02-Jan-2016 07:29 AM
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मध्यप्रदेश में आईएएस अवार्ड हमेशा विवादों में रहता है। इस बार प्रदेश को 20 नए आईएएस अधिकारी मिले हैं, जिसमें मध्यप्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा (एसएएस) के 16 और गैर राज्य प्रशासनिक सेवा (नॉन एसएएस) के 4 अधिकारी

शामिल हैं, लेकिन इनमें से कई अफसरों को मिला आईएएस अवार्ड विवादों में घिर गया है। यही नहीं कांग्रेस ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि राज्य सरकार की रिफारिश पर दिए गए आईएएस अवार्ड में तीन से पांच करोड़ रूपए का लेन-देन हुआ है। इन सबके इतर सबसे बड़ी बात यह है कि इस बार आईएएस अवार्ड सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश की उपेक्षा करके दिया गया है। दरअसल आईएएस अवार्ड की कवायद शुरू होते ही जिस तरह दागी अफसरों का नाम आगे बढ़ाया गया था उसके खिलाफ वित्त सेवा के वीरेन्द्र कुमार ने चयन प्रक्रिया के खिलाफ कैट में अपील दायर कर दी। इस अपील के आधार पर राज्य प्रशासनिक सेवा के कुछ अधिकारी सुप्रीम कोर्ट गए थे। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि कैट के अंतिम निर्णय के आधार पर ही आईएएस अवॉर्ड दिया जाना चाहिए लेकिन अभी यह मामला कैट में लंबित पड़ा है और भारत सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया। और कई दागी अफसरों को आईएएस अवार्ड मिल गया।
करीब नौ साल बाद नॉन एसएएस से आईएएस बनने वालों में यंत्री जेल संजय गुप्ता, नगरीय विकास विभाग में अपर संचालक वित्त डॉ. मंजू शर्मा, उच्च शिक्षा मंत्री के ओएसडी शमीमुद्दीन तथा पंजीयन विभाग के उप महानिरीक्षक श्रीकांत पांडे हैं। इनके साक्षात्कार 15 दिसंबर को हुए थे। इसमें 20 नॉन एसएएस अफसरों ने भाग लिया था। लेकिन सबसे बड़ी विसंगति यह है कि सरकार ने आईएएस अवार्ड के लिए नियमों को दरकिनार कर दिया। दरअसल आईएएस अवार्ड उन्हीं अफसरों को मिल सकता है जो एक ही विभाग में आठ साल से कार्यरत हो और उनका पद डिप्टी कलेक्टर के समकक्ष हो। जहां तक संजय गुप्ता का सवाल है तो उनकी सेवा को 2007 में जेल विभाग में मर्ज किया गया था और 1.1.2014 की तिथि में उनका कार्यकाल 8 साल पूरा भी नहीं हो पाया था। परंतु राज्य सरकार ने पूर्व वित्त मंत्री राघवजी के ओएसडी होने के कारण इन्हें सरकार में मर्ज किया था। जबकि पर्यटन विकास निगम है और उसका कोई भी अधिकारी सरकार में मर्ज नहीं होता है। यह पहला मामला सामने आया है। फिर भी उन्हें आईएएस अवार्ड दे दिया गया। वहीं शमीमुद्दीन को आईएएस अवार्ड मिलने का विरोध भी शुरू हो गया है। इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि शमीमुद्दीन ने व्यापमं घोटाले के आरोपी पंकज त्रिवेदी के साथ भोपाल के ईंटखेड़ी में जमीन खरीदी थी। यह जमीन उनकी पत्नी नाइन खलीक के नाम पर है। इसमें एक दर्जन लोग पार्टनर है, जिसमें पंकज त्रिवेदी के बेटे, आरजीपीवी के कुलपति पीयूष त्रिवेदी की बेटी सहित अन्य कई प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदार हैं। मामले में पत्नी ने पति की जगह पिता का नाम लिखा है। इसकी लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू में शिकायतें भी हुई हैं। आईएएस अवार्ड के लिए इन तथ्यों को छिपाने के आरोप शमीमुद्दीन पर लगे हैं। भोपाल के आरटीआई कार्यकर्ता ऐश्वर्य पांडे ने शमीमउद्दीन सहित व्यापमं के तमाम आरोपियों की संपत्तियों और सांठगांठ को लेकर सीबीआई को शिकायत करते हुए जांच की मंाग की थी। सीबीआई में ये शिकायत 3 अगस्त 2015 को दर्ज की गई थी। शमीमउद्दीन एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने इन शिकायतों को छिपाकर उन्हें आईएएस बनाने का रास्ता साफ किया। वहीं एसएएस से आईएएस अवार्ड के 20 पदों के लिए हुई डीपीसी के बाद कार्मिक विभाग ने 16 अफसरों के नामों को भी मंजूरी दे दी। चार पद रिजर्व रखे हैं। इन पदों के दावेदार उपेंद्र शर्मा, मूलचंद वर्मा, नागेंद्र प्रसाद मिश्रा और धर्मेंद्र सिंह हैं, जिनकी विभागीय जांच के चलते लिफाफा बंद रखा गया। जांच पूरी होने के बाद ये भी आईएएस बन सकेंगे।
उत्कृष्ट को किया बाहर, चहेतों को दिया उपहार
सबसे बड़ी बात यह रही कि जिन अधिकारियों को मुख्यमंत्री ने उत्कृष्टता पुरस्कार दिया था उन्हें तो दरकिनार ही कर दिया गया। वित्त विभाग के वीरेन्द्र कुमार और अदिति त्रिपाठी इनमें शामिल हैं। वीरेन्द्र कुमार का नाम तो शॉर्ट लिस्ट में भी शामिल नहीं किया गया था। यही नहीं सरकार आईएएस अवार्ड तो हर साल कर रही है लेकिन नियमानुसार आज तक यह घोषित नहीं कर पाई है कि कौन-कौन से पद डिप्टी कलेक्टर के समकक्ष है। दरअसल, नियम है कि आईएएस अवार्ड के लिए डिप्टी कलेक्टर के समकक्ष अधिकारियों का नाम भेजा जाए, लेकिन मप्र प्रशासन में डिप्टी कलेक्टर के समकक्ष कौन-कौन से पद हैं यह सरकार घोषित नहीं कर रही है। इसका फायदा चहेते उठा रहे हैं।
ये बने एसएएस से आईएएस अफसर
अपर कलेक्टर खरगौन पतिराम कतरोलिया, अलीराजपुर जिपं के सीईओ अमर सिंह बघेल, नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग में उप सचिव आशीष सक्सेना, एडीएम भोपाल बीएस जामोद, सीहोर जिपं में सीईओ रामराव भोंसले, उप सचिव राजस्व रवि रया, राजगढ़ के अपर कलेक्टर भगत सिंह कुलेश, उप सचिव गृह अजय शर्मा, मुख्यमंत्री निवास में उप सचिव अनिल सुचारी, बड़वानी जिपं के सीईओ माल सिंह, उपायुक्त राजस्व जबलपुर में पदस्थ सभाजीत यादव, आईडीए में सीईओ दीपक सिंह, नगरीय विकास विभाग में उप सचिव ओपी श्रीवास्तव, प्रमुख राजस्व आयुक्त कार्यालय भोपाल में संयुक्त आयुक्त राजेश कौल, वेयर हाउसिंग कापोरेशन में जीएम अभय वर्मा और सिंगरौली में अपर कलेक्टर आशाकृत तिवारी।
-भोपाल से कुमार राजेन्द्र