17-Nov-2015 08:24 AM
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केन-बेतवा नदी गठजोड़ परियोजना एक दशक का लंबा सफर तय करने के बाद अब शायद मंजिल तक पहुंचने को है। तमाम विरोधों और पक्ष व विपक्ष में दिए जा रहे तर्कों और बयानों के बीच कछुआ चाल से चल रहा परियोजना का काम जल्द ही धरती पर नजर आएगा। इस
योजना को अमली जामा पहनाने के लिए केंद्रीय मंत्री उमा भारती जुटी हैं। इसी हफ्ते दिल्ली में उनकी अध्यक्षता में हुई बैठक में देश की चार नदियों को आपस में जोडऩे की मंजूरी दी गई है। इनमें केन-बेतवा का गठजोड़ भी शामिल है। इसी वर्ष काम शुरू होने के आसार हैं। नौ हजार करोड़ वाली इस परियोजना पर केंद्र, यूपी और एमपी सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता कई साल पहले हो चुका है। राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण ने परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर) वर्ष 2008 में ही तैयार कर ली थी। परियोजना से पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क समेत 10 गांव प्रभावित होंगे। केन-बेतवा लिंक परियोजना को भारत सरकार का जल संसाधन मंत्रालय और राष्टीय जल विकास अभिकरण बुंदेलखंड के लिए फायदे का सौदा बता रहे हैं। मंत्रालय का कहना है कि इस परियोजना से यूपी एवं एमपी के सूखाग्रस्त बुंदेलखंड में सिंचाई के लिए 1074 मिलियन घनमीटर पानी केन बेसिन से लिंक नहर में डाला जाएगा।
सरकार का कहना है कि इन दोनों नदियों के आपस में जुडऩे से बुंदेलखंड की छह लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई की सुविधा मिलेगी। साथ ही उत्तरप्रदेश में झांसी, महोबा और बांदा जबकि मध्यप्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ और पन्ना जिलों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। सरकार को केन-बेतवा नदी को जोडऩे पर लगभग 9000 करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है। केन से बेतवा को जोडऩे के लिए 221 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जाएगी। परियोजना में कुल 7 बांध बनेंगे और बांध से 10 हजार हेक्टेयर जमीन डूब क्षेत्र में आएगी। साथ ही पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क, केन घडिय़ाल अभ्यारण्य खत्म हो जाएंगे। पर्यावरण के जानकारों के मुताबिक केन नदी को बुंदेलखंड की सबसे शुद्ध नदी माना जाता है, लेकिन इसके बेतवा नदी में मिल जाने से ये नदी भी प्रदूषित हो जाएगी। पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क संरक्षित वन क्षेत्र है यदि लिंक बनता है तो यहां कि बायोडायवर्सिटी के विलोपन का खतरा है।
प्रस्तावित केन-बेतवा नदी गठजोड़ में डाउनस्ट्रीम के केन घडिय़ाल अभ्यारण्य भी पूरी तरह जमीदोज हो जाएगा, साथ ही सैंकड़ों वन्य प्राणियों पर संकट के बादल छा जाएंगे और हजारों एकड़ में फैला जंगल भी नष्ट हो जाएगा। गौरतलब है कि 19 अप्रैल 2011 को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के पूर्व मुखिया जयराम रमेश ने केन-बेतवा लिंक को एनओसी देने से मना कर दिया था, क्योंकि वे इस लिंक के दायरे में आ रहे पन्ना टाइगर नेशनल रिजर्व पार्क के प्रभावित होने के खतरे को भांप चुके थे। केन-बेतवा लिंक परियोजना को आगे बढ़ाने और विस्तृत परियोजना तैयार करने के लिए मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और केंद्र सरकार के बीच 25 अगस्त 2005 को अंतिम रूप दिया गया था, जिस पर मप्र और उप्र के तत्कालीन सीएम बाबूलाल गौर और मुलायम सिंह यादव ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किए थे।
नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी के डीजी मसूद हुसैन का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के पूरे होने पर 5 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी। फस्र्ट फेज में छतरपुर, पन्ना और टीकमगढ़ जिलों के 40 लाख लोगों को इस प्रोजेक्ट में रोजगार मिलेगा। इसमें 15 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। सेकेंड फेज में ढाई हजार करोड़ रुपए का खर्च करते हुए रायसेन, विदिशा, महोबा, बांदा इलाकों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ा जाएगा। इस तरह से 221 किमी लंबी नहर बनाते हुए केन नदी के पानी को बेतवा नदी में पहुंचाया जाएगा। यहां पर 78 मेगावाट का बिजली उत्पादन भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ढोडऩ बांध बन जाने पर 77 मीटर ऊंचाई और 2 किमी दूरी तक पानी भरा जाएगा। इसके चलते आसपास रहने वाले एक हजार परिवारों के करीब 8 हजार सदस्यों को विस्थापित किया जाएगा। इन्हें दूसरे स्थान पर रहने की व्यवस्था प्रोजेक्ट के तहत की जाएगी।
मप्र के इन क्षेत्रों को होगा लाभ
सूत्रों ने बताया कि पहले और दूसरे चरण में पूरी तरह से मध्य प्रदेश की जमीन प्रभावित हो रही है और इसका लाभ भी इसी प्रदेश के लोगों को मिलने वाला है। परियोजना से 2723 हेक्टेयर भूमि पानी में डूबेगी। इसमें वन विभाग की 968 एकड भूमि परियोजना से प्रभावित होगा तथा 12 गांव के 2939 लोग प्रभावित होंगे। परियोजना के पूरा होने से 98847 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। इससे शिवपुरी, रायसेन, विदिशा, सागर तथा अशोकनगर जिलों को फायदा होगा। परियोजना से 650 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी और पहले चरण में 78 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जाएगा।
सरकार की महत्वाकांक्षी नदी जोडऩे की 30 परियोजनाओं में पहली परियोजना का काम दो चरणों में होगा और इसे पूरा करने में कम से कम सात साल लगेंगे।
-उमा भारती
-राजेश बोरकर