जेटली के गले की फांस बने डीडीसीए घोटाले
02-Jan-2016 07:39 AM 1234795

3 दिसंबर को भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच चौथे टेस्ट मैच के आयोजक के तौर पर जब दिल्ली के फिरोजशाह कोटला पर आशंका के बादल मंडराये तो डीडीसीए की अनियमितता की चर्चा जोरों से उठी। हालांकि हाई कोर्ट के हस्ताक्षेप से मैच की मेजबानी तो डीडीसीए को मिल गई लेकिन इससे ये बातें भी सामने आईं कि कैसे वर्षों से डीडीसीए वित्तीय अनियमितताओं की पनाहगाह बन गया है। दरअसल डीडीसीए ने 2013 से ही बीसीसीआई के पास अपना वित्तीय लेखाजोखा पेश ही नहीं किया है। इसकी वजह डीडीसीए में कथित तौर पर हुए घपले हैं।
इतना ही नहीं डीडीसीए पर 2008 से लेकर 2012 तक का एंटरटेंमेंट टैक्स भी बकाया है। इन्हीं वजहों से बीसीसीआई ने चौथे टेस्ट की मेजबानी से पहले डीडीसीए को अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि वह या तो सबकुछ दुरुस्त करे या फिर मेजबानी छीने जाने के लिए तैयार रहे। बाद में हाई कोर्ट ने जस्टिस मुद्गल की कमिटी की देखरेख में इस टेस्ट का आयोजन कोटला में कराया। कई जानेमाने क्रिकेटर पहले भी डीडीसीए की शिकायत अरविंद केजरीवाल से कर चुके हैं, जिनमें बिशन सिंह बेदी से लेकर कीर्ति आजाद और दिल्ली रणजी टीम के कप्तान गौतम गंभीर तक शामिल हैं। तब दिल्ली सरकार ने मामले की जांच की घोषणा की थी और अब उसी जांच के नतीजों के आधार पर वह जेटली को निशाना बना रही है। 2009 में फिरोजशाह कोटला में आयोजित भारत-श्रीलंका के एक मैच को इसलिए रदद् कर देना पड़ा था क्योंकि मेहमान टीम ने पिच की खतरनाक स्थिति को लेकर शिकायत की थी। डीडीसीए को यह शर्मिंदगी तब झेलनी पड़ी जबकि 2000 से 2007 तक के दौरान फिरोजशाह कोटला मैदान का पुनरुद्धार करने में 114 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए थे। पुनरुद्धार का भारी-भरकम खर्च भी अब सवालों के घेरे में हैं क्योंकि इस कार्य के लिए प्रारंभिक बजट महज 24 करोड़ रुपये था लेकिन लगे उससे 90 करोड़ रुपये ज्यादा। अब डीडीसीए से इन 90 करोड़ रुपयों का हिसाब मांगा जा रहा है।

अरुण जेटली की भूमिका पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?
दरअसल पिछले एक दशक के दौरान डीडीसीए में हुईं ज्यादातर कथित वित्तीय अनियमितताएं अरुण जेटली के चेयरमैन रहने के दौरान (1999-2013) ही हुईं। हालांकि अरुण जेटली को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा डीडीसीए की गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के लिए गठित पैनल ने क्लीन चिट दे दी है और कहा कि जेटली डीडीसीए के गैर-कार्यकारी चेयरमैन थे और उनका डीडीसीए के रोजमर्रा के कामकाज से कोई लेनादेना नहीं था। लेकिन अगर यह मान भी लिया जाए कि इन अनियमितताओं में जेटली की सीधे तौर पर कोई भूमिका नहीं थी तब भी कैसे वह इतने बड़े घपलों के प्रति आंख मूदें रहे।
डीडीसीए में भ्रष्टाचार के खुलासे का दावा करते हुए भाजपा से निकाले गए सांसद और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने कहा है कि डीडीसीए ने कई फर्जी कंपनियों से करार कर करोड़ों रुपये दिए। डीडीसीए में किराये पर लिए गए सामान पर बड़ी फिजूलखर्ची की गई। यहां तक की डीडीसीए ने प्रिंटरों और कंप्यूटरों तक को भारी कीमत पर किराए पर लिया। आजाद का कहना है कि हमारा विरोध किसी से व्यक्तिगत नहीं, सिर्फ करप्शन के विरुद्ध। डीडीसीए ने कई फर्जी कंपनियों से करार किए। जिन कंपनियों से करार किए गए, उनके पते फर्जी निकले। किराये पर लिए सामान पर फिजूलखर्ची। फर्जी कंपनियों से करार कर करोड़ों दिए। फर्जी सप्लायरों को करोड़ों रुपये दिए। डीडीसीए से जुड़ी 14 फर्जी कंपनियां सामने आईं। 24 करोड़ का ठेका बढ़कर पहले 57 करोड़ रुपये हुआ। डीडीसीए के ऑडिटर ने भी खातों में फर्जीवाड़ा किया। सप्लायरों को डीडीसीए के बिलों में फर्जीवाड़ा।

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^