02-Dec-2015 08:02 AM
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अभी तक मध्यप्रदेश को निवेश का सपना दिखा चुके देश के बड़े औद्योगिक घरानों ने राजस्थान की मुख्यमंत्री के सामने सपनों का ऐसा महल बुना कि वे उसमें ऐसी खो गई कि छोटे उद्योगपतियों का भूल ही गई थीं। जब अफसरों ने उन्हें छोटे

उद्योगपतियों की याद दिलाई तब उनका स्वप्र टूटा और उन्होंने उनके लिए जमकर कशिदे गढ़े। दरअसल, 19-20 नवंबर को राजस्थान की राजधानी जयपुर में राजस्थान रिसर्जेंट समिट का आयोजन किया गया था। हमेशा की तरह यहां भी देश के बड़े औद्योगिक घरानों ने समिट में टारगेट से ज्यादा निवेश की घोषणा की। समिट के पहले दिन कुल 295 एमओयू साइन हुए जिसमें 3.3 लाख करोड़ रुपए इन्वेस्टमेंट की घोषणा की गई है। जबकि, राज्य सरकार ने 3 लाख करोड़ रुपए के निवेश का लक्ष्य रखा था। जिसमें रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप ने 7,000 करोड़, अडानी ग्रुप ने 10,000 करोड़ और आदित्य बिडला ग्रुप ने 11,000 करोड़ रुपए रुपए इन्वेस्टमेंट की घोषणा की है। ये इन्वेस्टमेंट सोलर एनर्जी, पावर प्लांट और सीमेंट प्लांट लगाने में किया जाएगा।
राजे उत्साहित हैं कि जो सोचा, उससे ज्यादा मिला। शुरू में दो लाख करोड़ रुपए के करार की बात कही थी। अब उसके पास करीब 3.30 लाख करोड़ रुपए के एमओयू है। हालांकि उद्योग मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर बोले, कई एमओयू हो नहीं पाए थे। अब उन्हें पूरा करेंगे। निवेश का आंकड़ा चार लाख करोड़ तक पहुंचेगा। वसुंधरा राजे कहती हैं कि एमओयू प्रदेश की तस्वीर व तकदीर बदल देंगे। निवेश समझौतों को धरातल पर लाना प्राथमिकता होगी। कई देशों ने निवेश में रुचि दिखाई है। श्रम सुधार कर रहे हैं ताकि अच्छी व नवाचारी कंपनियां आ सकें।
बताया जाता है कि बड़े औद्योगिक घरानों से मिले निवेश के प्रस्ताव पर जब मुख्यमंत्री खुशी से फुले नहीं समा रहीं थी, तब अफसरों ने उन्हें याद दिलाया कि जब तक इनके प्रस्ताव धरातल पर नहीं उतर जाते तब तक सरकार को इन पर भरोसा नहीं करना चाहिए। उसके बाद मुख्यमंत्री ने दूसरे दिन छोटे कारोबारियों की सुध ली। इनको लुभाने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योग (एमएसएमई) नीति जारी की गई। केंद्र में लघु उद्योग महकमा संभाल रहे मंत्री कलराज मिश्र पंडाल में छोटे उद्योगपतियों के बीच बैठे। वहीं सीएम वसुंधरा राजे बोलीं, छोटे उद्यमी ज्यादा रोजगार मुहैया कराते हैं। प्रदेश में 90 फीसदी हिस्सा इनके कारोबार का है। बड़ों के चक्कर में इन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते। साथ ही ऐलान किया, जल्द ही लघु व सूक्ष्म उद्यमी दिवस की घोषणा की जाएगी।
छवि बदलने को दौरे
बसुंधरा ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों से देश की छवि बदल रही है। यूरोपीय देशों व चीन की जीडीपी भारत से अधिक है। जीडीपी में वृद्धि के लिए स्पर्धा में भारत भी पीछे नहीं है। विश्व बैंक व आईएमएफ को हमारी विकास दर 7.5 से बढ़कर 7.8 पहुंचने की उम्मीद है। आधारभूत ढांचा क्षेत्र में निवेश बढ़ रहा है। इससे सीमेंट-लोहा क्षेत्र के उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा व रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर से प्रदेश में निवेश की संभावना बढ़ी है। यह कॉरिडोर राज्य के औद्योगिक विकास को गति देगा। रिसर्जेंट की खास बात रही कि उद्योगपतियों की मौजूदगी में नए वादे खूब किए गए पर रिफाइनरी, मेट्रो, स्मार्ट सिटी, जैसे अहम मुद्दों पर न ठोस चर्चा हुई और न ही घोषणा। जानकार कहते हैं, यह सम्मेलन उम्मीद और जमीनी सच के बीच गहरी खाई छोड़ गया है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रदेश में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन अहमदाबाद का सैटेलाइट सेंटर खोलने का ऐलान किया। कहा, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में प्रदेश छठे नंबर पर है। जल्द तीसरे पर होगा। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर औद्योगिक विकास तेज करेगा।
राजस्थान में इंडस्ट्री की स्थिति : राजस्थान में जेम्स एंड ज्वैलरी, टेक्सटाइल और गारमेंट, हैंडीक्राफ्ट, ऑटोमोबिल और कारपेट से जुड़ी एमएसएमई यूनिट अधिक है। अभी राजस्थान में 90 फीसदी इंडस्ट्री एमएसएमई की केटेगरी में आती है। इससे करीब 18.7 लाख लोग जुड़े हुए हैं। राज्य में सीमेंट, मारबल और वुल के उत्पादन में सबसे बड़ा राज्य है। नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडियाÓ और ईज ऑफ डूईंग बिजनेसÓ प्रोग्राम के तहत राज्य सरकार राजस्थान को चमका रही है। राजस्थान ने इंडस्ट्री के लिए की अपनी घोषणाओं में से 61.04 फीसदी को पूरा किया, जिसके कारण उसे छठा स्थान मिला।
समिट में इन सेक्टरों पर है फोकस : राजस्थान सरकार का फोकस पर्यटन, आवास, एग्रीकल्चर, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर, आईटी, हेल्थकेयर, सोलर, माइनिंग, टेक्सटाइल, पेट्रोलियम और शिक्षा के क्षेत्र पर फोकस अधिक है। सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने के अलावा आईटी, माइनिंग और टूरिज्म को बढ़ाना है। टूरिज्म पर राज्य सरकार का फोकस अधिक है क्योंकि इस सेक्टर में सबसे अधिक नौकरियां पैदा होती है। आईटी सेक्टर में राज्य में बहुत अधिक कंपनियां नहीं है।
-जयपुर से आर.के. बिन्नानी