अब एडमिशन कांड में दिग्विजय पर नकेल
15-Dec-2015 10:11 AM 1235059

अपने दस साल के कार्यकाल के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जो काले कारनामें किए हैं, उनकी परते धारे-धीरे खुलने लगी हैं। अब तक वर्तमान सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले दिग्गी राजा अब अपने ही जाल में फंस गए हैं। आरकेडीएफ कॉलेज को अनुचित रूप से फायदा पहुंचाने के आरोप में ईओडब्ल्यू ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री राजा पटेरिया, कॉलेज के संचालक सुनील कपूर और और कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में विधानसभा में गलत ढंग से नियुक्ति के मामले में दिग्गी राजा को जहांगीराबाद थाने पहुंचकर बयान देना पड़ा था।
उल्लेखनीय है कि  आरकेडीएफ इंस्टीट्यूट आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, भोपाल ने 2000-2001 और 2001-2002 में छात्रों को अनधिकृत तौर पर प्रवेश दिया था। तकनीकी शिक्षा विभाग ने गलत प्रवेश देने पर कॉलेज पर 24 लाख रुपए के जुर्माने का प्रस्ताव दिया था। तत्कालीन तकनीकी शिक्षा एवं जनशक्ति नियोजन मंत्री राजा पटैरिया ने प्रस्तावित जुर्माने को 24 लाख से घटाकर 5 लाख रुपए करने का प्रस्ताव तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भेजा था, लेकिन सिंह ने उसे ढाई लाख रूपए अनुमोदित कर कॉलेज को लाभ पहुंचाया। इसकी शिकायत ईओडब्ल्यू में की गई थी लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। मामला कोर्ट में गया, कोर्ट ने ईओडब्ल्यू से स्टेट्स रिपोर्ट मांगी। कोर्ट में स्टेट्स रिपोर्ट में ईओडब्ल्यू ने बताया कि, दिग्विजय सिंह और पूर्व मंत्री राजा पटैरिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। राधावल्लभ शारदा नामक व्यक्ति की ओर से ईओडब्ल्यू में शिकायत की गई थी। तीनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (फर्जी दस्तावेज को मूल दस्तावेज की तरह उपयोग करना), 120(बी) (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया है और मामले की आगे जांच की जा रही है। उधर, पटेरिया ने इसे बदले की भावना से उठाया गया कदम करार दिया है। उन्होंने बताया कि उस दौर में निजी कॉलेज खुल रहे थे। उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कैबिनेट निर्णय के बाद कुछ रियायत दी गई। सभी काम नियमानुसार किए गए थे।
उल्लेखनीय है कि राधावल्लभ शारदा ने ब्यूरो में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व तकनीकी शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया पर पद का दुरुपयोग करके आरकेडीएफ कॉलेज संचालक सुनील कपूर को अवैध लाभ पहुंचाने की शिकायत की थी। ब्यूरो ने प्राथमिक जांच दर्ज कर राधावल्लभ शारदा से पूछताछ की और बयान दर्ज किए। इसमें उन्होंने आरोपों की पुष्टि करते हुए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। शारदा ने कोर्ट में निजी परिवाद भी लगाया पर इसे बाद में वापस ले लिया। ब्यूरो की जांच में भ्रष्टाचार और पद के दुरूपयोग कर अनुचित लाभ पहुंचाने के सबूत मिले हैं। ब्यूरो अधिकारियों ने बताया कि संज्ञेय अपराध घटित होने के प्रथम दृष्टया साक्ष्य मिलने के कारण उच्चतम न्यायालय के विभिन्न न्याय दृष्टांतों में प्रथम सूचना प्रतिवेदन के संबंध में जारी निर्देशों के मद्देनजर अपराध पंजीबद्ध किया गया है।
अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को न्यायालय में चुनौती देंगे।

दिग्गी राजा की आड़ में सभी को घेरने की तैयारी तो नहीं
उधर, नगर पुलिस अधीक्षक जहांगीराबाद अब्दुल सलीम खान द्वारा प्रमुख सचिव सामान्य विभाग को लिखा गया एक पत्र इनदिनों चर्चा कर विषय बना हुआ है। दिग्विजय सिंह द्वारा विधानसभा में की गई नीतियों के मामले में सीएसपी ने विभाग से जानकारी मांगी है कि मुख्यमंत्री या विभागीय मंत्री को विभाग के भर्ती नियमों को शिथिल करते हुये मंत्री परिषद के अनुमोदन की प्रत्याशा में किसी उम्मीदवार को नियुक्ति देने का अधिकार प्राप्त है? मुख्यमंत्री या विभागीय मंत्री को किसी उम्मीदवार की किसी पद पर नियुक्ति हेतु निर्धारित न्यूनतम अर्हताएं न होते हुये भी नियमों को शिथिल करते हुये मंत्री परिषद के अनुमोदन की प्रत्याशा में नियुक्ति देने का अधिकार प्राप्त है? लोक सेवा आयोग द्वारा भर्ती किये जाने वाले पदों के संबंध में क्या मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री या मंत्री परिषद को किसी उम्मीदवार को बिना लोक सेवा आयोग के अनुमति के नियुक्ति देने का अधिकार प्राप्त है? क्या मंत्री परिषद को ऐसे उम्मीदवार की नियुक्ति/संविलियन का अनुमोदन करने का अधिकार है, जो उस पद हेतु निर्धारित न्यूनतम अर्हता धारित न करता हो? नियुक्ति/प्रतिनियुक्ति/संविलियन के नियमों को शिथिल करते हुये या विशेष प्रकरण मानकर नियुक्ति/संविलियन आदेश जारी किया जा चुका है परंतु बाद में मंत्री परिषद द्वारा ऐसे प्रकरणों का अनुसमर्थन नहीं किया गया है या ऐसे प्रकरण मंत्री परिषद के समक्ष नहीं लाये गये है उस स्थिति में मंंत्री परिषद की स्वीकृति की प्रत्याशा में जारी किये गये ऐसे आदेशों की वैधानिक स्थिति क्या रहेगी? यदि है तो नियम का उल्लेख करते हुये संबंधित नियम की सत्यापित छायाप्रति उपलब्ध कराने का कष्ट करें। जानकार बताते हैं कि इस पत्र के मिलने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग भी असमंजस में पड़ गया है। अगर सीएसपी के सवालों का जवाब ना में मिलता है तो अभी तक के जितने भी मुख्यमंत्री और मंत्री है वे भी घेरे में आ जाएंगे। क्योंकि अक्सर मंत्री परिषद के अनुमोदन की प्रत्याशा में नियुक्ति दी जाती रही है।
-ज्योत्सना अनूप यादव

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^