02-Jan-2016 08:18 AM
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रीवा जिले के बदवार पहाड़ में स्थापित होने जा रहे विश्व के सबसे बड़े सोलर पावर प्लांट से मध्यप्रदेश भारत ही नहीं बल्कि दुनिया पर छाने जा रहा है। लेकिन जिस जोश खरोश के साथ इसका शुभारंभ किया गया था उस तेजी से इसका
निर्माण नहीं हो पा रहा है। इसी बीच सोलर पॉवर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण का मामला तकनीकि पेंच में उलझा हुआ है। सरकारी भूमि का प्रकरण तो छह माह पूर्व ही प्रशासन ने निराकृत कर दिया था लेकिन अब निजी भूमि का पूरी तरह से अधिग्रहण नहीं हो पाने के चलते प्लांट का शुभारंभ भी अटका हुआ है। इसके लिए भोपाल में कई बार बैठकें भी आयोजित की गई हैं लेकिन निजी भूमि का कुछ हिस्सा विवादित होने की वजह से परेशानी आ रही है। कई महीने से जिला प्रशासन अधिग्रहण के लिए कार्रवाई कर रहा है लेकिन अभी तक अधिसूचना जारी नहीं हो सकी है।
दुनिया के सबसे बड़े 750 मेगावॉट क्षमता के सोलर पॉवर प्लांट की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा 12 दिसंबर 2014 को दी गई है। तब से इसके लिए भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई प्रारंभ है। पहाड़ी क्षेत्र में 1276.546 हेक्टेयर शासकीय भूमि का अधिग्रहण कर नवीन एवं नवकर्णीय ऊर्जा विभाग को दिया गया है। अभी यहां 223.454 हेक्टेयर निजी भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। इसमें अधिकांश लोगों से सहमति राजस्व विभाग ने ले ली है लेकिन अभी उन स्थानों पर अड़चन पैदा हो गई है जहां पर भूमि विवादित है। भूमि अधिग्रहण का मामला अंतिम चरण में मानते हुए यहां पर आगामी अप्रैल महीने से कार्य प्रारंभ करने की तैयारी की जा रही है। गत दिवस विधानसभा में पूछे गए सवाल पर सरकार ने जवाब दिया है कि अप्रैल 2016 में सोलर पॉवर प्लांट में कार्य प्रारंभ किया जाएगा और जून 2017 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश सरकार दुनिया के सबसे बड़े सोलर पॉवर प्लांट का भूमि पूजन प्रधानमंत्री से कराना चाहती है। इसके लिए पत्र भेजकर समय भी मांगा गया है। सोलर पॉवर प्लांट के लिए पांच गांवों की भूमि अधिग्रहित की जा रही है। इसमें 20 ऐसे भूमि स्वामी हैं जिन्होंने अभी तक सहमति नहीं दी है। जबकि राजस्व विभाग की ओर से कई बार नोटिस भी जारी हो चुकी है। अब तक बदवार में 135, बरसैता देश में 136, इटार पहाड़ में 10, रामनगर पहाड़ में 15 और बरसैता पहाड़ में 12 भूमि स्वामियों ने सहमति पत्र दे दिया है।
वहीं कई लोगों के दस्तावेज अधूरे हैं लेकिन उन्होंने जल्द ही सहमति जमा करने की बात कही है। लेकिन जिस तरह गांव वालों ने अपना अडिय़ल रुख अपनाया है उससे प्रोजेक्ट की राह में रोड़ा खड़ा हो गया है। अब देखना यह है कि प्रदेश सरकार इसका समाधान कैसे करती है।
प्लांट में बनेंगे 4 सब स्टेशन
दुनिया के सबसे बड़े प्रस्तावित सोलर पॉवर प्लांट में चार सब स्टेशन बनाए जाएंगे। इसके लिए स्थान की नापजोख शुरू हो गई है। पॉवर ग्रिड कारपोरेशन और स्टेट ट्रांसमिशन इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड के अधिकारियों ने बदवार पहाड़ में प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण शुरू किया है, अलग-अलग टीमें सब स्टेशन के लिए स्थान निर्धारित कर रही हैं। इस पॉवर प्लांट में चार सब स्टेशन बनाने की रूपरेखा तय की गई है। जिसमें तीन स्टेशन स्टेट ट्रांसमिशन इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड बनाएगा। सूर्य के प्रकाश से बिजली उत्पन्न होने के बाद इन्हीं सब स्टेशनों को भेजी जाएगी। सब स्टेशनों के निर्माण की तैयारी शुरू हो गई है। पॉवर ग्रिड और स्टेट ट्रांसमिशन और सिविल वर्क के चीफ इंजीनियरों ने संयुक्त रूप से जायजा लिया। दिल्ली, भोपाल, जबलपुर, सतना और रीवा के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से स्थल निरीक्षण किया है। अब उसकी ड्राइंग तैयार की जाएगी। संभावना जताई जा रही है कि मार्च महीने के अंत तक यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा और अप्रैल में कार्य की शुरुआत हो जाएगी। यहां पर एक वर्ष में सब स्टेशनों को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
विश्वबैंक का दूसरा सर्वे भी पूरा : सोलर पॉवर प्लांट की स्थापना से पूर्व उन गांवों का सर्वे विश्व बैंक करा रहा है, जहां के लोग विस्थापित किए जाएंगे। सप्ताह भर अलग मुद्दों पर किए गए सर्वे में लोगों से राय ली गई। आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण के साथ ही ग्रामीणों का प्राथमिक डाटा भी तैयार किया गया है। एक टीम 12 दिसंबर को आई जिसमें अंचल जैन, कुलदीप चावला, अदिती मोहंती, शिवनाथ चावला शामिल थे। दूसरी टीम 15 को पहुंची है जिसमें दीप्ती बापत और सुजान वेक्यूलेन थी। उक्त दल ने लोगों से पूछा की जो राशि उन्हें मुआवजे के रूप में मिलेगी उसका कैसे उपयोग करेंगे।
-श्याम सिंह सिकरवार