18-Jan-2016 07:06 AM
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सैफई महोत्सव हो और विवाद न हो ऐसा कैसे हो सकता है। कभी खर्च को लेकर तो कभी किसी और वजह से मुलायम सिंह यादव अक्सर इस स्वप्निल जश्न को लेकर विरोधियों के निशाने पर रहे हैं। ताजा विवाद की वजह मुख्यमंत्री अखिलेश

यादव की गैर मौजूदगी है। उद्घाटन के मौके पर मुलायम का पूरा कुनबा मौजूद था। उनके भाई रामगोपाल यादव ने नगाड़ा बजाया तो छोटी बहू अपर्णा यादव ने राग भीमपलासी में सरस्वती वंदना और राग मारवा में शिव स्तुति पेश की। हाल में समाजवादी पार्टी सुप्रीमो ने जिन तीन नेताओं के खिलाफ एक्शन लिया वे सभी अखिलेश के करीबी माने जाते रहे हैं। आनंद भदौरिया, सुनील यादव (सजान) और सुबोध यादव-ये तीनों सत्ता में आने से पहले टीम अखिलेश का हिस्सा थे। 2012 के विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान तीनों ही ने अखिलेश के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। संत कबीरनगर, गाजीपुर, गोंडा, बहराइच, मेरठ, शामली, हापुड़, पीलीभीत, बिजनौर, लखीमपुर और सीतापुर में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवारी को लेकर विरोध हुआ। सुनील के खिलाफ हुई कार्रवाई इसी के नतीजे के तौर पर देखी जा रही है।
टिकट बांटने में सुनील का बड़ा दखल रहा जिसमें गड़बड़ी की बात सामने आई। जालौन में एक बीमार महिला को, बांदा में बाबू सिंह कुशवाहा के करीबी को टिकट दिलवा दिया जो बीजेपी से चुनाव लड़ रहे एक बालू कारोबारी के सपोर्ट में चुनाव लडऩे से इंकार कर दिया और पार्टी की किरकिरी कराई। माना जा रहा है कि जब ये बातें मुलायम तक पहुंचीं तो उन्होंने कार्रवाई का फैसला किया। यूपी के पंचायत चुनाव में मायावती भले ही बड़ी प्लेयर बन कर उभरी हों, लेकिन रूलिंग फेमिली की बात आने पर वो भी वैसे ही बेअसर हो रही हैं जैसे लोक सभा चुनाव में मोदी लहर का हुआ। 2014 में मुलायम सिंह के परिवार की सारी सीटें मोदी लहर प्रूफ बनी रहीं, बल्कि मुलायम तो दो-दो जगह से जीते।
पति, पत्नी और सियासत
ननद भी भाभी की तरह निर्विरोध चुन ली जाएंगी। जिस तरह तीन साल पहले डिंपल यादव यूपी की कन्नौज सीट से लोक सभा पहुंचीं उसी तरह संध्या यादव मैनपुरी जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठेंगी। संध्या यादव, बदायूं से सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन यानी मुलायम सिंह यादव की भतीजी हैं, जबकि डिंपल यादव उनकी बहू और यूपी के सीएम अखिलेश यादव की पत्नी। विरोध के स्वर मैनपुरी में भी उठे थे, लेकिन बात जब परिवार की आई तो घोषित उम्मीदवार ही बदल दिया गया। राहुल यादव का विरोध हुआ तो उन्हें हटाकर संध्या को उम्मीदवार बनाया गया। विरोध तो बिजनौर में भी हुआ। मामला वहां भी पारिवारिक था। दो अलग-अलग परिवार आमने-सामने आ गए थे। ये बात अलग है कि उन दोनों में से कोई सत्ताधारी परिवार का नहीं था। फिलहाल बिजनौर में दो परिवार आमने-सामने हैं। दोनों समाजवादी पार्टी से विधायक हैं। एक विधायक ने अपनी पत्नी के लिए टिकट पर दावेदारी जताई तो दूसरे ने अपने पति के लिए टिकट मांगा। पार्टी ने स्टैंड लिया तो झगड़ा खुल कर सामने आ गया।
नगीना से विधायक मनोज पारस ने अपनी पत्नी नीलम पारस के लिए टिकट मांगा। मांग मंजूर हो गई और नीलम को पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार बना दिया गया। दूसरी तरफ बिजनौर विधायक रुचि वीरा ने पति उदयन वीरा के लिए टिकट मांगा। पार्टी ने रुचि को सस्पेंड और उनके पति उदयन को पार्टी से ही निकाल दिया। कार्रवाई के बाद रुचि ने कहा कि हाई कमान ने अपनी मर्जी से फैसला किया है और अब वो पति के लिए आसानी से प्रचार करेंगी।
कौन किसका करीबी
संध्या यादव उर्फ बेबी के पति अनुजेश प्रताप फिरोजाबाद से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते हैं जबकि उनकी मां यानी बेबी की सास उर्मिला यादव समाजवादी पार्टी की विधायक रह चुकी हैं। इसी तरह हमीरपुर से भी धर्मेंद्र यादव की रिश्तेदार वंदना यादव को उम्मीदवार बनाया गया है। मुलायम के पौत्र अभिषेक यादव को इटावा से प्रत्याशी बनाया गया है। खबरों के मुताबिक मंत्री राजकिशोर के बेटे देवेंद्र सिंह को बस्ती, पूर्व मंत्री योगेश प्रताप की पत्नी विजय लक्ष्मी को गोंडा, अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को मेरठ, आशु मलिक के भाई नूर हसन को गाजियाबाद, अरविंद सिंह गोप के भाई ओम प्रकाश सिंह को बाराबंकी और वीरेंद्र सिंह की बहू शेफाली चौहान को शामली से उम्मीदवार बनाया गया है। परिवार और रिश्तेदारों की तरह पार्टी नेताओं को खुश रखना सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रही है। मंत्री पारस यादव के परिवार से तीन लोग जिला पंचायत सदस्य बने हैं, जिनमें से एक को वो जौनपुर से जिला पंचायत अध्यक्ष का टिकट चाहते थे। आलाकमान ने नामंजूर कर दिया। इसी तरह मंत्री शाहिद मंजूर, महबूब अली, रामपाल यादव, कुलदीप सेंगर, राकेश सचान और राजू यादव भी अपनों के लिए टिकट मांगे थे लेकिन उनके खाते में मायूसी ही आई। मुलायम के भाई शिवपाल यादव ने साफ किया है, सबको पार्टी लाइन पर चलना होगा, जो भी इधर उधर चलेगा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। निलंबित विधायक रुचि वीरा पार्टी के मजबूत नेता आजम खान की करीबी बताई जाती हैं। रुचि ने 2014 में बीजेपी विधायक कुंवर भारतेंदु के सांसद बन जाने के बाद हुए उपचुनाव में जीत हासिल की थी।
-लखनऊ से मधु आलोक निगम