17-Nov-2015 09:20 AM
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आने वाले दिनों में उज्जैन नए स्वरूप में नजर आएगा। महाकाल मंदिर के आसपास कभी रहे महाकाल वन क्षेत्र की परिकल्पना को नए पंख लगेंगे। इस हेतु क्षेत्र का विकास किया जा रहा है। राज्य शासन द्वारा लगभग नष्ट होने की कगार पर

पहुंच चुके रूद्रसागर के संरक्षण, सौंदर्यीकरण का कार्य करने के लिए 14 करोड़ 50 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई है।
सिंहस्थ पूर्व रूद्रसागर नए रूप में श्रद्धालुओं के सामने होगा। सिंहस्थ में यहां पर साधु-संतों के पड़ाव होंगे। इसके बाद रूद्रसागर और अन्य छोटे सागर में स्वच्छ जल भर कर क्षेत्र की सुंदरता को चार चांद लगा दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देश एवं परिकल्पना पर रूद्रसागर के संरक्षण-सौंदर्यीकरण का कार्य सिंहस्थ मद से हाथ में लिया गया है। दिसंबर माह के अंत तक रूद्रसागर के दोनों हिस्सों का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा।?
सुखद स्मृति लेकर लौटेंगे श्रद्धालु
सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालु यहां से सुखद स्मृति लेकर लौटेंगे। महाकाल मंदिर धर्मशाला के ठीक पीछे जहां पर मंदिर का निर्गम मार्ग जुड़ता है, वहां आकर्षक कैफेटेरिया व श्रद्धालुओं के बैठने के लिए स्थान बनाया गया है। दिसंबर माह के बाद हरिफाटक ओवर ब्रिज की चौथी भुजा से होकर नीचे आने वाले श्रद्धालुओं को एक नए उज्जैन का नजारा यहां देखने को मिलेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश एवं परिकल्पना पर रूद्र सागर के संरक्षण एवं सौंदर्यीकरण का कार्य सिंहस्थ मद से हाथ में लिया गया है। नगर निगम इस प्रतिष्ठापूर्ण कार्य को करवा रही है। दिसम्बर माह के अन्त तक रूद्र सागर के दोनों ही हिस्सों का कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा।रूद्र सागर के सौंदर्यीकरण के तहत रूद्र सागर में रिटेनिंग वाल, पाथवे, स्टोन पिचिंग, गहरीकरण, वर्तमान नालों की रिपेयरिंग, दो पाइप कलवर्ट, पिचिंग सपोर्ट के लिये टो वाल का निर्माण, पाथवे पर स्टील रेलिंग आदि कार्य जारी है। हरसिद्धि से लगे हुए रूद्र सागर भाग-2 में सम्पूर्ण तालाब के चारों ओर सुन्दर पाथवे का निर्माण किया जा रहा है। इस पाथवे पर आकर्षक लाइट लगाकर सौंदर्यीकरण किया जायेगा। बड़े व छोटे दोनों रूद्र सागर के किनारों पर स्टोन पिचिंग का कार्य तालाबों की सुन्दर में वृद्धि करेगा। महाकालवन क्षेत्र का विकास वस्तुत: कई कार्यों के साथ पूर्णता की ओर बढ़ रहा है। इनमें से हरिफाटक ओव्हर ब्रिज की चौथी भुजा एवं इंटरप्रीटेशन सेन्टर से लेकर हरसिद्धि मन्दिर को जोडऩे वाला टूलेन मार्ग भी पूरा हो गया है। इस मार्ग के दोनों ओर पेव्हड शोल्डर बनाये गये हैं तथा आकर्षक स्ट्रीट लाइट्स लगा दी गई है। इसी तरह महाकाल मन्दिर धर्मशाला के ठीक पीछे जहां पर मन्दिर का निर्गम मार्ग जुड़ता है, आकर्षक कैफेटेरिया व श्रद्धालुओं को बैठने के लिये स्थान बनाया गया है। दिसम्बर माह के बाद हरिफाटक ओव्हर ब्रिज की चौथी भुजा से होकर नीचे आने वाले श्रद्धालु एक नये उज्जैन का नजारा करके यहां से सुखद स्मृति लेकर लौटेंगे।
सिंहस्थ के इतिहास में ऐसा होगा पहली बार
वर्षों पुरानी परंपरा को बदलते हुए सिंहस्थ महापर्व में 13 मार्च 2016 रविवार को पंचमी तिथि, भरणी नक्षत्र के संयोग में दत्त अखाड़ा से पेशवाई निकाली जाएगी। प्रशासन की अव्यवस्था को देखते हुए जूना अखाड़ा ने यह बड़ा निर्णय लिया है। सिंहस्थ महापर्व में इस बार श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा की पेशवाई नीलगंगा से नहीं निकलते हुए दत्त अखाड़ा से निकलेगी। पिछले दिनों अखाड़ा के 52 सदस्यों के साथ हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। अखाड़ा के मुख्य संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरी महाराज ने बताया कि प्रशासन ने नीलगंगा क्षेत्र में कोई विशेष व्यवस्था नहीं की है। मूलभूत सुविधा की ओर भी ध्यान नहीं दिया है। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के साधु नागा रहते हैं।
21 जनवरी को नगर प्रवेश : श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के करीब 15 हजार साधु 21 जनवरी द्वादशी तिथि, मृगशिरा नक्षत्र गुरुवार को सुबह 9 बजे नगर प्रवेश करेंगे। सुबह 11 बजे नगर में प्रवेश कर मुल्लापुरा स्थित अखाड़े पर श्रीमहंत पीर संजागिरी महाराज, श्रीमहंत प्रेम गिरी महाराज, श्री महंत सोहनगिरी महाराज, श्री महंतभागत पुरी महाराज ने नेतृत्व में पूजन किया जाएगा। अखाड़े के श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती महाराज, श्रीमहंत देवानंद महाराज, श्रीमहंत भगवत पुरी महाराज के सान्निध्य में 6 मार्च रविवार को द्वादशी तिथि श्रवण नक्षत्र की साक्षी में सुबह 10 से 12 बजे धर्मध्वजा का पूजन किया जाएगा।श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की पेशवाई 13 मार्च रविवार पंचमी तिथि भरणी नक्षत्र की साक्षी में निकाली जाएगी
-उज्जैन से श्याम सिंह सिकरवार