17-Nov-2015 09:27 AM
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चुनाव जीतने के लिए कैसे लड़ा जाता है यह शिवराज सिंह चौहान से बेहतर कोई नहीं जानता है। चुनाव छोटा हो या बड़ा वे पूरी सांगठनिक क्षमता के साथ मोर्चा संभालते हैं। यही कारण है कि भाजपा पिछले एक दशक से भी अधिक समय से

मध्यप्रदेश में अजेय रही है। मध्यप्रदेश में इसी माह देवास विधानसभा और रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। अपनी शैली के अनुसार शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों, संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ दोनों क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ा दी है।
हालांकि देवास उपचुनाव ऊपरी तौर पर भाजपा जीती हुई नजर आ रही है। लेकिन रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट पर कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। भले ही यह सीट भाजपा के कब्जे में थी लेकिन यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है। और इस बार इस सीट पर हो रहे उपचुनाव में फिर एक बार भूरिया बनाम भूरिया के बीच मुकाबला हो रहा है। भाजपा की तरफ से स्व. भूरिया की पुत्री विधायक निर्मला भूरिया मैदान में हैं वहीं कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया को मैदान में उतारा है। नामांकन के दिन कांतिलाल भूरिया की रैली में उमड़ी भीड़ ने भाजपा को संकेत दे दिया है कि वह इस बार किसी भी गलतफहमी में न रहे। इसको देखते हुए भाजपा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित पार्टी के सभी कद्दावर नेताओं, मंत्रियों और पदाधिकारियों को मैदान में उतार दिया है। उधर संघ भी मोर्चा संभाले हुए है। संसदीय क्षेत्र के आठों विधानसभा क्षेत्रों में त्रिस्तरीय जमावट के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दौरे हो रहे हैं। लोकसभा क्षेत्र के तीनों जिलों और विधानसभा के लिए अलग-अलग प्रभारियों की व्यवस्था की गई है। संगठन महामंत्री अरविंद मेनन पूरे क्षेत्र में लगातार मानिटरिंग कर रहे हैं। प्रदेश में उपचुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा का पूरा फोकस रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट पर है। पार्टी ने यहां चुनावी कमान मालवा-निमाड़ अंचल के कार्यकर्ताओं को सौंप दी है। क्षेत्र के मंत्री, विधायक और कार्यकर्ताओं को चुनावी रणनीति के अनुसार तैनात किया गया है।
आम चुनाव में मोदी लहर में भी रतलाम-झाबुआ सीट की आठ में से दो विधानसभा सीट झाबुआ एवं सैलाना में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। इसलिए पार्टी ने उपचुनाव में इन दोनों क्षेत्रों पर विशेष फोकस किया है। चुनावी प्रबंधन से जुड़े कार्यकर्ताओं को आठों विधानसभा में जीत दर्ज कराने का संकल्प दिलाया गया है। पार्टी अब यहां सरकार के कामों को गिनाने में जुटी है। साथ ही चुनाव के बाद क्षेत्र की काया पलटने का वायदा भी किया जा रहा है।
दिग्गजों ने संभाली व्यवस्था
भाजपा ने आठों विधानसभा सीटों पर त्रिस्तरीय चाक-चौबंद व्यवस्था सुनिश्चित की है। मंडल, जिला एवं विधानसभावार पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को काम बांटा गया है। ये सभी अपने-अपने क्षेत्रों पर फोकस कर रहे हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान, विक्रम वर्मा, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत, नरेंद्र सिंह तोमर, सांसद सत्यनारायण जटिया, मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा, जयंत मलैया, गोपाल भार्गव, पारस जैन, गौरीशंकर बिसेन, भूपेंद्र सिंह एवं लालसिंह आर्य को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। पूर्व मंत्री रंजना बघेल, अजय बिश्नोई, भोपाल सांसद आलोक संजर, सुधीर गुप्ता (मंदसौर) व सुभाष पटेल (खरगोन) भी तैनात हैं।
झाबुआ में इंदौर के विधायक रमेश मेंदोला एवं भाजपा जिलाध्यक्ष शैलेष दुबे को प्रबंधन का काम सौंपा गया है। रतलाम जिले में विधायक एवं पार्टी के कोषाध्यक्ष चेतन काश्यप। आलीराजपुर जिले के लिए पूर्व मंत्री महेन्द्र हार्डिया एवं जिलाध्यक्ष हीरालाल शर्मा को प्रभार दिया गया है। संगठन की ओर से संभाीय संगठन मंत्री आलीराजपुर में शैलेन्द्र बरुआ, झाबुआ सुरेश आर्य एवं रतलाम में विजय दुबे को जवाबदारी दी गई है। हालांकि प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री अरविंद मेनन का कहना है कि बिहार के चुनावी नतीजों का मप्र के उपचुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यहां हम सरकार की उपलब्धियों के आधार पर दोनों चुनाव में जीत दर्ज कराएंगे। वहीं प्रदेश भाजपा कोषाध्यक्ष चेतन कश्यप का कहते हैं कि लोकसभा आमचुनाव में हम यह सीट एक लाख 8 हजार मतों से जीते थे, जिसमें 67 हजार की बढ़त रतलाम जिले की थी। सैलाना और झाबुआ में हम पिछड़े थे उपचुनाव में भाजपा आठों सीटोंं पर बढ़त हासिल करेंगे। भाजपा के इन दावों के बीच कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश का कहना है कि बिहार में जनता ने भाजपा को आईना दिखा दिया है। अब मध्यप्रदेश में भी जनता भाजपा को सबक सिखाने के लिए तैयार है। अब देखना यह है कि 21 नवंबर का मतदाता किसको अपना वोट देता है।
-झाबुआ से सुनील सिंह