15-Dec-2015 10:19 AM
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बीकानेर से भाजपा सांसद अर्जुन राम मेघवाल भी मानते हैं, कार्रवाई थोड़ी जल्दी हो तो लोगों को संदेश जाता है, ये बात सही है। लेकिन सोनिया गांधी के दामाद होने के नाते खाली इसी केस में आगे कार्रवाई करें तो उनको लगेगा कि ये बदला

ले रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या भाजपा रॉबर्ट वॉड्रा मामले को कांग्रेस की कमजोर नस मानती है जिसे जब चाहा दबाया जा सकता है?
मोदी सरकार के सत्ता में आने के करीब डेढ़ साल बाद यानि सितंबर, 2015 में ही खबर आई थी कि भारत सरकार के नगर विमानन मंत्रालय ने राबर्ट वाड्रा का नाम वीवीआईपी (अति विशिष्ट अतिथि) सूची से हटा दिया। क्या इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि सत्तारुढ़ दल और विपक्ष के बीच कोई सांठगांठ है? एक वक्त आम आदमी पार्टी का हिस्सा रहे योगेंद्र यादव के अनुसार कहने को तो हरियाणा सरकार ने एक औपचारिक जांच शुरू करवा दी है। राजस्थान में भी किसी किस्म का केस शुरू हो गया है। लेकिन वो तत्परता, वो गंभीरता और वो संजीदगी जो ऐसे किसी मामले में होनी चाहिए थी, वो दिखाई नहीं देती।
योगेंद्र यादव कहते हैं, रॉबर्ट वॉड्रा का मामला केवल एक बड़े ख़ानदान के नेता द्वारा किया गया कथित मामला नहीं था। दरअसल ऐसा भ्रष्टाचार राजनेता धड़ल्ले से करते हैं। भूमि का लैंड यूज बदलवाना, उसका दुरुपयोग करके नेता जो पैसा कमाते हैं वो भ्रष्टाचार नहीं रुका है। मेरे लिए सबसे बड़ा सवाल ये है कि जिस दरवाजे से रॉबर्ट वॉड्रा ने कथित तौर पर भ्रष्टाचार किया, वो दरवाजा बंद हुआ है या नहीं। यादव आरोप लगाते हैं कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए न तो कांग्रेस ने कोशिश की और न भाजपा ने। वो कहते हैं, सब सरकारें भ्रष्टाचार का यंत्र अपने हाथ में रखना चाहती हैं। राजनीतिक भ्रष्टाचार की जड़ में ये जो यंत्र है, इसे छोडऩे के लिए भाजपा तैयार नहीं है। और ये मुझे संस्थागत भ्रष्टाचार की जड़ लगती है।
योगेंद्र यादव कहते हैं, भाजपा की इन सब मामलों पर जो चुप्पी है वो केवल संजीदगी और राजनीतिक समझदारी का मामला नहीं है। ये बड़े दलों की सेटिंग का मामला है। यदि भाजपा सत्ता में आते ही ये कह देती कि हम सीएलयू नाम के इस भ्रष्टाचारी यंत्र को समाप्त करेंगे, हम इसका ग़लत इस्तेमाल नहीं होने देंगे। अगर वो ऐसा करते तो उनकी कोई आलोचना नहीं होती। कोई उन पर प्रतिशोधी होने का आरोप न लगाता। ये कदम अभी तक सरकार ने क्यों नहीं उठाया, इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिला है। सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण कहते हैं कि ये पूरा मामला भाजपा के उन वायदों से जुड़ा है जिसमें पार्टी ने भ्रष्टाचार खत्म करने की बात की थी।
वो कहते हैं, जो बात हम भी कह रहे थे और एसआईटी ने भी कही कि पार्टिसिपेटरी नोट्स और टैक्स हेवेंस से जो निवेश होता है, भारत में वो काला धन ही है, उसे रोकने के लिए भी सरकार ने कुछ नहीं किया। लोकपाल का कानून बने दो साल हो गए। लेकिन लोकपाल नहीं बनाया गया। सीवीसी में एक साल पोस्ट खाली रखी गई पर दो ऐसे लोगों की नियुक्ति की गई जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमिश्नर नहीं बनाए जा रहे जिसकी वजह से बहुत सारे मामले लंबित हैं। प्रशांत भूषण कहते हैं कि पिछले कुछ महीनों में भाजपा की छवि कमजोर हुई है और कांग्रेस-भाजपा एक दूसरे के नजदीक नजर आते हैं। योगेंद्र यादव के अनुसार, ये मामला संजीव चतुर्वेदी का भी है। ये मामला अशोक खेमका जैसे इमानदार अफसरों के साथ क्या किया गया, ये उसका भी है। इससे संदेश जाता है कि जब भ्रष्टाचार की बात आती है तो कांग्रेस और भाजपा में कोई फर्क नहीं है।
राजस्थान सरकार ने ईडी को भेजी अपनी रिपोर्ट
भाजपा सांसद अर्जुन राम मेघवाल भरोसा दिलाते हुए कहते हैं, जांच में वक्त लगा लेकिन कार्रवाइयां की गई हैं। भाजपा समर्थकों में फैल रहे असंतोष पर वो कहते हैं, फर्जी रजिस्टरियां करवाने के आरोप में कुछ लोग जेल भी गए हैं। रजिस्ट्रॉर ऑफ कंपनी से कुछ जानकारियां मांगी गई हैं। राजस्थान सरकार ने भी अपनी जांच कर रिपोर्ट ईडी को भेज दी हैं। ईडी कंपनियों के बारे में पूरी जानकारी जमा कर रही है। कानून के हाथ लंबे होते हैं। ये बच तो नहीं पाएंगे। मेघवाल कहते है कि अगर वॉड्रा पर तुरंत कार्रवाई हुई होती तो ऐसा लगता कि सरकार उनसे बदला ले रही है। लेकिन उनका यह तर्क भाजपा समर्थकों और उसे वोट देने वालों के गले आसानी से नहीं उतरेगा।
-ऋतेन्द्र माथुर