16-Jan-2016 10:34 AM
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के शासन का एक दशक से अधिक का अर्शा हो चला है, लेकिन उनकी समझाईश और चेतावनी का असर नौकरशाही पर पड़ता नजर नहीं आ रहा है। मुख्यमंत्री प्रदेश में विकास के लिए हर बार नई नीति और व्यवस्था

बनाते हैं और नौकरशाही उस व्यवस्था को ध्वस्त कर देती है। लेकिन शिवराज भी कहां मानने वाले हैं। वे न तो नौकरशाही की भर्राशाही से त्रस्त हुए हैं और न ही योजनाओं और परियोजनाओं के अटकने से पस्त। उनकी कोशिश है कि हर हाल में प्रदेश का विकास हो और अपने इसी मंत्र पर चलते हुए उन्होंने एक बार फिर विभागों की समीक्षा करते हुए अफरशाही को कसने की कोशिश की। विभागीय समीक्षा के तहत मुख्यमंत्री न इस बार पंचायत एवं ग्रामीण विकास की योजनाओं से की।
मुख्यमंत्री ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास की समीक्षा करते हुए कलेक्टरों की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए। बैठक में जब इंदिरा आवास की प्रगति पर चर्चा हुई तो सीएम भड़क गए। दरअसल, उन्हें जनसंवाद के दौरान इंदिरा आवास में गड़बड़ी, 2014 से पहले की किश्त बकाया होना, मजदूरी समय पर वितरित न होने की बड़े पैमाने पर शिकायतें मिली थीं। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि आखिर कलेक्टर कर क्या रहे हैं। योजनाओं के तहत बनाए गए एक ही मकान की फोटो पर कई लोगों को भुगतान किए जाने का फीडबैक मिला है। मनरेगा की मजदूरी कई जगह नहीं बंटी है। जिला व जनपद पंचायत के सीईओ मॉनीटरिंग नहीं कर रहे हैं। अधिकारियों की जि मेदारी तय कर उन्हें निलंबित करें। गंभीर अनियमितता का मामला हो तो सेवा से भी निकल दें। कहीं भी भुगतान में देरी हुई तो सीधे कलेक्टर जि मेदार होंगे। योजनाओं के क्रियान्वयन में कोताही बरतने वाले जिला व जनपद पंचायत के सीईओ के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि कलेक्टर के साथ जिला व जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निगरानी करनी चाहिए पर ऐसा नहीं हो रहा है। कई दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई भी नहीं की गई, जो सीईओ काम नहीं कर रहा है उसे निलंबित करें। भ्रष्ट और लापरवाह अफसरों को बाहर करें। उन्होंने कहा कि सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायत का निपटारा हुए बिना उसे निराकृत बताने वाले अफसरों को नोटिस दें और स त कार्रवाई करें। घटिया निर्माण की जानकारी देने के लिए फोटो ग्रामीणों से हासिल करने की व्यवस्था बनाई जाए। बैठक में पंचायत प्रतिनिधियों की मांगों का मुद्दा भी उठा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्वाचित प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ संबंधित विभागों से समन्वय करने के निर्देश भी दिए। सामाजिक न्याय विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने पेंशन भुगतान में देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि एक दिन तय कर पेंशन वितरित की जाए। मुख्यमंत्री ने बैठक में विभाग की नई योजना को लेकर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि ऐसी योजना मत बनाओ, जिससे संदेह पैदा हो। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सीमेंट कंपनियों द्वारा जनपद पंचायतों को सीधे सीमेंट दी जाएगी। यहां से वाजिब दाम पर विभिन्न योजनाओं के लिए पंचायतों को दी जाएंगी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से पूछा कि इसमें पारदर्शिता का पैमाना क्या होगा, तो अधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। इसी तरह गांवों में स्टेडियम बनाने के लिए जमीन नहीं मिलने के मामले में उन्होंने कहा कि अव्यवहारिक योजना ही क्यों बनाई। अच्छा होता कि पहले खेल विभाग से सलाह ले ली जाती। अब जनप्रतिनिधि और कलेक्टरों से चर्चा करके जहां जमीन उपलब्ध हो, वहां स्टेडियम बनाया जाए और इसका नाम मुख्यमंत्री खेल परिसर योजना रखा जाए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मनरेगा के अन्तर्गत मजदूरी भुगतान समय पर नहीं होने को लेकर अफसरों को फटकार लगाई है। समीक्षा बैठक के दौरान उन्होंने निर्देश दिए हैं कि जिस जिले में मजदूरों का भुगतान नहीं होगा तो वहां के कलेक्टर और सीईओ जिला पंचायत जिम्मेदार होंगे। मुख्यमंत्री की इस फटकार को मनरेगा आयुक्त एमआर रघुराज सहित अन्य अफसर सुनते रहे लेकिन किसी अफसर ने यह स्पष्ट नहीं किया कि मजदूरी का भुगतान अब सीधे मजदूर के बैंक खाते में हो रहा है। इसके लिए मप्र रोजगार गारंटी परिषद के माध्यम से सेंट्रल सा टवेयर विकसित किया गया है। सीएम को यह भी नहीं बताया गया कि साफ्टवेयर में तकनीकी खराबी आने से भुगतान ठप है। जानकारी के अनुसार अभी तक अकुशल श्रमिकों के नाम का 132 करोड़ 71 लाख रुपए की मजदूरी भुगतान अटकी है। वहीं अर्द्धकुशल श्रमिकों का 1 करोड़ 26 लाख का पेमेंट ठप है। मटेरियल के नाम का भी 59 करोड़ 63 रुपए रुक गए हैं। अपनी पहली ही समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने जैसी आक्रामकता दिखाई उससे अन्य विभागों के अफसर भी सहम गए।
-विनोद बक्सरी