कागजों पर कब तक करोगे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई
15-Dec-2015 09:35 AM 1234895

एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रशासन को पारदर्शी और लोकहितकारी बनाने में जुटे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रशासनिक अमला केवल कागजी कार्रवाई करने में जुटा हुआ है। इसका नजारा भोपाल जिला प्रशासन में भी देखने को मिल रहा है। इस कारण गतदिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टर निशांत वरवड़े को फटकार भी लगाई। दरअसल, कलेक्टर की कार्यप्रणाली से जिले के विधायक नाराज हैं। कई बार तो कांग्रेस विधायक आरिफ अकील कलेक्टर को चेतावनी तक दे चुके  हैं, लेकिन कलेक्टर का रूख आमजन ही नहीं विधायकों के प्रति भी सख्त रहा है। यही नहीं जिले में आपदा पीडि़त किसानों के राहत कार्यों में भी हिला-हवाली बरती जा रही है। इसकी शिकायतें लगातार मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को समाधान ऑनलाइन में हिदायत भी दी। मुख्यमंत्री की हिदायत के बाद कलेक्टर ने बिना मैदानी तैयारी के अधिकारियों को तैनात कर दिया गया है। इससे अधिकारी भी असमंजश में हैं।
उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में कलेक्टर ने भोपाल कलेक्टोरेट के लोकसेवा केंद्र का ठेका निरस्त कर दिया था। अब इस मामले में कई पेंच नजर आ रहे हैं। जिस केंद्र के खिलाफ शिकायतें मिलने के कारण ठेका निरस्त करने की बात कही जा रही है, उसी केंद्र को महीने भर पहले खुद कलेक्टर ने दस में से दस नंबर देकर एक्सिलेंस अवार्ड के लिए नामांकित किया था। ठेका निरस्त होने के बाद केंद्र संचालक ने मीडिया को वह पेपर मुहैया कराया है, जिसमें अलग-अलग मानकों पर उन्हें एक्सिलेंस दिया गया है। हालांकि कलेक्टर का कहना है कि अनियमितताओं की शिकायत के कारण ही केंद्र का ठेका निरस्त किया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि कुछ दिन पहले ही कलेेक्टर ने इस केंद्र को एक्सिलेंस अवार्ड के लिए कैसे नामांकित किया था। दरअसल, वरवड़े अपने उलटे-पुलटे कारनामों के लिए हमेशा सूर्खियों में रहते हैं। जब वे रीवा में सीईओ जिला पंचायत थे तब एक एनजीओ को लाखों रूपए का काम गलत ढंग से दिलवाने का आरोप लगा था।
दरअसल, जिस एनजीओं को उन्होंने काम दिलाया था उसका अस्तित्व ही कटघरे में था। एनजीओं का पता बाग सेवनियां भोपाल का दिया गया था जो जांच में गलत निकला। इसको लेकर विधानसभा में भी विधायकों ने सवाल उठाए थे। वरवड़े खुद ही अपनी मूल नस्ती लेकर जवाब देने पहुंचे लेकिन लौटते वक्त वह नस्ती ट्रेन में चोरी हो गई। उन्होंने इसकी शिकायत जीआरपी में दर्ज कराई और 4 महीने बाद मामले का खात्मा कर दिया गया। उक्त मामला प्रश्न संदर्भ समिति के पास है। इस मामले में प्रश्न संदर्भ समिति के सदस्यों ने अपर मुख्य सचिव अरुणा शर्मा को भी तलब कर लिया था परंतु विभाग फर्जी एनजीओ को दी गई रकम के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहा है। वरवड़े जब होशंगाबाद कलेक्टर थे तो उन्होंने एनजीओ और नर्मदा अस्पताल के माध्यम से करोड़ों रूपए वारे-न्यारे किए। जब वे महिला एवं बाल विकास विभाग में परियोजना अधिकारी थे उसी के अनुभव का लाभ लेते हुए भोपाल की कलेक्टरी पाते ही महिला एवं बाल विकास