02-Jan-2016 06:55 AM
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पीएम मेटेरियल को लेकर महागठबंधन में पेंच फंस गया है। जदयू की दिल्ली में हुई बैठक में नीतीश कुमार को पीएम मेटेरियल करार दिया गया था। राजद को यह नागवार गुजरा है। जदयू को नसीहत देते हुए राजद ने कहा कि फिलहाल दूसरे

राज्यों के चुनाव से ज्यादा बिहार के विकास पर जदयू को ध्यान देना चाहिए। बताते चलें कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद ऐसा लगने लगा था कि इसे दूसरे राज्यों में दोहराया जाएगा। राजद प्रमुख लालू प्रसाद की ओर से दूसरे राज्यों में बैठक और सभा की तैयारी शुरु कर दी गई थी। लेकिन अब इसमें पेंच फंस गया है।
दरअसल, जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नीतीश को पीएम मेटेरियल करार देते हुए दूसरे राज्यों में महागठबंधन बनाने और नीतीश कुमार को विकास का चेहरा बनाने पर मुहर लगी तो राजद इससे नाराज हो गया। राजद ने जदयू के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि अन्य राज्यों में महागठबंधन के लिए किसी चेहरे को सामने लाने का यह सही वक्त नहीं है। अभी हमें केवल बिहार के विकास पर ही विशेष ध्यान देना चाहिए। राजद प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि दूसरे राज्यों में चुनाव से पहले महागठबंधन बनाना तो ठीक है, लेकिन खास चेहरे को प्रोजेक्ट करना गलत है। हमें अभी बिहार पर ही ध्यान देना चाहिए। नेता का फैसला सामाजिक-राजनीतिक आधार पर होना चाहिए।
कौन होगा चेहरा
दरअसल, जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नीतीश को पीएम मेटेरियल बताया जाना राजद को नहीं पच रहा है। खासकर जब जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दूसरे राज्यों में महागठबंधन बनाने और नीतीश कुमार को विकास का चेहरा बनाने पर मुहर लगी तो राजद नेताओं को यह रास नहीं आई। राजद का कहना है कि अन्य राज्यों में महागठबंधन के लिए किसी चेहरा को सामने लाने का यह सही वक्त नहीं है। अभी हमें केवल बिहार के विकास पर ही फोकस करना चाहिए। जब मनोज झा से यह सवाल पूछा गया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नीतीश जैसे विश्वसनीय चेहरा बनाने से राजद को तकलीफ होगी, झा ने कहा कि महागठबंधन को सबसे पहले बिहार में फोकस करना चाहिए। इससे पहले राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने लालू को महागठबंधन का आर्किटेक्ट बताया है। उन्होंने कहा कि लालू कोई मामूली नेता नहीं बल्कि किंगमेकर हैं। बिहार चुनाव में जिस तरह से महागठबंधन के पक्ष में लोगों ने वोट किया है उससे तय है कि लोग अब देश में भी परिवर्तन चाहते हैं। पूर्वे ने कहा कि देश बीजेपी और आरएसएस के खिलाफ लालू का नेतृत्व चाहता है। हमारा संगठन 21 राज्यों में है। महागठबंधन की जीत के बाद देश और दुनिया की नजर लालू पर जा टिकी है। लोगों को फिर से अहसास हो गया है कि लालू राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं। दरअसल, बिहार चुनाव में महागठबंधन को मिली महाजीत के बाद देश में नए राजनीतिक समीकरणों पर चर्चा शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव के बाद भी अपनी सत्ता बरकरार रखने का सपना देख रही समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी महागठबंधन की तैयारी शुरू कर दी है। सूत्र बताते हैं कि अगले महीने तक कई दल गठबंधन की घोषणा कर सकते हैं। सपा ने राज्य में समाजवादी विचारधारा की पार्टियों को एकजुट करना शुरू कर दिया है। कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने इसके संकेत भी दिए हैं। बिहार चुनाव के नतीजों से सपा को यह संदेश भी मिल गया है कि उसकी भाजपा से किसी भी तरह की नजदीकी पार्टी के लिए घातक है। इसलिए सपा ऐसे दलों को अपने गठबंधन में जोडऩे की तैयारी कर रही है जिससे मोदी और भाजपा से लडऩे का संदेश जनता के बीच जाए। साथ ही अखिलेश राज में किए गए विकास कार्यो को भी सपा भुनाएगी। सपा सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल का कहना है कि उप्र में भी बिहार की तर्ज पर महागठबंधन का प्रयोग किया जाएगा।
लालू नेता नहीं किंगमेकर रहे हैं
राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने लालू को महागठबंधन का आर्किटेक्ट बताया है। उन्होंने कहा कि लालू कोई मामूली नेता नहीं बल्कि किंगमेकर रहे हैं, बिहार चुनाव में जिस तरह से महागठबंधन के पक्ष में लोगों ने वोट कराया उससे तय है कि लोग अब देश में भी परिवर्तन चाह रहे हैं। पूर्वे ने कहा कि देश बीजेपी और आरएसएस के खिलाफ लालू का नेतृत्व चाहता है। हमारा संगठन 21 राज्यों में है। महागठबंधन की जीत के बाद देश और दुनिया की नजर लालू पर जा टिकी है। लोगों को फिर से अहसास हो गया है कि लालू राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं। बिहार बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की शानदार कामयाबी के बाद ऐसा लगने लगा था कि इसे दूसरे राज्यों में दोहराया जाएगा, लेकिन अब इसमें पेंच फंस गया है।
-कुमार विनोद