01-Dec-2015 10:36 AM
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राजस्थान में कोटा के सिंचाई के लिए चम्बल नदी के जल के बंटवारे को लेकर राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच एक बार फिर विवाद शुरू हो गया। सूखे की मार झेल रहे मप्र को पड़ोसी राज्य भी सताने लगे हैं। आलम यह है कि केंद्रीय मंत्री

उमा भारती के कहने के बाद भी राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा, मध्यप्रदेश को 3900 क्यूसेक पानी की सप्लाई नहीं करा रही हैं। कम पानी मिलने के कारण मुरैना की तीनों नहरों में पानी का डिस्चार्ज बंद करना पड़ा। धनतेरस पर केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे से चर्चा कर मध्यप्रदेश को सिंचाई के लिए करार के मुताबिक 3900 क्यूसेक पानी देने की बात कही। बातचीत में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आश्वासन दिया था कि कोटा बैराज से पानी की मात्रा को बढ़ाकर 3900 क्यूसेक करा दिया जाएगा। आश्वासन के 10 दिन बाद भी राजस्थान से मध्यप्रदेश को 2800 से 2900 क्यूसेक पानी ही मिल पा रहा है। पार्वती एक्वाडक्ट पर पानी का डिस्चार्ज बढ़ाने के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव अंटोनी डिसा ने पांच दिन पहले राजस्थान के मुख्य सचिव से चर्चा कर 3900 क्यूसेक पानी देने के लिए स्मरण-पत्र भेजा था लेकिन उसका भी कोई असर देखने को नहीं मिला है। इतना ही नहीं अतिरिक्त मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानियां ने अपने स्तर से राजस्थान के प्रमुख सचिव जल संसाधन से पानी की मात्रा बढ़ाने के लिए बातचीत की तो फिर से आश्वासन मिला कि 22 नवंबर से पानी के डिस्चार्ज को बढ़ाकर 3500 क्यूसेक प्लस कर दिया जाएगा। उधर बुधवार को जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राधेश्याम जुलानिया ने मुख्य अभियंता एनपी कोरी को राजस्थान के कोटा में सीएडी प्रशासन से बातचीत करने के लिए भेजा था। इस सीजन में पानी को लेकर चौथी बार हुई यह बातचीत रि विफल हो गई। सीएडी प्रशासन ने फिलहाल पानीफ की मात्रा बढ़ाने से साफ इनकार कर दिया है। यह विवाद मध्य प्रदेश ने चम्बल नदी के सबसे बड़े गांधी सांगर बांध से सिंचाई के लिए पानी की निकासी रोकने के लिए चेता देने के बाद एक बार फिर उत्पन्न हो गया। चंबल की नहरों के जल बंटवारे को लेकर राजस्थान व मध्य प्रदेश तीन साल बाद फिर आमने-सामने हो गए। समझौते के अनुसार पानी नहीं देने से खफा हो मप्र ने चंबल नदी के सबसे बड़े बांध गांधीसागर से पानी रोक दिया। राजस्थान ने दो टूक कहा, हाड़ौती में सिंचाई के लिए पानी की जरूरत है। ऐसे में मात्रा नहीं बढ़ा सकते हैं। मप्र ने केंद्र से दखल की मांग की। इस पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से फोन पर बात हुई है लेकिन समाधान नहीं निकल पाया है। सूत्रों के अनुसार, चंबल की दाईं मुख्य नहर में 6150 क्यूसेक पानी चल रहा है। इसमें 1000 क्यूसेक का लोस हो रहा है। शेष से 2580 क्यूसेक सीमा पर पार्वती एक्वाडक्ट से मप्र को दिया जा रहा है। 2570 क्यूसेक कोटा व बारां को दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश के श्योपुर में नहरी पानी को लेकर चल रहे आंदोलन की सुलह के लिए श्योपुर कलेक्टर पीके सोलंकी व एसपी एसके पांडे की मौजूदगी में किसानों की जल संसाधन विभाग के साथ बैठक बेनतीजा रही। कलेक्टर ने किसानों को समझाते हुए साफ किया कि मप्र राजस्थान से पानी पर आर-पार की लड़ाई लड़ रहा है। मप्र ने राजस्थान को गांधीसागर से पानी देना बंद कर दिया। जल्द सुखद परिणाम आएंगे। उधर, मप्र के जल संसाधन विभाग के प्रमुख शासन सचिव आरएस जुलानिया ने दिल्ली में जल संसाधन मंत्री उमा भारती से मुलाकात कर राजस्थान सरकार की शिकायत की। इस पर उमा ने राजे से बात की।
तीन साल पहले भी रोका था पानी
तीन साल पहले मप्र ने कम पानी पर गांधीसागर से पानी बंद किया था। जयपुर बैठक में मप्र ने राजस्थान के अधिकारियों को अपने प्रदेश में नहीं घुसने देने की धमकी दी। तब भी मप्र के जल संसाधन प्रमुख शासन सचिव जुलानिया ही थे। बाद में दोनों राज्यों के प्रमुख शासन सचिव व मुख्यमंत्रियों के दखल के बाद मामला शांत हुआ था। राजस्थान के सीएडी के उप सचिव व मुख्य अभियंता बीएन त्यागी बताते हैं कि मप्र को 2580 क्यूसेक पानी दे रहे हैं। वे 3000 क्यूसेक मांग रहे हैं। उनको दाईं मुख्य नहर में प्रवाहित पानी का 76 फीसदी हिस्सा 3914 क्यूसेक देना होता है। उच्च स्तर पर वार्ता चल रही है। मध्य प्रदेश की यह मांग है कि उसे चम्बल नदी से सिंचाई के लिए उसके वैधानिक अधिकार के अनुरूप पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिए। प्रदेश के ग्वालियर संभाग के किसानों को चम्बल नदी की दांई मुख्य नहर से पर्याप्त पानी उपलब्ध नही हो पा रहा है जिससे किसानों में असंतोष है।
तीनों नहरों में पानी का डिस्चार्ज बंद
मप्र में सूखे के हालात को देखते हुए केंद्रीय जल संसाधन विभाग ने राजस्थान सरकार से निरंतर पानी की सप्लाई करने का आग्रह किया था। लेकिन राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार की एक नहीं सुनी। कोटा बैराज से पानी का डिस्चार्ज कम किए जाने की दशा में जल संसाधन विभाग के अफसरों ने सबलगढ़ के सुनहरा हेड से अंबाह ब्रांच कैनाल, लोअर मैन कैनाल व मुरैना ब्रांच कैनाल में उस समय पानी का डिस्चार्ज बंद कर दिया जब हजारों किसान गेहूं की बोवनी से पहले नहर के पानी से खेतों का पलेवा करने के लिए तैयार हैं।
-सुनील सिंह