मोदी पसन्द नहीं इसलिए बढ़ रही असहिष्णुता
17-Nov-2015 09:24 AM 1234804

भारत पर नेहरू-गांधी परिवार ने वर्षों तक राज किया, इसलिए इस देश पर शासन करने के अधिकार को कोई चुनौती देता है तो, उसके प्रति कांग्रेसी असहिष्णु हो जाते हैें। उनका मानना है कि इस देश पर शासन नेहरू-गांधी परिवार ही करेंगे या किसी वफादार को प्रधानमंत्री बना, उसके सारे अधिकार अपने पास रखेंगे। उनके अधिकारों का अतिक्रमण उन्हें बर्दाश्त नहीं है। जब भी कोई बाहरी व्यक्ति उनके अधिकार छीनता है, वे असहिष्णु हो जाते हैं। नरसिंहराव कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे, पर उन्होंने परिवार की अधीनता स्वीकार नहीं की, इसलिए वे स्वीकार्य नहीं थे। सीतराम केसरी पार्टी के अध्यक्ष थे, किन्तु उन्हें जबरन उठा कर कांग्रेस कार्यालय के बाहर फिंकवा दिया और कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर सोनिया गांधी बैठ गईं। तब से कांग्रेस अध्यक्ष हैं। किसी की मजाल नहीं कि चुनौती दे सकें  कांग्रेस पार्टी का जो हाल नेहरू-गांधी परिवार ने किया, वैसा ही हाल ये भारत का करना चाहते हैं। इन्हें देश चलाने के लिए अपने विश्वस्त आज्ञाकारी अनुचर चाहिये, जमीन से जुड़े खुद्दार नेता नहीं। ये देश को अपने हिसाब से चलायेंगे। प्राकृतिक संसाधनों को जी भर कर लुटेंगे। लुटा हुआ धन विदेशी खातों में जमा करवायेंगे। यदि इन्हें कोई टोकेगा, रोकेगा या इनके कृत्यों का विरोध करेगा, ये उसके प्रति असहिष्णु हो जायेंगे।

