रुचि सोया का फर्जी सी फॉर्मÓ पर इंटरस्टेट व्यापार
02-Jan-2016 07:33 AM 1234794

मध्यप्रदेश में सरकार एक तरफ उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की रियायतें दे रही है। वहीं दूसरी तरफ औद्योगिक घराने सरकार को राजस्व हानि पहुंचाने के लिए कई तिकड़म आजमाते रहते हैं। अभी हाल ही में रुचि सोया द्वारा फर्जी सी फार्म के जरिए आयल बेचने का मामला सामने आया है, जिसमें सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगने का खुलासा होता है। मामला सामने आने के बाद राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो ने रुचि सोया परप्रकरण दर्ज किया है। जिन फर्मों को ऑइल बेचना बताया गया वे जांच में बोगस पाई गईं और इसके बदले मध्यप्रदेश शासन से 8 प्रतिशत वाणिज्यिककर की छूट का लाभ ले लिया।
सोयाबीन और उससे जुड़े उत्पादों तथा ऑइल यानी तेल के निर्माण के मामले में रुचि सोया का करोड़ों-अरबों का तो कारोबार है ही वहीं रियल एस्टेट सहित अन्य क्षेत्रों में भी उक्त कम्पनी सक्रिय रही है। ताजा मामला ईओडब्ल्यू से जुड़ा है, जिसमें बताया गया कि रुचि सोया ने फर्जी सी-फॉर्म का इस्तेमाल करते हुए महाराष्ट्र में करोड़ों का ऑइल बेचना बताया, लेकिन यह ऑइल महाराष्ट्र की बजाय मध्यप्रदेश में ही बेचा गया। दरअसल 2008 में मध्यप्रदेश सरकार ने एक नीति के तहत बाहरी राज्यों में बेचे जाने वाले ऑइल पर 8 प्रतिशत वाणिज्यिककर की छूट देने का निर्णय लिया था, लिहाजा रुचि सोया ने इस छूट का लाभ उठाने के लिए फर्जी सी-फॉर्म का सहारा लिया और कागजों पर करोड़ों रुपए का ऑइल महाराष्ट्र में भेजना बताया, जबकि यह ऑइल यहीं प्रदेश में खपा दिया गया और मिलने वाली एक करोड़ रुपए की वाणिज्यिककर छूट डकार ली। इस मामले की शिकायत जब ईओडब्ल्यू को मिली तो उसने मामले की जांच-पड़ताल शुरू की और इस्तेमाल किए गए सी-फॉर्म को जब जांचा तो पता चला कि वाणिज्यिककर विभाग ने जो कम्पनी को सी-फॉर्म आबंटित किए थे उससे इस्तेमाल में लाए गए सी-फॉर्म के नम्बरों का मिलान नहीं हुआ। साथ ही जिन महाराष्ट्र की 5 फर्मों को इन सी-फॉर्म के जरिए ऑइल बेचना बताया गया वे सब कम्पनियां भी बोगस निकलीं। इसके बाद रुचि सोया ने शिकायतों की जांच के चलते घबराकर 2009 में 41 लाख रुपए जमा करा दिए, लेकिन शेष बचे 59 लाख जमा नहीं किए, लिहाजा ईओडब्ल्यू ने इस पूरे घोटाले को प्रमाणित पाते हुए भोपाल मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी और वहां से अनुमति मिलने पर ईओडब्ल्यू इंदौर के एसपी मनोजकुमार सिंह के निर्देश पर डीएसपी आनंद यादव ने प्रकरण दर्ज कर लिया। यादव के मुताबिक रुचि सोया के मालिक कैलाश सहारा के अलावा उसके तत्कालीन प्रबंधक केएस जोशी, मुंबई स्थित भरतभाई शाह और वाणिज्यिककर विभाग के एक ऑफिसर के खिलाफ ये प्रकरण दर्ज किया है। एफआईआर 43/15 धारा 420, 467, 468 और 120-बी आदि के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
ईडी भी करेगा 11 सौ करोड़ के सी-फॉर्म घोटाले की जांच
बोगस सी फॉर्म के जरिये 1100 करोड़ के सोया तेल खरीदी में ईओडब्ल्यू द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी जांच करेगा। इस घोटाले पर ईडी की नजर लंबे समय से थी, लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं होने के चलते अधिकारी केवल घटना पर नजर रखे थे। ईओडब्ल्यू ने रुचि सोया के चेयरमैन कैलाश शाहरा सहित सात लोगों पर 420 व अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है। इसके बाद अब ईडी की जांच का रास्ता खुल गया है। रुचि सोया के साथ ही इस घोटाले में 11 अन्य सोया कंपनियां उलझी हुई हैं। ईडी इन सभी की जांच करेगा।
इस मामले में ईओडब्ल्यू ने वाणिज्यिक कर विभाग के तत्कालीन सहायक आयुक्त और वर्तमान में डायरेक्टर पद पर पदस्थ एनएस मरावी को भी आरोपी बनाया है, ऐसे में विभाग के अधिकारी भी ईडी की जांच में आएंगे। उल्लेखनीय है कि सीबीआई द्वारा कोल ब्लॉक मामले में 23वीं एफआईआर में शाहरा को आरोपी बनाया है और इसी एफआईआर के आधार पर ईडी ने भी कंपनी और उनके डायरेक्टरों पर मनी लाण्ड्रिंग का प्रकरण दर्ज किया है।

घोटाले में ये कंपनियां
भी उलझी हैं-
अंकिता सॉल्वैक्स, दिव्य ज्योति इंडस्ट्री, सर्वोत्तम वेजिटेबल, प्रकाश सॉल्वैक्स, इंडियन सोया इंडस्ट्री, रुचि सोया, धनलक्ष्मी सॉल्वैक्स, रामा फास्फेट, अडानी इंडस्ट्रीज और प्रीमियर इंडस्ट्रीज (सभी इंदौर से), अमृता रिफाइनरी (नीमच), अंबिका रिफाइनरी (जावरा) शामिल हैं।
-इंदौर से विकास दुबे

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