17-Nov-2015 08:54 AM
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मध्य प्रदेश में सूखे से बर्बाद हुई फसलों से आहत हुए किसानों की स्थिति को देखकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही नहीं पूरी सरकार आहत है। यही कारण है कि किसानों को राहत पहुंचाने लिए विधानसभा का एक दिनी विशेष सत्र

बुलाकर सरकार ने 9 हजार करोड़ रुपए की राशि का पिटारा खोल दिया। इस सरकार में ये पहला मौका है जब सप्लीमेंट्री बजट सर्वसम्मति से पारित किया गया। दरसअल, सरकार ने कुल 8 हजार 407 करोड़ 24 लाख 81 हजार 840 रुपए का प्रावधान किया है। ये राशि सरकार के अलग-अलग विभागों के जरिए किसानों को फिलहाल मुआवजे और रबी की फसल के लिए दिए जाएंगे। लेकिन विसंगति यह रही की इस एकदिनी सत्र में सूखे पर चर्चा नहीं की गई। पूरा दिन एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने में ही बीत गया।
सूखे पर चर्चा और किसानों को राहत देने के लिए को बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र में विपक्ष (कांग्रेस) और सत्ता पक्ष (भाजपा) में तीखी नोंक-झोंक हुई। हाल यह रहा कि दोनों दल एक-दूसरे को किसान विरोधी और किसान के नाम पर राजनीति करने वाला कहते रहे। इस सत्र में चर्चा की शुरुआत होते ही कांग्रेस की ओर से सरकार पर लगाए गए आरोपों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को गुस्सा आ गया और उन्होंने कांग्रेस पर घटिया राजनीति करने का आरोप लगा दिया। चौहान ने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप लगाने के कई मौके मिलेंगे, मगर यह समय किसानों को फौरी राहत देने का है इसीलिए यह सत्र बुलाया गया है। किसानों को राहत की जरूरत है, मगर कांग्रेस घटिया राजनीति कर रही है। इसके बाद कांग्रेस की ओर से आरोप लगाया गया कि सत्ता पक्ष विधानसभा को राजनीतिक लाभ हासिल करने का मंच बना रहा है। कांग्रेस विधायक महेंद्र सिंह कालूखेडा ने जमीनी हकीकत बताते हुए कहा कि सरकार बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर देती है, मगर किसानों को लाभ नहीं मिलता। वहीं, रामनिवास रावत ने किसानों को पिछले वर्षो की गई घोषणाओं का अब तक लाभ नहीं मिलने की बात कही। कांग्रेस विधायक मुकेश नायक ने बिजली बिल वसूली के नाम पर किसानों को प्रताडि़त करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार कहती है कि बिजली के बिल माफ कर दिए गए हैं, कर्ज वसूली स्थगित कर दी गई है मगर किसानों के घर पहुंचकर बिजली बिल के नाम पर मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर, साइकिल, पंखा आदि तक जब्त किया जा रहा है।
सत्ता पक्ष की ओर से विधायक अर्चना चिटनीस ने सरकार की ओर से किसानों को राहत देने के लिए उठाए गए कदमों का ब्योरा दिया और कहा कि सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि किसान उतना परेशान नहीं हुए जितने बुरे हालात हैं। सरकार की कोशिशों ने किसानों को काफी हद तक राहत दी है।
मध्य प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान का भाषण शुरू होते ही हंगामे की स्थिति बन गई। कांग्रेस विधायकों के विरोध के चलते शिवराज को अपना भाषण बीच में ही रोकना पड़ा। दरसअल, शिवराज ने अपने भाषण के दौरान किसानों की आत्महत्या के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि, कांग्रेस की दस साल सरकार के दौरान 17 हजार किसानों ने खुदकुशी की थी, लेकिन अब इन आंकड़ों में कमी आई है। सीएम ने एनसीआरबी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अब प्रदेश में एक साल में 1107 किसानों की मौतें हुईं हैं। ये आंकड़े पूर्ववर्ती सरकारों से काफी कम हैं। इस पर कांग्रेस ने असंतोष जताते हुए आरोप लगाया कि सरकार किसानों को राहत पहुंचाने के नाम पर भी राजनीति कर रही है।
बजट पर चर्चा गलत : अजय सिंह
पूर्व नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के सीनियर एमएलए अजय सिंह राहुल ने विधानसभा के विशेष सत्र को लेकर राज्य की भाजपा सरकार पर विधायकों के साथ छलावा करने का आरोप लगाया। कांग्रेस विधायक अजय सिंह राहुल ने कहा कि सूखे पर चर्चा कराने के लिए विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है तो फिर सदन की कार्यवाही में अनुपूरक बजट का विषय क्यों शामिल किया गया। राज्यपाल ने सत्र की अधिसूचना सूखे पर चर्चा कराने के लिए जारी की है। कांग्रेस नेता अजय सिंह राहुल ने कहा कि बजट पर चर्चा कराना ही था तो दो-तीन दिन का विशेष सत्र बुलाया जाता।
तीन दिन का बुलाते सत्र: सिंधिया
कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदेश विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाए जाने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि सत्र तीन दिन का बुलाया जाना चाहिए था, ताकि विधायक कम से कम अपनी-अपनी बात रख सकते। सिंधिया ने कहा कि प्रदेश में किसानों की आंखों में आंसू हैं, खाद-बीज मांगने पर किसानों को प्रशासन के डंडे मिल रहे हैं, प्रदेश सरकार ने विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाया है, इसे एक दिन की जगह तीन दिन का रखा जाना चाहिए था, जिसमें सभी विधायक कम से कम अपनी बात तो रख सकते।
-भोपाल से अरविंद नारद