातार खराब होती चली गई हो लेकिन इनकों चलाने वाली संस्थाओं में इनका रुतबा और ताकत कायम रही है।
बीसीसीआई की पिच पर नेताओं की बैटिंग क्यों
इस देश में क्रिकेट प्रशासन की देखरेख और क्रिकेट के भविष्य का जिम्मा उन लोगों के हाथों में हैं जिन्होंने खुद कभी हाथ में बैट तक नहीं पकड़ा। यानी बहुत संभव है कि भारत में क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख के पदों पर बैठे वे नेता टीम और खिलाडिय़ों का भविष्य तय करते हैं जिन्हें खेल के बारे में खुद कुछ पता नहीं होता। खास बात ये है कि खेल प्रशासक बनने में बीजेपी हो या कांग्रेस या कोई अन्य पार्टी सभी के नेता आगे नजर आते हैं। आइए देखें।
अमित शाह: बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जून 2014 से गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने हैं।
शरद पवार: शरद पवार बीसीसीआई और आईसीसी के भी अध्यक्ष रह चुके हैं और इस साल जून में वह फिर से मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर काबिज हुए हैं।
फारूख अब्दुल्ला: फारूख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर क्रिकेट के अध्यक्ष हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया: कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य को मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के चेयरमैन हैं।
राजीव शुक्ला: राजीव शुक्ला तीन बार बीसीसीआई के उपाध्यक्ष रह चुके हैं, आईपीएल के चेयरमैन हैं और साथ ही उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव भी हैं।
अरुण जेटली: डीडीसीए में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप झेल रहे जेटली 1999 से 2013 तक डीडीसीए के अध्यक्ष रहे हैं।
अनुराग ठाकुर: सांसद अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष होने के साथ-साथ बीसीसीआई के सचिव भी हैं।
अमिताभ चौधरी: पूर्व आईपीएस ऑफिसर और 2014 में बीजेपी से जुडऩे वाले अमिताभ चौधरी के हाथों में झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन की कमान है।
गोकाराजू गंगा राजू: बीजेपी सासंद गोकाराजू आंध्र प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव हैं।
अनिरुद्ध चौधरी: हरियाणा क्रिकेट एसोसिशएन की कमान अनिरुद्ध के हाथों में हैं। वह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल के पोते और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष रनबीर महिंद्रा के बेटे हैं।
लालू प्रसाद यादव: लालू प्रसाद यादव पिछले 15 वर्षों से बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं।
बाकी खेल संघों पर भी हावी रहे हैं नेता
विजय कुमार मल्होत्रा: 42 वर्षों से आर्चरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष।
प्रिय रंजन दासुमंशी: 20 वर्षों तक ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के अध्यक्ष। 2008 में कोमा में जाने के बाद एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कमान संभाली।
जगदीश टाइटलर: 27 वर्षों तक जूडो फेडरेशन ऑफ इंडिया की कमान संभाली।
सुरेश कलमाड़ी: 16 वर्षों तक भारतीय ओलिंपिक एसोसिएशन की कमान संभालने वाले कलमाड़ी 2010 के कॉमनवेल्थ घोटालों के कारण फिलहाल जेल में हैं।
अजय और अभय सिंह चौटाला: ये दोनों कई खेल संघों के प्रमुख रहे हैं। अभय चौटाला इंडियन बॉक्सिंग एसोसिएशन के चीफ रहे हैं। इसकी कमान अब उनके ही रिश्तेदार और बीजेपी सांसद अभिषेक मटोरिया के हाथों में हैं। वहीं उनके बड़े भाई अजय चौटाला टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं।
यशवंत सिन्हा: यशवंत सिन्हा 12 वर्षों तक ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं।