01-Dec-2015 10:30 AM
1234799
छत्तीसगढ़ में शासन पर अफसरशाही हावी। यह चर्चा राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिकाओं में आम होती रहती है, पर विगत दिनों कैबिनेट की बैठक में जिस तरह से मंत्रियों का अफसरों के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा, वह इन चर्चाओं को बल देने वाला ही है। आखिर मंत्रियों की नाराजगी इस कदर कैसे बढ़ गई इसको लेकर सत्ता और संगठन में चर्चा जोरों पर शुरू हो गई है। आलम यह है कि अफसरों को लेकर हर मंत्री दुखित नजर आ रहा है। किसी को अफसर नजर अंदाज कर रहे

हैं तो किसी को फंसाने का पूरा इंतजाम। किसी का आभामंडल कम करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे तो किसी मंत्री का करीबी अफसरों की चालाकी का शिकार हो गया है। मंत्रियों ने अपनी आप बीती मुख्यमंत्री को सुना दी है, अब मुख्यमंत्री अपने तौर पर इसकी पड़ताल करवा रहे हैं।
मंत्रिमंडल में अघोषित तौर पर दूसरे नंबर के प्रभावशाली मंत्री का रुतबा पाने वाले कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल भी अफसरों से आहत हैं। दिन-रात लोगों से मिलना और सभी को संतुष्ट करने का प्रयास हमेशा इनका रहता है। कई छोटे-बड़े काम इनके आसपास बरसते रहते हैं। उनका आरोप है कि रायपुर जिले के कुछ प्रभावशाली अधिकारी पिछले कुछ दिनों से इनके कामों को नजरअंदाज कर रहे। मंत्री अब इनसे बात भी नहीं कर रहे। वहीं महिला बाल विकास मंत्री रमशीला साहू भी अफसरों से प्रताडि़त हैं। साहू समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली रमशीला क्षेत्र से आती हैं। सीधी सरल होने के कारण आसानी से सबके लिए उपलब्ध रहती हैं। यहां तक कि क्षेत्र का छोटा-छोटा कार्यकर्ता भी मिल लेता है। लेकिन दुर्ग संभाग के कलेक्टर, एसपी और अन्य अफसरों से पडऩे वाले ज्यादातर कामों में मंत्री को निराशा हाथ लगी है। यहां तक की क्षेत्र के कई कार्यकर्ता इसी बात से उनसे नाराज हो गए हैं। वैसे विभाग के कुछ अफसर भी मंत्री के प्रभाव को कम करने में लगे हुए हैं।
प्रदेश के पीडब्लूडी मंत्री राजेश मूणत के रायपुर शहर से होने के कारण मंत्री के पास लोगों का रेला लगा रहता है। कोई न कोई काम लेकर आता है। वैसे तो आड़े-तिरछे काम लेकर आने वालों को वे खुद ही भगा देते हैं। पर मंत्री को उनके अफसर ही भाव नहीं देते हैं। मंत्री को नजरअंदाज करने वाले दो अफसरों की जोड़ी से ये खासे नाराज हैं। यहां तक कि हाल फिलहाल के दो कायक्रमों में मंत्री को तवज्जो भी नहीं दी गई। उपेक्षा जैसी बातें सामने आईं।
श्रम मंत्री भैयालाल रजवाड़े मंत्रिमंडल में पहली बार जगह मिली है। सरगुजा क्षेत्र से पहले भी विधायक रहे। पर संसदीय सचिव की जिम्मेदारी निभाते रहे। मंत्री बनने के बाद पहली बार सीधे विभाग संभाल रहे। सरगुजा क्षेत्र के अफसरों से आए दिन काम पड़ता है। पर अफसर बातों को तवज्जो नहीं दे रहे। विभाग के दो अफसरों की भूमिका से मंत्री परेशान माने जा रहे हैं।
दमदार मंत्री का निकाला दम
प्रदेश में अफसरशाही शासन-प्रशासन पर किस तरह हावी है इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि प्रदेश दमदार मंत्री राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय का भी दम निकाला दिया है। हमेशा दमदारी दिखाने वाले ये मंत्री कई मामलों में अफसरों पर राज नहीं चला सके। कुछ लोगों को एक मुसीबत से उबारने का प्रयास किया। अफसरों को फोन किया। पर अफसरों ने उल्टे उन्हीं लोगों पर कार्रवाई कर दी। इन अफसर की पूरी टीम से मंत्री खफा हैं। मंत्री की पीड़ा यह है कि अफसर उनको आश्वस्त करते रहे लेकिन उल्टा मामला बनवा दिया। यही हाल प्रदेश के एक अन्य दबंग मंत्री का है। शिक्षा मंत्री केदार कश्यप बस्तर क्षेत्र के दबंग मंत्री है और उनकी दबंगई भले ही कितनी हो, लेकिन अफसर इनकी सुनते नहीं हैं। पूर्व सांसद बलीराम कश्यप के बेटे और सांसद दिनेश कश्यप के भाई होने के नाते बस्तर में खासा नाम है। आदिम जाति और स्कूल शिक्षा विभाग के मर्ज होने के बाद काम भी बढ़ गया है। नीति बनाने का प्रयास करने पर वरिष्ठ अफसर अड़ंगा लगा देते हैं। बस्तर के जिला और पुलिस प्रशासन के अफसर भी इन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं। वहीं गृहमंत्री रामसेवक पैकरा भी अफसरशाही से परेशान है। वैसे तो प्रोटोकॉल के हिसाब से मंत्रिमंडल में दूसरे स्थान का रुतबा है। राज्य की कानून व्यवस्था इन्हीं के हिसाब से चलनी चाहिए। आमतौर पर मृदुभाषी और दूसरों की बातों को सुनने वाले माने जाते हैं। लेकिन पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अफसर मंत्री की बातों को दरकिनार कर रहे हैं। सरगुजा क्षेत्र के कलेक्टर, एसपी की भूमिका से भी ये मंत्री नाराज हैं। आलम यह है कि मंत्री के निर्देश के बाद भी अफसर अपने मन की करते हैं। मंत्री ने इसके लिए कई बार अफसरों को ताकीद भी किया है, लेकिन वे उनकी कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैंं। मंत्रियों की प्रदेश में यह दुर्दशा है तो आम आदमी की स्थिति क्या होगी सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
इनकी तो बोलती ही बंद
स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर तेजतर्रार मंत्री। लोगों से तेज आवाज में बात करने के लिए चर्चित। पर इन दिनों एक महिला संविदा अधिकारी को हटाने के बाद प्रताडऩा का आरोप झेल रहे हैं। अब कोर्ट में इनके खिलाफ कुछ लोग मोर्चा खोलने वाले हैं। ऐसा आरोप लगाया है कि मंत्रालय में बैठे दो शीर्ष अधिकारी इनके पुराने मामले निकालकर माहौल बनाने में जुटे हैं। इनमें से एक काफी प्रभावशाली हैं।
-रायपुर से संजय शुक्ला के साथ टीपी सिंह