02-Dec-2015 07:49 AM
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करीब 4,00000 करोड़ के कर्ज में डूबी महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस इस समय संक्रमण काल से गुजर रही है। सूखे से बदहाल किसानों को बांटने के लिए सरकार के पास फंड नहीं है, उस पर गठबंधन में शामिल दल रोज नए नखरे दिखा रहे हैं।

एसे में सरकार मंत्रिमंडल विस्तार के जरिये जहां गठबंधन के दलों को संतुष्ट करना चाहती है, वहीं अपने कुछ महत्वाकांक्षी मंत्रियों के पर कतरने की कवायद भी कर सकती है। जिन मंत्रियों के विभागों में कटौती की संभावना है उनमें राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से, महिला और बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे और शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े के नाम सबसे ऊपर हैं। बताया तो यहां तक जा रहा है कि फडणवीस पंकजा को बाहर करना चाहते हैं, ताकि जनता के बीच यह संदेश जाए कि सरकार में दांगी मंत्री को जगह नहीं दी गई है, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व इसके लिए तैयार नहीं है। ऐसे में पंकजा उनके गले की फांस बन गई हैं।
महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस सरकार के एक साल पूरे हो गए हैं। इस एक साल में फडणवीस सरकार के कुछ काम सराहे गए तो कुछ मंत्री और नेताओं के कारण बदनामी भी झेलनी पड़ी। इनमें से एक हैं महाराष्ट्र सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे। उन पर 206 करोड़ के घोटाले का आरोप लगा था। महाराष्ट्र की मिनिस्टर पंकजा मुंडे का नाम पिछले महीनों चिक्की घोटाले में उछला था। आरोप है कि उन्होंने बिना टेंडर निकाले 200 करोड़ से ज्यादा का ठेका दे दिया था। सारे ऑर्डर उन्होंने एक दिन में ही पास किए थे। इससे सरकार की जमकर किरकिरी हुई है। अब जब सरकार के एक साल पूरे हुए हैं गठबंधन में शामिल शिवसेना के कुछ नेता भी पंकजा का विरोध करने लगे हैं। उनका कहना है कि मंत्रिमंडल से दागदारों को बाहर किया जाए।
भाजपा और शिव सेना के गठबंधन से चल रही फडणवीस सरकार में इस समय 30 मंत्री हैं जिनमें 20 भाजपा के और 10 शिव सेना के हैं। फडणवीस 42 मंत्रियों के साथ सरकार चला सकते हैं। फडणवीस सरकार बीते साल भर से घटक दलों को विस्तार के बहाने बहलाती आ रही थी और घटक दल बार-बार गठबंधन से बाहर होने का एलान करते रहे थे। मगर बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा अब गठबंधन के दलों की उपेक्षा करने की स्थिति में नहीं है। लिहाजा वह मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी कर रही है।
जिन मंत्रियों के पास विभागों का बोझ बढ़ गया है, उन्हें कम करने की कवायद भी फडणवीस कर सकते हैं। एकनाथ खड़से इस समय राजस्व के अलावा कृषि, अल्पसंख्यक, वक्फ बोर्ड, पशु संवर्धन, दुग्ध विकास, मत्स्य संवर्धन, उत्पादन शुल्क जैसे आठ विभागों का कामकाज देख रहे हैं। स्कूली शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े के पास उच्च शिक्षा, चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा के अलावा सांस्कृतिक कार्य और मराठी भाषा संवर्धन का अतिरिक्त प्रभार है। महिला और बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे ग्रामीण विकास, जल संसाधान जैसे मंत्रालयों का काम भी देख रही हैं। महिला और बाल कल्याण विभाग मुंडे के हाथ से निकलने की संभावना है, तो खड़से का कृषि विभाग कम किया जा सकता है। खड़से, तावड़े और मुंडे का नाम संभावित मुख्यमंत्री के तौर पर खूब चला था। पंकजा मुंडे ने तो घोषणा ही कर दी थी कि सूबे की जनता उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहती है। खड़से खुली बगावत पर उतारू होकर रूठ गए थे और उन्हें बड़ी मुश्किल से मनाया गया था। तावड़े के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा ज्यादा नहीं थी, मगर दौड़ में उन्हें भी शामिल माना जा रहा था। इनमें से चिक्की मामले में मुंडे और जाली डिग्री मामले में उलझने के बाद तावड़े के तेवर ठंडे हो चुके हैं। हालांकि खुद फडणवीस के पास ढेर सारे विभाग हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अपने कुछ विभाग भी विस्तार के दौरान कम कर सकते हैं। फडणवीस के पास इस समय गृह, विधि और न्याय व पर्यटन समेत कई वे विभाग हैं जिनका बंटवारा नहीं हुआ था।
हालांकि विस्तार में गठबंधन के दलों को संतुष्ट करना फडणवीस के लिए टेढ़ी खीर होगा। विस्तार में शिव सेना को दो मंत्रिपद दिए जाने हैं। मगर शिव सेना की मांग कोटे के दो राज्य मंत्री और एक कैबिनेट मंत्री पद की है। रिपब्लिन पार्टी ऑफ इंडिया (रिपाई) के प्रमुख रामदास आठवले केंद्र में मंत्री पद पाने की आस लगाए बैठे हैं और प्रदेश की राजनीति में नहीं आना चाहते हैं। वह सूबे में अपनी पार्टी के लिए दो मंत्रिपद पाने की चाहत रखते हैं। रिपाई प्रदेशाध्यक्ष भूपेश थुलकर विदर्भ से हैं और रिपाई के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश महातेकर पश्चिम महाराष्ट्र से। दोनों मंत्री बनना चाहते हैं। आठवले की पत्नी सीमा आठवले का नाम भी मंत्री पद के लिए उछल चुका है, जिस पर पार्टी में बगावत के आसार बन गए थे।
तावड़े पर 191 करोड़ का ठेका देने का आरोप
पंकजा के अलावा महाराष्ट्र शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े का नाम भी विवादों में फंसा है। तावड़े पर भी बिना ई-टेंडरिंग के 191 करोड़ का ठेका देने का आरोप है। वित्तीय विभाग ने इस ठेके में हुई अनियमितताओं का खुलासा किया है। स्कूलों के लिए आग बुझाने वाले यंत्र की खरीद का ठेका बिना ई-टेंडरिंग के ही ठाणे की एक कंपनी को दिया गया। राज्य के 62 हजार 105 स्कूलों के लिए तीन-तीन अग्निशामक खरीदे जाने थे।
अक्स ब्यूरो