02-Jan-2016 08:12 AM
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हाल ही में हुए बिहार चुनाव में बीजेपी को मिली हार का असर अब राजस्थान पर भी पडऩा तय हो गया है। जहां केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी कमजोर नजर आ रही है, वहीं मरु प्रदेश राजस्थान में भी

164 विधायकों के दल को काबू में रखना अब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अकेले बस में नहीं है। सबसे ज्यादा मंत्री नहीं बनने और सरकार में कोई पद नहीं मिलने से नाराज नये विधायकों में हलचल मचना शुरू हो गई है। विधानसभा चुनावों में भारी मतों से विजयी होने वाली बीजेपी में मुख्यमंत्री विरोधी नेता भी सक्रिय होकर नए सिरे से तेवर दिखा सकते हैं।
आसार हैं कि प्रदेश बीजेपी का मुख्यमंत्री राजे विरोधी खेमा अब सक्रिय होकर पार्टी की रीति नीति को आगे करने की मुहिम छेड़ेगा। वसुंधरा सरकार के शासन की दूसरी वर्षगांठ के जश्न के समारोह को लेकर भी बीजेपी के भीतर ही विरोध के स्वर गूंजने लगे हैं। प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री धनश्याम तिवाड़ी ने भाजपा के वसुंधरा विरोधियों को एकजुट करने का अभियान भी छेड़ दिया है। उन्होंने अपने घर एक बैठक बुलाकर सबको मुख्यमंत्री के खिलाफ लामबंद होने को कहा है। वैसे जिन नेताओं ने इस बैठक में भाग लिया था, उन नेताओं में ज्यादातर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके समर्थकों की कार्यशैली से खासे खफा लोग हैं। बैठक में नेताओं ने कहा कि पार्टी को कुछ लोगों ने हथिया लिया है। बीजेपी की रीति-नीति के खिलाफ अब सरकार और संगठन पर बाहरी लोगों ने कब्जा कर लिया है। ऐसे लोग दूसरे दलों से आकर बीजेपी में शामिल हुए हैं। इसके चलते ही सरकार और संगठन की छवि आम जनता में बिगड़ रही है।
लग रहा है कि अब प्रदेश के बीजेपी विधायक और सांसद अपने क्षेत्रों में सक्रिय होंगे। घनश्याम तिवाड़ी के साथ पिछले माह बदसलू की घटना पर भी अब केन्द्रीय आलाकमान स्तर पर कोई कदम उठाया जा सकेगा। आपको बता दें कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता धनश्याम तिवाड़ी प्रदेश बीजेपी की राजनीति में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के तगड़े विरोधी हैं। प्रदेश बीजेपी में तिवाड़ी को मुख्यमंत्री के कद के बराबर का नेता माना जाता है। तिवाड़ी के गुस्से में उस वक्त आग में घी डल गया जब प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद उनकी सुरक्षा हटा ली गई थी। इसके बाद ही उनके साथ पार्टी के प्रशिक्षण शिविर के कार्यक्रम में दुव्र्यवहार और हाथापाई की घटना हुई थी, जिसमें उन्हें कई चोटें भी आई थी। इस घटना से बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व भी चिंतित हो उठा था। प्रदेश बीजेपी ने इस पूरे प्रकरण की जांच भी करवाई थी, लेकिन किसी भी दोषी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। इस घटना ने तिवाड़ी को आहत किया था पर उन्होंने प्रदेश नेतृत्व को देखकर ही इस मामले को तूल नहीं दिया था। वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर समेत कई बड़े नेताओं ने भी बीजेपी के कार्यक्रमों में ऐसी घटनाओं को प्रदेश नेतृत्व के लिए सबक करार दिया था। साथ ही हाल ही में घनश्याम तिवाड़ी और बीजेपी नेता सुमन शर्मा के ऐसे फेसबुक पेज दिखे थे, जिन पर नाम के साथ नेक्स्ट सीएम लिखा था। हालांकि इस मामले में सुमन शर्मा ने विरोध दर्ज कराते हुए मामला दर्ज करवाया था, लेकिन घनश्याम तिवाड़ी इसे उत्साही समर्थकों की भावनाओं की अभिव्यक्ति बता रहे थे। लेकिन कुछ दिनों पहले खबरें आई थी कि कोटा से सांसद ओम बिड़ला और वरिष्ठ नेता घनश्याम तवाड़ी का नाम केंद्र के लिए चर्चा में है। बिड़ला जहां मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजदीकी माने जाते हैं वहीं तिवाड़ी राजे के धुर विरोधी हैं। इसके बाद ही पता चलेगा कि पार्टी में कितनी एकता है। हालांकि प्रदेश बीजेपी में नेताओं के अलग-अलग राग अलापने से बीजेपी का टूटना लगभग तय सा लग रहा है।
-धर्मेंद्र कथूरिया