फार्मूला तय नहीं कर पाई सरकार
02-Feb-2016 06:43 AM 1235015

जैसे-जैसे बसंत पंचमी नजदीक आती जा रही है। वैसे-वैसे भोजशाला का विवाद गर्माता जा रहा है। धार स्थित भोजशाला में बसंत पंचमी को पूरे दिन पूजा करने के लिए हिंदू अड़े हुए हैं। वहीं मुसलमान भी इसी दिन नमाज पढऩे की जिद पाले हुए हैं। दोनों समुदायों के लोगों की जिद से धार में सांप्रदायिक तनाव की तलवार लटकती दिख रही है। दरअसल यही एक ऐसा दिन होता है जिस दिन दोनों समुदाय के लोगों को अपनी ताकत दिखाने का मौका मिलता है। शासन और प्रशासन की लाख समझाइश के बाद भी लोग भोजशाला विवाद को गर्माने की जिद पर अड़े हुए हैं। इसको देखते हुए वहां अभी से धारा 144 लागू कर दी गई है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि आखिर
प्रदेश की सरकारों ने इस भोजशाला विवाद को निपटाने का फार्मूला अभी तक तैयार क्यों नहीं कर पाई है।
मध्यप्रदेश सरकार के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार देश में सांप्रदायिक सद्भाव की सबसे बड़ी मिसाल है। लोगों को आशा थी कि शिवराज सिंह चौहान इस विवाद का कोई न कोई हल ढूंढ निकालेंगे। लेकिन वे भी इस समस्या का कोई हल नहीं निकाल पाए हैं। अब केन्द्र और राज्य में भाजपा की सरकार होने के कारण हिंदू संगठन इस बार पूरे दिन भोजशाला में पूजा करने की जिद कर रहे हैं। वहीं मुस्लिम समुदाय भी नमाज करने पर अड़ा हुआ है। इस बार दोनों समुदायों की जिद ने शासन और प्रशासन को असमंजस में डाल दिया है। हालांकि जिला प्रशासन ने अपने स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। सरकार की कोशिश है कि दोनों समुदायों को संतुष्ट करें। इसके लिए लगातार वार्ता भी चल रही है, लेकिन अभी तक असफलता ही हाथ लगी है। ऐसे में अब जिले के नए कलेक्टर के रूप में श्रीमन शुक्ल और प्रभारी मंत्री के रूप में उनके ससुर नरोत्तम मिश्रा पर बसंत पंचमी पर किसी के तरह के टकराव को रोकने का जिम्मा होगा। गौरतलब है कि इससे पहले भोजशाला को लेकर 2003, 2006 और 2013 में हिंदू-मुस्लिम समुदायों में तनाव से कफ्र्यू की स्थित निर्मित हो गई थी। उधर मुख्यमंत्री ने भी स्पष्ट कह दिया है कि वह इस मसले पर कोई विवाद नहीं चाहते हैं।
उल्लेखनीय है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इस विवादित जगह की देखरेख करता है और उसने हिंदुओं को मंगलवार व बसंत पंचमी और मुसलमानों को शुक्रवार को इस जगह पर आने की अनुमति दे रखी है। अगले महीने की 12 तारीख को शुक्रवार है और इसी दिन बसंत पंचमी भी इसके चलते दोनों समुदाय यहां पर आएंगे। इसे देखते हुए प्रशासन के हाथ पांव फूल गए हैं क्योंकि दोनों समुदाय यहां पर प्रार्थना करने पर अड़े हुए हैं। तीन साल पहले 2013 में भी शुक्रवार के दिन ही बसंत पंचमी आई थी और इसके चलते काफी तनाव हुआ था। इस मामले के स्थाई समाधान के लिए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बैंच में रिट लगी हुई है। इस मामले में हिंदुओं के पक्ष के नेता अशोक जैन ने बताया कि बसंत पंचमी के दिन वे चाहे जो व्यवस्था करें लेकिन हम भोजशाला से नहीं हटेंगे और पूरे दिन पूजा करेंगे। हम लाठियों का सामना करने को तैयार है। क्यों नहीं मुसलमान वहां पर एक दिन नमाज अदा न करने का बलिदान करते हैं। मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट निसार अहमद ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत चल रही है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है। हिंदू जोर दे रहे हैं कि हम उस दिन नमाज अदा नहीं करे। इस मामले में कई हिंदुओं और मुसलमानों ने जनहित याचिकाएं दायर कर रखी है। याचिकाकर्ताओं के वकील अशोक चिताले का कहना है कि केवल न्यायिक आदेश या विधायिका के दखल से ही समस्या का अंत हो सकता है। निसार अहमद और चिताले दोनों ने ही याचिका का जवाब न देने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार पर आरोप लगाया।

पिछले 18 सालों में कब क्या हुआ
धार स्थित भोजशाला पर 1995 में मामूली विवाद हुआ। मंगलवार को पूजा और शुक्रवार को नमाज पढऩे की अनुमति दी गई। 12 मई 1997 को कलेक्टर ने भोजशाला में आम लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया। मंगलवार की पूजा रोक दी गई। हिन्दुओं को बसंत पंचमी पर और मुसलमानों को शुक्रवार को 1 से 3 बजे तक नमाज पढऩे की अनुमति दी गई। प्रतिबंध 31 जुलाई 1997 तक रहा। 6 फरवरी 1998 को केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने आगामी आदेश तक प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया। 2003 में मंगलवार को फिर से पूजा करने की अनुमति दी गई। बगैर फूल-माला के पूजा करने के लिए कहा गया। पर्यटकों के लिए भी भोजशाला को खोला गया। 18 फरवरी 2003 को भोजशाला परिसर में सांप्रदायिक तनाव के बाद हिंसा फैली। पूरे शहर में दंगा हुआ। उसके बाद 2006 और 2013 में दानों समुदायों में तनाव से कफ्र्यू की स्थित निर्मित हो गई थी।
विवाद की वजह
जब जब शुक्रवार के दिन बसंत पंचमी आती है, तब तब यह भोजशाला विवाद गर्मा जाता है। हिन्दूवादी संगठनों के लिए मध्यप्रदेश में यह प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। धार में परमार वंश के राजा भोज ने 1010 से 1055 ईवी तक 44 वर्ष शासन किया। उन्होंने 1034 में धार नगर में सरस्वती सदन की स्थापना की। यह एक महाविद्यालय था जो बाद में भोजशाला के नाम से विख्यात हुआ। राजा भोज के शासन में ही यहां मां सरस्वती या वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गई। धार स्टेट ने 1935 में परिसर में नमाज पढऩे की अनुमति दी थी। स्टेट दरबार के दीवान नाडकर ने तब भोजशाला को कमाल मौला की मस्जिद बताते हुए को शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा करने की अनुमति वाला आदेश जारी किया था।
-विकास दुबे

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^