मोदी  कांग्रेस को पसन्द नहीं, क्योंकि वे ऐसे शख्स हैं, जो इनके सारे राजनीतिक षड्यंत्रों को विफल कर पंद्रह वर्षों तक गुजरात का मुख्यमंत्री बने रहे। और अब प्रधानमंत्री के पद पर हैं। यही नहीं कांग्रेस के अब तक के शासनकाल में देश की जितनी चर्चा नहीं हुई उससे अधिक अब विदेशी मंचों पर हो रही है। यही कारण है कि देश में अचानक असहिष्णुता का भूचाल आ गया। यह पूरी तरह एक-सोची समझी साजिश थी।  देश में असहिष्णुता का माहौल कहां है यह आज भी लोग ढूंढ रहे हैं, लेकिन पिछले दो महीने में देश में ऐसा माहौल निर्मित कर प्रचारित किया गया कि यहां असहिष्णुता ही असहिष्णुता है। इस दौरान साहित्यकारों, इतिहासकारों, कलाकारों आदि ने अपने अवार्ड लौटाने का सिलसिला शुरू कर दिया। यह सिलसिला इसलिए आगे बढ़ता गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  देश में प्रायोजित तौर पर बन रहे माहौल को मौन देखते और सुनते रहे। इसका प्रभाव यह हुआ है जिस मोदी के गुणगान में विदेश मीडिया लगा रहता था वही आज भारत को असहिष्णु देश मान उनकी खिंचाई कर रहा है।
ब्रिटेन दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटिश मीडिया में जमकर आलोचना हुई। ब्रिटिश न्यूज वेबसाइट द गार्डियन के एक आर्टिकल में लिखा गया कि भारत में हिंदू तालिबान तेजी से फैल रहा है। वहां अपनी बात खुलकर बोलने वालों पर जुल्म किए जा रहे हैं। फ्रीडम ऑफ स्पीच खत्म होने और इन्टॉलरेंस(असहिष्णुता ) बढऩे जैसे मसलों पर मोदी का रवैया ढीला है। इसी तरह अन्य कई अखबार और न्यूज चैनल मोदी जी पर असहिष्णुता को लेकर प्रहार कर रहे हैं। यह मोदी और उनकी सरकार के लिए सोचने का समय है कि जब पिछले सोलह माह में देश में हर तरफ शांतिपूर्ण माहौल रहा है, ऐसे में विदेश में प्रचारित किया गया है कि भारत में असहिष्णुता  है तो भविष्य में कुछ माहौल बिगड़ता है तो क्या स्थिति होगी? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्रिटेन दौरे के पहले ही दिन भारत में बढ़ रही कथित असहिष्णुता  की घटनाओं से जुड़े सवालों का जवाब देना पड़ा।  मोदी ने कहा कि हम भारत में हुई हर घटना को गंभीरता से लेते हैं। हर नागरिक की सुरक्षा तथा उसके विचारों की अभिव्यक्ति के अधिकार की रक्षा हमारी जिम्मेदारी है। मोदी ने कहा कि देश में होने वाली हर घटना हमारे लिए गंभीर है। कानून कठोरता से कार्रवाई करता है और करेगा। असहिष्णुता के हो-हल्ला के बीच ब्रिटेन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जैसा स्वागत-सत्कार कहा उससे तो एक बात तय है की मोदी ने विश्व पटल पर भारत को गौरवाविंत तो किया है। मोदी ब्रिटेन दौरे के दूसरे दिन महारानी एलिजाबेथ से मिलने उनके महल बकिंघम पैलेस पहुंचे। द्वितीय से मिलने बकिंघम पैलेस पहुंचे। विदेश में सूटबूट में घुमने वाले मोदी जब देशी लिबास में महारानी से मिल तो हरकोई आश्चर्य चकित था। यही नहीं महारानी ने खुद महल के मुख्य द्वार पर पीएम मोदी का स्वागत किया। खास बात ये रही कि हमेशा दस्ताने पहनने वाली महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने बिना दस्ताने के ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाया। इसके बाद महारानी एलिजाबेथ द्वितीय पीएम मोदी को शाही संग्राहल भी ले गईं और मोदी की मेहमाननवाजी में दोपहर का भोज भी दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाकाहारी हैं इसलिए लंच में शाकाहारी और गुजराती व्यंजनों का इंतजाम किया गया था। अब पूरा विश्व इस सोच में पड़ गया है कि अभी तक जो भी राजनयिक बकिंघम पैलेस जाता था तो उसे वहां के प्रोटाकॉल का पालन करना पड़ता था, आखिर मोदी में वह क्या खासियत है जिन्हें प्रोटोकॉल से मुक्त रखा गया। महारानी के महल में मोदी के इस सम्मान को भारत और ब्रिटेन के बीच नजदीकी रिश्तों का संकेत माना जा रहा है। दरअसल, मोदी ने विश्व समुदाय को भारत का लोहा मानने के लिए मजबूर कर दिया है।
काश! मोदी ने जिस तरह ब्रिटेन में जाकर असहिष्णुता के बारे में बोला अगर वे यहां दो-चार बार बोल दिए होते तो ऐसी स्थिति ही निर्मित नहीं होती। विदेशी मीडिया भले ही कुछ कहे लेकिन देशी मीडिया और स्वयं मोदी भी जानते थे कि देश में असहिष्णुता की जो हवा चली है उसकी हकीकत क्या है? दरअसल, यह बिहार चुनाव में भाजपा के विरोध में माहौल बनाने का एक अभियान भर था। वर्ना देखिए न..चुनाव में भाजपा की हार के साथ ही  अवार्ड लौटाने का मिशन पूरा हो गया। उसके बाद अवार्ड वापसी की न कोई घोषणा हुई न टीवी चैनल पर बहस। तो क्या असहिष्णुता समाप्त हो गयी? तो इसका जवाब है देश में असहिष्णुता थी ही नहीं। भारत पर गांधी-नेहरू परिवार का वर्षों तक राज किया, इसलिए इस देश पर शासन करने के उनके अधिकार को कोई चुनौती देगा, वह उनके प्रति असहिष्णु हो जायेंगे। इस देश पर शासन वे ही करेंगे या किसी वफादार को प्रधानमंत्री बना, उसके सारे अधिकार अपने पास रखेंगे। उनके अधिकारों का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं है। जब भी कोई बाहरी व्यक्ति उनके अधिकार छीनता है, सभी(कांग्रेस से लाभार्थी) असहिष्णु हो जाते हैं। नरसिंहराव कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे, पर उन्होंने उनकी अधीनता स्वीकार नहीं की, इसलिए वे स्वीकार्य नहीं थे। सीतराम केसरी उनकी पार्टी के अध्यक्ष थे, किन्तु उन्हें जबरन उठा कर कांग्रेस कार्यालय के बाहर फिंकवा दिया और कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर स्वयं बैठ गईं। तब से कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठी हैं। किसी की मजाल नहीं कि उन्हें चुनौती दे सकें। जिस तरह कांग्रेस पर नेहरू-गांधी परिवार ने कब्जा जमाया है उसी तरह उसे देश में किसी और की सरकार बर्दास्त नहीं है, इसलिए असहिष्णुता का माहौल निर्मित किया गया है।

चुनावों के समय अमेरिका में भी बढ़ जाती है असहिष्णुताÓ...
अगर आप यह सोच-सोच कर परेशान हुए जा रहे हैं कि असहिष्णुता ने देश के माहौल की ऐसी की तैसी कर दी है। पूरी दुनिया में भारत की छवि को धक्का पहुंचा है, तो ठहर जाइए। यह समझ लीजिए कि असहिष्णुता भौगोलिक सच है। चुनाव के समय खुद को सभ्रांत और विकसित कहने वाले दुनिया के बड़े से बड़े देशों को भी असहिष्णुता का मच्छर काट लेता है। यह बात इसलिए कि बिहार में चुनाव खत्म हो चुके हैं लेकिन असहिष्णुताÓ ने अमेरिका दौरे की तैयारी कर ली है। अमेरिका में 2016 में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। तैयारी जोरों पर है। ऐसे में वहां भी अजीबोगरीब और हास्यास्पद बयानों का सिलसिल चल पड़ा है। रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी पेश करने में जुटे डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत और चीन जैसे देश अमेरिकी लोगों की नौकरियां छीन रहे हैं। वे अगर राष्ट्रपति बने तो उन नौकरियों को वापस ले आएंगे। हालांकि ट्रंप यह कैसे करेंगे, इस पर कोई साफ नीति उन्होंने नहीं बताई।
-कुमार राजेन्द्र

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