विभाग के जिले से संबंधित अधिकारियों को चमकाना शुरू किया जिसको लेकर महिला सुपरवाइजरों ने मुख्यमंत्री से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक शिकायत भी की। तब ये कुछ ठंडे हुए हैं। वरवड़े जब 2009-2012 के बीच होशंगाबाद में कलेक्टर थे तो उनके नर्मदा समूह से रिश्ते बने थे। बताया जाता है कि उन्होंने नर्मदा समूह के विस्तार में अहम भूमिका निभाई। इस दौरान समूह ने अस्पताल में वरवड़े की पत्नी डॉ. अमिता चंद को भी अपने यहां डायरेक्ट बना दिया। जब नर्मदा अस्पताल समूह पर आयकर छापा पड़ा तब जाकर इसका खुलासा हुआ। जांच के दौरान अधिकारियों ने कर चोरी से जुड़े जो दस्तावेज जब्त किए हैं उनमें कुछ दस्तावेज डॉ. अमिता चंद से जुड़े हैं। आयकर के सूत्रों की मानें तो दस्तावेजों में इस बात का जिक्र है कि डॉ. अमिता चंद को हॉस्पिटल से हर महीने 4 लाख रुपए दिए जा रहे हैं। पता चला जिन डॉ. चंद को बतौर डॉक्टर तनख्वाह दी जा रही है वे नर्मदा समूह की कंपनी नर्मदा त्रिदेव हैल्थकेअर एंड सर्विस प्रा.लि. में डायरेक्टर है। कंपनी 19 जून 2015 को ही पंजीबद्ध हुई है। इसी दिन डॉ.राजेश शर्मा और डॉ. चंद को बतौर डायरेक्टर अपॉइन्ट भी किया गया है।
नार्वे इंडिया पार्टनर्शीप इंटिएटिव (निपी) में सीनियर प्रोजेक्ट ऑफिसर की भूमिका में पदस्थ डॉ. अमिता चंद नर्मदा समूह की एक कंपनी में डायरेक्टर हैं। जून 2015 में पंजीबद्ध हुई इस कंपनी का खुलासा  नर्मदा समूह के खिलाफ 30 जून से 4 जुलाई 2015 के बीच हुई इन्कम टैक्स इन्वेस्टिगेशन की छापेमार कार्रवाई के दौरान नहीं हुआ। खुलासा हुआ मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स (एमसीए) की वेबसाइट पर। इसमें पंजीबद्ध कंपनी में डॉ. चंद के साथ नर्मदा समूह के डायरेक्टर और इनकम टैक्स रेड में करीब 15 करोड़ की काली कमाई सरेंडर करने वाले डॉ. राजेश शर्मा भी डायरेक्टर हैं। कंपनी का पंजीकृत पता ई-3/23 अरेरा कॉलोनी है जो कि नर्मदा ट्रामा सेंटर का भी पता है। डॉ.राजेश शर्मा का पता भी यही है। डा.अमिता चंद का पता डी-2/2 चार ईमली भोपाल है। यहां पति वरवडेÞ के नाम का जिक्र नहीं है। अब कलेक्टर साहब को मैराथन का शौक जागा है। शहर का विकास और कानून व्यवस्था को नजरअंदाज कर वे इन दिनों मैराथन इवेंट्स आयोजित करने में दिलचस्पी ले रहे हैं।

निपी की प्रोजेक्ट ऑफिसर है डॉ. चंद
आयकर के हाथ लगे दस्तावेजों के अनुसार 15 अक्टूबर 1976 को जन्मी अमिता पिता महेशचंद ने मेरठ के लाला लाजपत राय मेमोरियल (एलएलआरएम) मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की। वे अभी नार्वे इंडिया पार्टनर्शीप इंटिएटिव यूनाइटेड नेशनल ऑफिस फॉर प्रोजेक्ट सर्विस (निपी, यूनोप्स) से जुड़ी हैं। वे निपी की स्टेल प्रोग्राम ऑफिसर है। 1 नवंबर 2014 को मप्र के स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में डॉ.अमिता चंद को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने चीफ मिनिस्टर एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया। सम्मानित होने वालों में 5 नाम होशंगाबाद के थे। इसके अलावा कलेक्टर वरवड़े का नाम भी था। उन्हें होशंगबाद में किए गए कार्यों के लिए भी पुरस्कृत किया गया था।

-भोपाल से अजय धीर

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