17-Nov-2015 08:43 AM
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मध्यप्रदेश तेजी से विकास के पथ पर बढ़ रहा है। यहां के कई शहर स्मार्ट सिटी बनने की कतार में हैं। लेकिन इन शहरों की उम्दा जिंन्दगी के मार्ग में धार्मिक स्थल बाधक बन गए हैं। बढ़ते यातायात के दबाव से निजात दिलाने, सड़कों के

चैड़ीकरण में जो दिक्कतें आ रही हैं, उसे दूर करने में प्रशासन को पसीना आ रहा है। ऐसे में प्रदेश में सार्वजनिक स्थानों पर अरबों रूपए की जमीन पर बने अवैध धर्म स्थलों को वैध करने की तैयारी चल रही है। हालांकि जिन धार्मिक स्थलों से यातायात सहित सार्वजनिक उपयोग में बाधा आ रही है, उन्हें हटाया जाएगा। धार्मिक न्यास एवं धार्मस्व विभाग ने प्रारूप जारी कर 30 दिन में आमजन से आपत्ति और सुझाव बुलाए हैं। इसके अनुसार 29 सितंबर 2009 से 30 वर्ष पुराने धार्मिक स्थलों को वैध किया जाएगा। हर जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। इसमें एसपी, आयुक्त ननि और नपा, टीएंडसीपी डिप्टी डायरेक्टर को सचिव बनाया गया है। सदस्य सचिव एसडीओपी राजस्व होंगे। सार्वजनिक स्थानों पर बने धार्मिक स्थलों का परीक्षण करेगी। धार्मिक स्थल से सार्वजनिक उपयोग में बाधा और यातायात प्रभावित नहीं हो रहा है तो कलेक्टर की समिति इसे वैध करने की सिफारिश संभागायुक्त को भेजेगी।
रिपोर्ट के परीक्षण के बाद संभागायुक्त इसे राज्य सरकार को भेजेंगे। उन धार्मिक स्थलों को वैध नहीं किया जाएगा, जिनका उपयोग किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं के हित हो हो रहा है या किसी वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए। ऐसे स्थलों को हटाया जाएगा। यदि कोई धार्मिक संस्थान केंद्र सरकार या सार्वजनिक उपक्रम की जमीन पर बना है तो उसे वैध करने से पहले संबंधित विभागों से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
राज्यपाल दे चुके हैं मंजूरी
सार्वजनिक स्थलों पर अतिक्रमण कर बने अवैध धर्म स्थलों को हटाने या उन्हें वैध करने के संबंध में धर्मस्व एवं धार्मिक न्यास प्रबंधन एवं गतिविधि अधिनियम 2001 में बदलाव करने का विधेयक विधानसभा में पारित हो चुका है। राज्यपाल इस विधेयक को वर्ष 2013 में मंजूरी भी दे चुके हैं, लेकिन इसके नियम न बनने के कारण यह विधेयक पिछले दो साल से अटका हुआ था।
धर्मस्व विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रदेश भर में लगभग 53 हजार अवैध धार्मिक स्थल हैं। जो सार्वजनिक उपयोग की जगह पर अतिक्रमण कर बने हैं। इनमें अकेले भोपाल में 1699 अवैध धर्म स्थल हैं। नए नियमों में अधिकांश धर्म स्थलों को दूसरी जगह स्थापित किए जाने की तैयारी है। वर्ष 2006 में हाईकोर्ट में सार्वजनिक स्थलों को हटाने के लिए याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सार्वजनिक स्थलों पर बने धर्म स्थलों को हटाने को कहा है। राज्य सरकार ने प्रदेश के 53 हजार अवैध धार्मिक स्थलों को वैध करने का रास्ता निकाल लिया है। सरकारी जमीन पर बने 30 साल पुराने ऐसे धार्मिक स्थलों को वैध मान लिया जाएगा। धर्मस्व एवं धार्मिक न्यास विभाग द्वारा तैयार मसौदे में यह प्रावधान किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने में राज्य सरकार को खासी परेशानी आ रही थी। इस समस्या को दूर करने के लिए ही राज्य सरकार अधिनियम 2001 में संशोधन कर नियम लागू करने जा रही है। 29 सितंबर 2009 को बने 30 साल पूरे करने वाले अवैध धार्मिक स्थलों को नियमित कर दिया जाएगा। इस संबंध में जल्द ही नोटिफिकेशन किया जाएगा। हालांकि सरकारी जमीन पर बने धार्मिक संस्थानों को वैध करने का कोई स्पष्ट नियम नहीं है। वैध करने से पहले कमेटी धार्मिक स्थल का परीक्षण करेगी। संबंधित स्थानीय समुदाय के सदस्यों के बीच सर्वसम्मति बनाने का प्रयास किया जाएगा। अंतिम फैसला राज्य शासन स्तर पर होगा। देश में ऐसे सर्वाधिक धर्मस्थल तमिलनाडु में है। वहां इनकी संख्या 77450 है। राजस्थान में 58253, मध्यप्रदेश में 52923, उत्तरप्रदेश में 45000 और गुजरात में 15000 धर्मस्थल अवैध रूप से निर्मित है।
-भोपाल से अजयधीर