हम न थके हंै, और न डरे हंै कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे
15-Dec-2015 06:57 AM 1234925

मध्यप्रदेश में सरकार और कर्मचारी संगठनों के बीच आए दिन टकराव होता रहता है। ऐसा कोई महीना नहीं होता होगा जब कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सड़क पर न उतरते हों। पिछले दिनों पटवारियों ने भी अपना बस्ता पटककर हड़ताल कर दी थी। जिस कारण सूखे से बेहाल किसानों को मुआवजा भी नहीं बट पा रहा था। पटवारियों की हड़ताल को समाप्त करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, वित्त मंत्री जयंत मलैया, राजस्व मंत्री रामपाल सिंह ने भी कोशिश की लेकिन पटवारी अपनी मांग पर अड़े रहे। पटवारियों के अडिय़ल रवैये को देखकर हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ और उनकी हड़ताल अवैध घोषित कर दी गई। तब जाकर पटवारी काम पर लौटे, लेकिन पटवारियों का कहना है कि उन्होंने हाईकोर्ट के निर्देश का सम्मान करते हुए हड़ताल वापस ली है। पटवारी संघ के प्रांताध्यक्ष प्रकाश माली का कहना है कि न तो हम थकें हैं और न ही न ही डरे हैं। हम अपना पक्ष न्यायालय और शासन के पास रखेंगे।
पटवारी संघ का यह रुख साफ दर्शा रहा है कि आग अंदर ही अंदर सुलग रही है। अगर सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना तो वे आंदोलन की राह फिर से पकड़ सकते हैं। सरकार ने पटवारियों के 2800 के पे-स्केल पर तो नहीं, लेकिन बीच का रास्ता निकालते हुए 2400 के पे- ेस्केल पर रजामंदी दी है। यह कब से मिलेगा अभी इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ।  उल्लेखनीय है कि अपने आंदोलन के दौरान पटवारियों ने चेतावनी दी थी कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी जाती है तो वे मंत्रियों और अधिकारियों की अघोषित संपत्ति को घोषित करेंगे। पटवारियों की इस धमकी के बाद प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिकाओं में हलचल मच गई थी। लेकिन पटवारियों की यह धमकी फुस्स साबित हुई। जब पटवारी सरकार की मनुहार पर नहीं माने तो सरकार ने भी उन्हें सख्त चेतावनी दी थी। हालांकि पटवारी संघ का कहना है कि वे किसानों और आम आदमी की समस्या तथा हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए काम पर वापस लौटे हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार हमारी मांगे नहीं मान लेती हमारा आंदोलन थमने वाला नहीं है। पटवारी संघ के प्रांताध्यक्ष प्रकाश माली कहते हैं कि हम पूरी ईमानदारी से शासन के निर्देशों का पालन कर रहे हैं। प्रदेश में पटवारियों की संख्या कम है फिर भी हम सारे काम संभाले हुए हैं। ऐसे में सरकार हमारे साथ दोहरा व्यवहार कर रही है।

भोपाल में नहीं बनी बात तो दिल्ली में करेंगे प्रदर्शन
24 दिसंबर को भोपाल में आयोजित होने जा रही महापंचायतÓ में शामिल होने के लिए प्रदेशभर के अध्यापक आतुर दिख रहे हैं। अध्यापकों को भरोसा है कि महापंचायत में उनकी मांगों को पूरा किया जाएगा। दूसरी ओर सरकार महापंचायतÓ में कुछ चुनिंदा अध्यापकों को ही आमंत्रित करना चाहती है जिससे अध्यापकों में रोष है। वहीं आजाद अध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष भरत पटेल, रत्नेश मिश्रा, दिनेश मिश्रा सहित अन्य ने कहा है कि महापंचायत में अगर उन्हें नहीं बुलाया जाता है और उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है तो संघ दिल्ली में जाकर विरोध प्रदर्शन करेगा। प्रांताध्यक्ष भरत पटेल ने बताया कि संघ की अािखरी और अंतिम लड़ाई होगी जिसमें सरकार से अपने पक्ष में फैसला कराके ही संघ दम लेगा। वह कहते हैं कि हमने पूरा अक्टूबर माह आंदोलन में लगा दिया लेकिन जब तक हम आंदोलन करते रहे मुख्यमंत्री जी हमसे मिलने को भी तैयार नही, वे आंदोलन समाप्त करने तथा संयुक्त मोर्चा बनने के पश्चात ही चर्चा को तैयार हुए और आज स्थिति यह है कि मध्यप्रदेश शासन हमारी मांगों के प्रति गंभीरता से विचार कर रहा है। लेकिन अगर 24 दिसंबर को भोपाल में होने वाली महापंचायत में आंदोलन से जुड़े सभी अध्यापकों को नहीं बुलाया जाता है तो हम आंदोलन का रास्ता फिर से अख्तियार करेंगे।
-भोपाल से कुमार राजेन्द्र

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