15-Dec-2015 09:32 AM
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छत्तीसगढ़ सरकार अभी 36000 करोड़ रूपए के धान घोटाले का दाग साफ भी नहीं कर पाई है कि बालौदाबाजार-भाटापारा जिले के दो धान संग्रहण केंद्रों से 30 करोड़ का धान गायब होने का मामला सामने आया है। इसको लेकर प्रदेश की

राजनीति में फिर से भूचाल आ गया है। हालांकि धान घोटाले के मामले में पंजीयक सहकारी संस्थाएं जेपी पाठक ने मार्कफेड मुख्यालय से लेकर संग्रहण केंद्र प्रभारियों तक के खिलाफ इस राशि की रिकवरी करने की नोटिस जारी की है। उन्होंने कहा है कि इतनी बड़ी मात्रा में धान एक दिन में गायब नहीं हो सकता। जिला विपणन और मार्कफेड मुख्यालय की मॉनिटरिंग टीम ने लापरवाही बरती है। इस आधार पर उन्होंने संयुक्त रिकवरी के लिए मार्कफेड के एमडी एस भारती दासन को निर्देशित किया है।
पिछले सत्र में हुई धान खरीदी के दौरान भाटापारा तहसील के धान संग्रहण देवरी, सूमा से खरीफ विपणन वर्ष 2014-15 के दौरान 94 हजार 446.63 क्विंटल धान जिसकी कीमत 15.02 करोड़ रूपए है, गायब हो गया। इसी तरह आलेसुर खम्हरिया (बलौदाबाजार) से 88 हजार 728 क्विंटल धान जिसकी कीमत 14.10 करोड़ है, गायब पाया गया। मामले का खुलासा धान के वेरीफिकेशन के दौरान हुआ। दोनों ही मामले की जानकारी मिलते ही बलौदाबाजार भाटापारा के डीएमओ डीएन गिरी ने इन संग्रहण केंद्र के प्रभारियों के खिलाफ बलौदाबाजार और भाटापारा थाने में एफआईआर दर्ज करा दी। आलेसुर धान संग्रहण केंद्र के प्रभारी रामनुज ठाकुर और देवरी धानसंग्रहण केंद्र के प्रभारी महेंद्र कुमार बरेठ के खिलाफ मामला दायर किया गया। पंजीयक सहकारी संस्थाएं पाठक के पास यह मामला आया तो इस जांच पर वे पूरी तरह सहमत नहीं हैं। मार्कफेड के एमडी को भेजे पत्र में पंजीयक सहकारी संस्थाएं ने माना है कि संग्रहण केंद्र से बड़े पैमाने पर धान एक दिन में गायब नहीं हो सकता है। धान खरीदी का काम सुचारू रूप से संचालित करने व लगातार निगरानी और निरीक्षण की जवाबदारी जिला विपणन अधिकारी एवं विपणन संघ मुख्यालय के वरिष्ठ अफसरों की भी है। उन्होंने यह भी लिखा है कि इन अधिकारियों ने खरीफ विपणन वर्ष 2014-15 के दौरान अपने कर्तव्यों और दायित्वों का उचित निर्वहन नहीं किया। उल्लेखनीय है कि देशभर के राइस मिलर्स संचालकों पर धान के सह उत्पाद (कुंडा, कनकी, भूसी) के नाम पर 10 लाख करोड़ रुपए की गड़बड़ी का आरोप लगा है। दावा है कि अकेले छत्तीसगढ़ में यह राशि 30 हजार करोड़ की है। आरटीआई कार्यकर्ता गौरीशंकर जैन व योजना आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र पाण्डेय ने खुलासा करते हुए बताया कि यह गड़बड़ी आजादी के बाद से चली आ रही है। इस संबंध में केन्द्र से लेकर राज्य स्तर पर शिकायत करने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है।
संग्रहण केंद्र प्रभारी अकेले दोषी नहीं
पंजीयक ने अपने पत्र में इस बात पर भी आपत्ति की है कि केवल संग्रहण केंद्र प्रभारी और संलिप्तों के विरुद्ध एफआईआर कराने से जिला विपणन और विपणन संघ मुख्यालय स्तर के अफसरों की जवाबदारी समाप्त नहीं हो जाती। पंजीयक सहकारी संस्थाएं ने एमडी मार्कफेड से कहा है कि वे शासन को हुई इस क्षति की रिकवरी संयुक्त रूप से उत्तरदायित्व तय करते हुए सभी संबंधितों से राशि की वसूली कर उन्हें जानकारी दें। दोनों संग्रहण केंद्रों में धान के शॉर्टेज को लेकर मार्कफेड की ओर से विभागीय जांच कराई गई है। पूरे मामले में दोनों संग्रहण केंद्र प्रभारी और राइस मिलर्स को जिम्मेदार मानकर एफआईआर कराई गई है। आगे की कार्रवाई कलेक्टर को करने कहा गया है। उधर,कांग्रेस ने बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में अफसरों की मिलीभगत से 30 करोड़ के धान घोटाले का आरोप लगाते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग की है। उसने कहा है कि पंजीयक ने मार्कफेड के प्रबंध संचालक को चि_ी लिखकर माना है कि इतना बड़ा घोटाला एक दिन में संभव नहीं है। अफसरों की मिलीभगत की वजह से ही इतना बड़ा घोटाला हुआ है। इसके बाद भी अफसरों पर एफआईआर नहीं की जा रही है। छत्तीसगढ़ मामलों के कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता मोहम्मद अकबर ने कहा है कि पंजीयक सहकारी संस्थाएं की चि_ी के बाद इस बात की पुष्टि हो गई है कि जिला विपणन अधिकारी व मार्कफेड मुख्यालय के आला अफसरों ने नियमों के खिलाफ काम कर 30 करोड़ का फर्जीवाड़ा किया है। इस मामले में वे ही अफसर छोटे कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर कर रहे हैं जो खुद दोषी हैं। इस हाई प्रोफाइल धान घोटाले में बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के कलेक्टर की ओर से बनाई गई जांच समिति ने भी कई बातों की जांच ही नहीं की। आधी-अधूरी जांच रिपोर्ट के आधार पर निचले कर्मचारियों को निशाना बना दिया गया। धान कब, कैसे और कहां गया इस बात की जांच तक नहीं की गई। जांच समिति ठीक ढंग से इस मामले की जांच करती तो यह घोटाला 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच कराने की भी मांग की है।
-रायपुर से संजय शुक्ला के साथ टीपी सिंह