02-Feb-2016 07:21 AM
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एक दशक से साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल रहे मध्यप्रदेश को न जाने किसकी नजर लग गई है या प्रदेश की कानून-व्यवस्था चरमरा गई है, यह शोध का विषय बन गया है। क्योंकि मध्यप्रदेश में इन दिनों जैसे शांत हालात बाहर से नजर

आ रहे हैं, वास्तव में वैसा है नहीं! पिछले कुछ महीनों में कहीं भी झगड़ा-फसाद और सांप्रदायिक तनाव उभर आना सामान्य बात हो चली है! मुद्दा सिर्फ कुछ लोगों के बीच हो रहे विवाद या दो समुदायों के बीच तनाव बढऩे तक सीमित नहीं है! अब तो ये सांप्रदायिक तनाव हिंसक हो चले हैं। पूरे प्रदेश में जरा सी बात या अकारण ही आग सुलगती नजर आने लगी है। सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति मालवा और जबलपुर संभाग की है! मालवा इलाका कई दिनों से बेहद संवेदनशील हैं! इस इलाके के कई जिले बारूद के ढेर पर बैठे लग रहे हैं। जरा सी चिंगारी इसे कभी भी बड़ी आग में तब्दील कर सकती है।
आश्चर्य इस बात पर कि पुलिस का खुफिया तंत्र और मुखबिरी का नेटवर्क भी इस सुगबुगाहट को भांपने में फेल हो रहा है! इंदौर में पिछले दिनों हुई घटना के अलावा देवास, धार, आगर, खरगोन, नीमच और खंडवा में दिखाई दी! इन दिनों मालवा का धार जिला सबसे ज्यादा संवेदनशील है। जिला मुख्यालय के अलावा धामनोद, धरमपुरी, बाग और अब मनावर में ऐसी ही घटना हुई! प्रशासन के लिए तो अब ये नियमित अभ्यास जैसा बन गया है! मालवा इलाका लम्बे समय से सिमी के बेस कैंप के रूप में जाना जाता है। खंडवा के बाद अब इस नेटवर्क से जुड़े लोग धार जिले में सक्रिय नजर आ रहे हैं! मध्य प्रदेश में इस तरह के तनाव के भड़कने का एक कारण सोशल मीडिया को भी माना जा रहा है। ये निष्कर्ष इसलिए निकाला गया, क्योंकि प्रदेश में सांप्रदायिक घटनाओं की जो वारदातें सामने आई हैं, उनमें से अधिकांश में सोशल मीडिया की भूमिका नजर आई! धार और खंडवा में सांप्रदायिक हिंसा की जो वारदातें रहीं उनमें व्हाट्सएप्प और फेसबुक से खबरें फैलाई गई! वर्ष 2015 में प्रदेश के 29 जिलों में करीब 50 सांप्रदायिक वारदातें हुईं। इन घटनाओं में से 18 घटनाएं सिर्फ इंदौर जोन में हुईं! जबकि, जबलपुर जोन में 12, भोपाल में एक, उज्जैन जोन में 7 वारदात हुई।
एक गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक मप्र में खुफिया तंत्र की विफलता, मैदानी पुलिस अफसरों का घटनाओं के प्रति कमजोर आकलन व समाज से संवादहीनता के चलते सांप्रदायिक सद्भाव और कानून व्यवस्था बिगडऩे लगी है। पुलिस के मैदानी अमले की रूचि कानून व्यवस्था से ज्यादा चौथ वसूली पर है। थानों में बढ़ती अराजकता की खबरें सीएम तक भी विभिन्न स्रोतों से पहुंच रही हैं। सद्भाव बिगडऩे की इन घटनाओं से नाराज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कई बार पुलिस अफसरों को कड़ी हिदायत देनी पड़ी है कि सांप्रदायिक सद्भाव हर हाल में कायम रखा जाए।
भीड़ एकत्र पर पुलिस को खबर नहीं
दो माह पहले भोपाल में एक धर्म विशेष के लोगों का भारी जमावड़ा हुआ। इसमें तीखी नारेबाजी और आक्रामक मुद्राओं का प्रदर्शन हुआ। इंदौर में भी पुलिस को ज्ञापन देने के बाद एक धर्म विशेष के लोगों का भारी जमावड़ा होने से हड़कंप मच गया। दोनों मामलों में सीएम ने पुलिस को जमकर फटकारा। मनावर में शौर्य यात्रा पर एक वर्ग विशेष के लोगों ने पथराव किया। कफ्र्यू के हालात बने। लोग कब एकत्र हो गए, पुलिस को खबर नहीं । बरघाट में दो वर्गों के बीच एक मामले में दो महीने के भीतर कई बार हिंसा भड़की। वर्ग विशेष के लोगों पर हमले हुए। कफ्र्यू की नौबत रही। खुफिया तंत्र नाकाम रहा। आरोपी जमानत पर छूटे तो भीड़ ने हमला कर दिया। जबलपुर के हनुमानताल थाने के पास खाई मोहल्ला के मोड़ पर बच्चों के बीच हुए मामूली विवाद को लेकर दो समुदायों के बीच विवाद। इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज और अश्रु गैस के गोले फैंके। गोहलपुर, आधारताल और हनुमानताल थाना क्षेत्र में धारा 144 लगानी पड़ी।
दंगा कहीं नहीं हुआ: गौर
उधर गृह मंत्री बाबूलाल गौर कहते हैं कि पुलिस हर समय अलर्ट रहती है। हाल की घटनाएं छोटी-मोटी उत्तेजना है। सांप्रदायिक दंगा कहीं नहीं हुआ है। जो घटना हुई हैं वे व्यक्तिगत झगड़ें हैं। ऐसा कुछ नहीं हुआ है कि जिसे बेहद चिंताजनक माना जाए। स्थितियां पूरी तरह से नियंत्रण में है। गुप्तचर तंत्र भी ठीक काम कर रहा है।
सौरभ की मौत पर सीएस ने दिए जांच के निर्देश
भागीरथपुरा निवासी इंजीनियर सौरभ सूर्यवंशी की मौत के मामले में मुख्य सचिव एंटोनी डिसा ने अपर मुख्य सचिव गृह बसंत प्रताप सिंह को जांच के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने कहा है कि सौरभ की मौत का कारण सहित इसमें लापरवाही बरतने वाले जिम्मेदारों का पता किया जाए। उन्होंने जांच रिपोर्ट 15 दिन में देने को कहा है। इधर, सौरभ की मौत में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मी और अस्पताल प्रबंधन कटघरे में है। जांच के दौरान जो दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ शासन कार्रवाई करने की तैयारी में है। सौरभ की मौत के मामले में संयोगितागंज के एएसआई शोभाराम अटेरिया, विजय नगर के एसआई शिल्वानुस खाखा, सिपाही हरिओम द्विवेदी व जबर सिंह, सिनर्जी अस्पताल व एमवाय अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही उजागर हुई थी। दोषी पुलिस वालों को अफसरों ने सस्पेंड भी किया है।
-धार से अंकित कुमार