02-Jan-2016 08:00 AM
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प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा को लगातार दो चुनावों में मिली पराजय से पार्टी हाईकमान भी चिंतित है। निकायों के परिणाम इस बात के संकेत हैं कि प्रदेश में भाजपा का जनाधार धीरे-धीरे खसकता जा रहा है। आठ निकायों में से पांच पर पराजय
मिलने से प्रदेश भाजपा की नींद उड़ गई है। प्रदेश नेतृत्व ने चुनाव परिणाम के तत्काल बाद से ही हार पर मंथन शुरू कर दिया है। पार्टी हाईकमान ने भी प्रदेश नेतृत्व को दिल्ली तलब कर लिया है। प्रदेश में 12 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा को पहली बार उपचुनाव के परिणामों ने खिसकते जनाधार को लेकर चिंता में डाल दिया है। क्योंकि पिछले साल में भाजपा ने निकाय चुनाव, पंचायत और उपचुनावों में बड़ी सफलता हासिल की है। यहां तक निकाय चुनावों में भाजपा ने सभी 16 नगर निगमों में जीत हासिल की। लेकिन प्रदेश में बदलते राजनीतिक समीकरण भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं। क्योंकि पिछले महीने झाबुआ लोकसभा उपचुनाव में पूरी ताकत झौंकने के बाद भी भाजपा बुरी तरह चुनाव हारी। हाल ही में आठ निकायों में से सिर्फ 3 पर ही भाजपा को जीत मिली। खास बात यह है कि उपचुनाव में भाजपा के मंत्री, मुख्यमंत्री समेत संगठन जुटा रहा। इसके बाद भी परिणाम विपरीत ही रहे। झाबुआ चुनाव में तो चार केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, 18 मंत्री, 60 विधायक और 300 से ज्यादा नेताओं ने डेरा डाला था।
झाबुआ लोकसभा उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा को नगरीय निकाय चुनावों में मिली पराजय से पार्टी में हर स्तर पर चिंता है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान कहते हैं कि पार्टी मतदाताओं के निर्णय को शिरोधार्य करते हुए जनता की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। आठ नगरीय निकायों में से पांच हम हारे हैं, लेकिन इन निकायों में सर्वाधिक 93 पार्षद भाजपा के जीते हैं। कांग्रेस के सिर्फ 61 पार्षद ही जीत दर्ज कर सके हैं। हार के कारणों की तलाश की जाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में भेड़ाघाट नगर परिषद को छोड़कर सभी स्थानों पर भाजपा का कब्जा था। कांग्रेस ने नगर पालिका शाजापुर के साथ भेड़ाघाट, धामनोद, मझौली और ओरछा नगर परिषद में जीत दर्ज की। भाजपा मंदसौर और सीहोर नगरपालिका के अलावा शाहगंज नगर परिषद पर ही अपना कब्जा बरकरार रख पाई है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव कहते हैं कि यह कार्यकर्ताओं की जीत है। प्रदेश और देश की भाजपा सरकार से जनता का मोहभंग हो गया है। बिहार से कांग्रेस के पक्ष में जीत की जो हवा चली थी, वह मध्यप्रदेश में झाबुआ संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से नगरीय निकायों में पहुंची है। इस जीत के बाद अब कांग्रेस अपने संगठन को रिफार्म करने में जुट गई है और नए साल के पहले पखवाड़े में ऊर्जावान नेताओं को जिलों की कमान सौंपी जाएगी।
8 निकायों के चुनाव में यह रहा रिजल्ट..
निकाय जीते हारे अंतर
सीहोर (नपा) अमिता अरोरा (भाजपा) रीना यादव (कांग्रेस) 10,163
शाजापुर (नपा) शीतल भट्ट (कांग्रेस) संगीता भंडावत (भाजपा) 2822
मंदसौर (नपा) प्रहलाद बंधवार (भाजपा) सोमिल नाहटा (कांग्रेस) 6800
भेड़ाघाट (नप) शैला सुनील जैन (कांग्रेस) मालती व्यास (भाजपा) 604
शाहगंज (नप) भैय्यालाल गौर (भाजपा) नरेश गौर (कांग्रेस) 1793
मझौली (नप) रूबी विदेश सिंह (कांग्रेस) अन्नपूर्णा गुप्ता( भाजपा) 472
ओरछा ( नप) राजकुमारी सिंह (कांग्रेस) अयाची निर्मला (भाजपा) 96
धामनोद (नप) विष्णु चव्हाण (कांग्रेस) पार्वती गोरधन (भाजपा) 565
-भोपाल से रजनीकांत पारे