किसकी संगत का किस पर हुआ असर!
16-Jan-2016 10:25 AM 1234833

बिहार में जंगलराज पार्ट टू की वापसी का राग अलापा जा रहा है। क्या वाकई जंगलराज की वापसी हो रही है या फिर कोई बड़ा षडयंत्र रचा जा रहा है? बहरहाल इस बीच दावा किया जा रहा है कि राज्य में एक बार फिर रंगदारी जरूरी हो रही है। दरभंगा के दो इंजीनियर का कत्ल हो या फिर वैशाली में एक इंजीनियर की एके 47 से भूनकर निर्मम हत्या यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन पर बड़ा दाग है। यह भी दलील दी जा रही है कि यह घटनाएं बिहार के सवर्ण जातियों की एक सोची समझी चाल है जिससे सूबे की गरीब और दबे-कुचलों की सरकार की सामाजिक न्याय की कोशिशों को विफल किया जा सके। वहीं दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि यह सुशासन बाबू की लालू यादव की संगत का असर है।
यह तो हम जानते ही हैं कि  संगत से गुण होते है-संगत से गुण जातÓÓ बिहार के चुनाव में लालू-नीतीश की जोड़ी रंग लाई। जदयू-राजद गठबंधन ने जनता का भरोसा जीता और भरपूर बहुमत के साथ सर्वाधिक सीटें लाकर सरकार बनाने में सफल रहे। हालांकि कौन मंत्री बनेगा और कौन संत्री इस पर काफी मत्थापच्ची भी हुई लेकिन बिहार के सिस्टम को और दुरूस्त करने को आतुर नीतीश-लालू की जोड़ी ने अपना मंत्रिमंडल सफलतापूर्वक तैयार कर विपक्ष को एक बार फिर जोरदार तमाचा मारने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इन तमाम जोर आजमाइश के बीच एक मुद्दा जनता और विपक्ष के बीच भी गोते लगा रहा था। यह मुद्दा था बिहार में जंगलराज पार्ट-2ÓÓ आएगा या सुशासन का राज कायम रहेगा। क्या बिहार में एक बार फिर विकास की नदियां बहेंगी। जब-जब सवाल उठा कि बिहार में जंगलराज पार्ट-2ÓÓ शुरू होने जा रहा है, तब-तब जनता ने जवाब दिया कि एक के बाद एक हार का सामना कर चुके लालू अब बदल चुके हैं और नीतीश अपने गुण में सबको रंग देंगे। सरकार बनने के बाद बिहार में सिलसिला शुरू हुआ विपक्ष के वार का और पक्ष के जवाब का। जहां एक ओर विपक्ष ने लालू के बेटे तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने पर तंज कसा, तेजस्वी यादव ने भी मीडिया के समक्ष आकर विपक्ष को ऐसा जवाब दिया कि बिहार के नौजवानों में एक बार फिर जोश की लहर सी दौड़ गई। इसके बाद एक के बाद एक अपने द्वारा लिए गए अहम फैसलों से तेजस्वी ने खूब चैक्के-छक्के लगाए। बिहारवासियों में एक भरोसा अपने वोट के सफल होने का हुआ। अब एक दौर आया जब विपक्ष के पाले में गेंद आई है। बिहार में हाल ही में हुई ताबड़तोड़ हत्याएं और लूटपाट की वारदातों पर राजनीतिक रोटी सेंकने का। हालांकि जब विपक्ष ने इस मामले में बिहार सरकार से सवाल पूछने शुरू किए तो किसी की हिम्मत नहीं हुई कि इसका जवाब दे सकें। जनता के मुंह से आह के अलावा कुछ नहीं निकल रहा है, उन्हें तो पता है कि वोट तो हमने ही दिया था। अब समझ में यह नहीं आ रहा है कि जिस सुशासन बाबू ने दुरूस्त कानून व्यवस्था और विकास के नाम पर बहुमत हासिल किया है, राजद के जोड़ीदार बनने के बाद उनकी कोई सुन नहीं रहा या अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को राजद के सत्ता में आ जाने के बाद से डर नहीं लग रहा। लेकिन जनता के लिए यह समझना जरूरी हो गया है कि लालू की संगत का असर नीतीश पर हुआ या नीतीश अपनी संगत में लालू गुट को ला पाने में असफल साबित हो चुके हैं, क्योंकि कहीं न कहीं संगति का असर तो एक-दूसरे पर दिखना ही चाहिए।
रंगदारी से ही होगा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
बीते एक दशक से बिहार में नीतीश कुमार का सुशासन चल रहा था। लालू प्रसाद यादव और आरजेडी की संगत छोड़कर सुशासन बाबू नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ पकड़ा और राज्य में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए सुशासन का एक नया मॉडल खड़ा किया था। लेकिन 2015 के विधानसभा चुनावों के लिए बने महागठबंधन के गठजोड़ ने सबसे बड़ा धक्का 2005 से राज्य में चले आ रहे सुशासन को दिया है। 2005 में नीतीश के मॉडल ने राज्य से रंगदारी, गुंडागर्दी, मर्डर और किडनैपिंग जैसे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस टूल्स को दरकिनार कर दिया। इन टूल्स के बड़े से बड़े और छोटे से छोटे प्रोफेश्नल्स को या तो जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया या फिर राजनीति के सफेद रंग से उनके काले धब्बों पर तोपन डाल दी गई। बिहार में अच्छे दिन लौटने के प्रमाण दिखाई देने लगे। पहले कांग्रेस और फिर आरजेडी के कई दशकों का जंगलराज बिहार से विलुप्त होने लगा। राज्य में बदलाव का श्रेय नीतिश की जेडीयू और बिहार बीजेपी को मिला। 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले केन्द्र में मोदी की सरकार बन गई। बिहार में नीतीश कुमार ने अपनी संगत बदल ली क्योंकि लोकसभा चुनावों में बीजेपी सुशासन का पूरा श्रेय अकेले डकार ले गई। लिहाजा, नीतीश ने अपने हिस्से के बचे-कुचे श्रेय को बटोरकर आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाया और विधानसभा चुनावों में बीजेपी को जबरदस्त पटखनी दे दी। चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर सत्ता के केन्द्र पर उन्हें बैठा दिया जिन्होंने 2005 के पहले रंगदारी, गुंडागर्दी, मर्डर और किडनैपिंग जैसे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस टूल्स में महारत हासिल कर रखी थी।
-कुमार विनोद

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